वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा की अनुमति का आदेश देने के साथ ही जिला जज के पद से सेवानिवृत्त हुए डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश (Retired District Judge Ajay Krishna Vishwesh) गुरुवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में हुए सम्मान समारोह में शिरकत करने पहुंचे. इस दौरान जिला जज के पद से सेवानिवृत्त हुए डॉ.अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा कि जब तक मैं न्यायिक सेवा में रहा, पूर्ण निष्ठा और मेहनत के साथ अपना कार्य किया. मेरे मन में हमेशा यह इच्छा रहती थी कि जो भी मैं जजमेंट लिखूं, वह बेहतरीन होना चाहिए. उसमें कोई कमी नहीं होनी चाहिए.
मैं एक बार, दो बार, तीन बार पढ़कर, उसमें सुधार करने के बाद अपने फैसले लिखता था. मैं यह प्रयास करता था कि हर जजमेंट न्याय प्राप्त करने के उद्देश्य से लिखा जाए और उसमें कोई भी त्रुटि न रहे. इसी वजह से मैंने जो भी आदेश दिए, वह सब इसी भावना से दिए है कि पत्रावली पर जो सामग्री है, साक्ष्य है. जो उभयपक्ष का वृतांत और अभिवचन है. उनको ध्यान में रखकर मैं अपने फैसले करूँ. जहाँ तक हो सके न्याय के उद्देश्यों को वह पूरा करे और जो मेरी सर्वोत्तम क्षमता के अनुसार हो.
वहीं मुस्लिम बंधुओ में इस फैसले को लेकर नाराज़गी के सवाल पर सेवानिवृत्त जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश (Retired District Judge Ajay Krishna Vishwesh on Gyanvapi Case) ने कहा कि हमने कई बार देखा है कि फैसला आता था तो जिसके पक्ष में होता था, वो तो प्रसन्न होता था और मुस्कुराता हुआ चला जाता था. फैसला जिसके खिलाफ होता था. उसमें एक आक्रोश रहता था. अपनी स्थिति को जानने का प्रयास कोई करता नहीं था. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि जो भी फैसला हम लोगों करते हैं, वो न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए दिए जाते है.
पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर दिए जाते हैं. उसके अलावा कोई भी सोच विचार नहीं रहता है. वहीं सेवानिवृत्त होने के अंतिम दिन यह फैसला दिया गया, क्या इसे पहले भी दिया जा सकता था. इस सवाल के जवाब में सेवानिवृत्त जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा कि जो भी एप्लिकेशन हमारे पास आती रही हैं. उसमें दोनों पक्षों को सुनकर, विधि के अनुसार आदेश पारित किया गया. जिस समय मेरे पास कोई भी एप्लिकेशन सुनवाई के लिए आती है, तभी मैं उसको सुनकर आदेश कर सकता हूं. उससे पहले कैसे आदेश कर सकता हूं. न्याय की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए आदेश किया गया.