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भारत ने की ट्रूडो की आलोचना, कहा- खराब संबंधों के लिए सिर्फ कनाडाई पीएम जिम्मेदार

भारत ने कनाडाई पीएम ट्रूडो की आलोचना करते हुए कहा कि आखिरकार उन्होंने स्वीकार किया कि आरोपों के समर्थन में कोई सबूत नहीं दिया है.

PM MODI AND Canadian Prime Minister Justin Trudeau
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 17, 2024, 8:54 AM IST

Updated : Oct 18, 2024, 1:01 PM IST

नई दिल्ली: भारत ने बुधवार देर रात कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की आलोचना करते हुए कहा कि उनके इस लापरवाह व्यवहार से भारत-कनाडा संबंधों को जो नुकसान पहुंचा है, उसकी जिम्मेदारी अकेले प्रधानमंत्री ट्रूडो की है. यह बयान जस्टिन ट्रूडो द्वारा बुधवार को स्वीकार किए जाने के बाद आया है कि उनकी सरकार ने खालिस्तानी अलगाववादी निज्जर सिंह की हत्या में कथित भारतीय एजेंटों की संलिप्तता के संबंध में नई दिल्ली को केवल खुफिया जानकारी दी है, कोई सबूत नहीं दिया है.

संघीय चुनावी प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं में विदेशी हस्तक्षेप के आरोपों की सार्वजनिक जांच करने वाले आयोग के समक्ष गवाही देते हुए ट्रूडो ने कहा, 'कनाडाई लोग जो मोदी सरकार के विरोधी हैं उनकी जानकारी भारत सरकार को दी गई और फिर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह जैसे आपराधिक संगठनों के माध्यम से भेजी गई जानकारी के परिणामस्वरूप जमीन पर कनाडाई लोगों के खिलाफ हिंसा हुई.'

उन्होंने कहा कि जब कनाडाई एजेंसियों ने भारत से आरोपों की जांच करने को कहा, तो नई दिल्ली ने सबूत मांगे. उस समय यह मुख्य रूप से खुफिया जानकारी थी, न कि ठोस साक्ष्य.' कनाडाई प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमारे पास स्पष्ट और निश्चित रूप से और भी स्पष्ट संकेत थे कि भारत ने कनाडा की संप्रभुता का उल्लंघन किया.'

जस्टिन ट्रूडो ने कहा,'गर्मियों के दौरान खुफिया एजेंसियों ने मुझे बताया कि निज्जर की हत्या में सरकार शामिल थी, लेकिन इसमें कोई स्पष्ट अंतरराष्ट्रीय संबंध नहीं था. हालांकि, अगस्त में कनाडा और द फाइव आईज से प्राप्त खुफिया जानकारी से यह स्पष्ट हो गया था कि भारत इसमें शामिल था. हमने भारत से कहा कि यह पुख्ता सबूत नहीं है, बल्कि यह सिर्फ खुफिया जानकारी है.'

ट्रूडो ने सार्वजनिक जांच आयोग को बताया, 'ये स्पष्ट संकेत हैं कि भारत ने हमारी संप्रभुता का उल्लंघन किया है.' हालांकि, जांच आयोग के समक्ष कनाडा के प्रधानमंत्री के बयान के संबंध में मीडिया के प्रश्नों के उत्तर में विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, आज हमने जो सुना है, उससे केवल वही बात पुष्ट होती है जो हम लगातार कहते आ रहे हैं. कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के विरुद्ध जो गंभीर आरोप लगाए हैं, उनके समर्थन में उसने हमें कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है.

इस लापरवाह व्यवहार से भारत-कनाडा संबंधों को जो नुकसान पहुंचा है. ये जिम्मेदारी अकेले प्रधानमंत्री ट्रूडो की है. ट्रूडो की यह टिप्पणी नई दिल्ली द्वारा उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने के निर्णय के दो दिन बाद आई है.

सोमवार को विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) ने कनाडा के प्रभारी को तलब किया. उन्हें बताया गया कि कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को आधारहीन तरीके से निशाना बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है.

इस बात पर जोर दिया गया कि उग्रवाद और हिंसा के माहौल में ट्रूडो सरकार की कार्रवाई से उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा कनाडाई सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है. इसलिए, भारत सरकार ने उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया.'

यह भी बताया गया कि भारत के खिलाफ उग्रवाद, हिंसा और अलगाववाद को ट्रूडो सरकार के समर्थन के जवाब में भारत आगे कदम उठाने का अधिकार रखता है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा कनाडाई नागरिक और खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोप लगाने के बाद भारत-कनाडा संबंधों में काफी गिरावट आई है.

भारत ने इन आरोपों का खंडन करते हुए इन्हें 'बेतुका' बताया है तथा कनाडा पर चरमपंथियों को शरण देने का आरोप लगाया है. राजनयिक विवाद के कारण दोनों देशों के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया गया तथा तनाव बढ़ गया. इससे द्विपक्षीय संबंधों, विशेषकर व्यापार और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के प्रयास जटिल हो गए.

ये भी पढ़ें- भारत-कनाडा विवाद का प्रवासी भारतीयों पर क्या असर होगा, जानिए विदेश मामलों के एक्सपर्ट की राय

नई दिल्ली: भारत ने बुधवार देर रात कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की आलोचना करते हुए कहा कि उनके इस लापरवाह व्यवहार से भारत-कनाडा संबंधों को जो नुकसान पहुंचा है, उसकी जिम्मेदारी अकेले प्रधानमंत्री ट्रूडो की है. यह बयान जस्टिन ट्रूडो द्वारा बुधवार को स्वीकार किए जाने के बाद आया है कि उनकी सरकार ने खालिस्तानी अलगाववादी निज्जर सिंह की हत्या में कथित भारतीय एजेंटों की संलिप्तता के संबंध में नई दिल्ली को केवल खुफिया जानकारी दी है, कोई सबूत नहीं दिया है.

संघीय चुनावी प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं में विदेशी हस्तक्षेप के आरोपों की सार्वजनिक जांच करने वाले आयोग के समक्ष गवाही देते हुए ट्रूडो ने कहा, 'कनाडाई लोग जो मोदी सरकार के विरोधी हैं उनकी जानकारी भारत सरकार को दी गई और फिर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह जैसे आपराधिक संगठनों के माध्यम से भेजी गई जानकारी के परिणामस्वरूप जमीन पर कनाडाई लोगों के खिलाफ हिंसा हुई.'

उन्होंने कहा कि जब कनाडाई एजेंसियों ने भारत से आरोपों की जांच करने को कहा, तो नई दिल्ली ने सबूत मांगे. उस समय यह मुख्य रूप से खुफिया जानकारी थी, न कि ठोस साक्ष्य.' कनाडाई प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमारे पास स्पष्ट और निश्चित रूप से और भी स्पष्ट संकेत थे कि भारत ने कनाडा की संप्रभुता का उल्लंघन किया.'

जस्टिन ट्रूडो ने कहा,'गर्मियों के दौरान खुफिया एजेंसियों ने मुझे बताया कि निज्जर की हत्या में सरकार शामिल थी, लेकिन इसमें कोई स्पष्ट अंतरराष्ट्रीय संबंध नहीं था. हालांकि, अगस्त में कनाडा और द फाइव आईज से प्राप्त खुफिया जानकारी से यह स्पष्ट हो गया था कि भारत इसमें शामिल था. हमने भारत से कहा कि यह पुख्ता सबूत नहीं है, बल्कि यह सिर्फ खुफिया जानकारी है.'

ट्रूडो ने सार्वजनिक जांच आयोग को बताया, 'ये स्पष्ट संकेत हैं कि भारत ने हमारी संप्रभुता का उल्लंघन किया है.' हालांकि, जांच आयोग के समक्ष कनाडा के प्रधानमंत्री के बयान के संबंध में मीडिया के प्रश्नों के उत्तर में विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, आज हमने जो सुना है, उससे केवल वही बात पुष्ट होती है जो हम लगातार कहते आ रहे हैं. कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के विरुद्ध जो गंभीर आरोप लगाए हैं, उनके समर्थन में उसने हमें कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है.

इस लापरवाह व्यवहार से भारत-कनाडा संबंधों को जो नुकसान पहुंचा है. ये जिम्मेदारी अकेले प्रधानमंत्री ट्रूडो की है. ट्रूडो की यह टिप्पणी नई दिल्ली द्वारा उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने के निर्णय के दो दिन बाद आई है.

सोमवार को विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) ने कनाडा के प्रभारी को तलब किया. उन्हें बताया गया कि कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को आधारहीन तरीके से निशाना बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है.

इस बात पर जोर दिया गया कि उग्रवाद और हिंसा के माहौल में ट्रूडो सरकार की कार्रवाई से उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा कनाडाई सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है. इसलिए, भारत सरकार ने उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया.'

यह भी बताया गया कि भारत के खिलाफ उग्रवाद, हिंसा और अलगाववाद को ट्रूडो सरकार के समर्थन के जवाब में भारत आगे कदम उठाने का अधिकार रखता है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा कनाडाई नागरिक और खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोप लगाने के बाद भारत-कनाडा संबंधों में काफी गिरावट आई है.

भारत ने इन आरोपों का खंडन करते हुए इन्हें 'बेतुका' बताया है तथा कनाडा पर चरमपंथियों को शरण देने का आरोप लगाया है. राजनयिक विवाद के कारण दोनों देशों के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया गया तथा तनाव बढ़ गया. इससे द्विपक्षीय संबंधों, विशेषकर व्यापार और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के प्रयास जटिल हो गए.

ये भी पढ़ें- भारत-कनाडा विवाद का प्रवासी भारतीयों पर क्या असर होगा, जानिए विदेश मामलों के एक्सपर्ट की राय
Last Updated : Oct 18, 2024, 1:01 PM IST
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