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झारखंड भाजपा में आंतरिक कलह! वोट नहीं देने पर जयंत सिन्हा को नोटिस, MLA समेत कई को शो-कॉज, क्या होगा एक्शन का साइड इफेक्ट - Show cause to Jayant Sinha

Show cause to Jayant Sinha and Raj Sinha. चुनाव परिणाम आने से पहले ही बीजेपी एक्शन में दिख रही है. पार्टी लाइन से हटकर काम करने वालों को नोटिस भेजा जा रहा है. झारखंड में पूर्व सांसद जयंत सिन्हा और धनबाद के विधायक राज सिन्हा को शो-कॉज किया गया. लेकिन चुनाव के बीच इस तरह की कार्रवाई का क्या कोई साइड इफेक्ट भी हो सकता है, क्या कहते हैं एक्सपर्ट जानिए इस रिपोर्ट में.

Show cause to Jayant Sinha and Raj Sinha
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 21, 2024, 5:10 PM IST

रांची: झारखंड में भारतीय जनता पार्टी का आंतरिक कलह अब सतह पर दिखने लगा है. वोट नहीं देने पर पार्टी ने हजारीबाग से भाजपा के निवर्तमान सांसद जयंत सिन्हा को नोटिस जारी किया है. संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है, जब वोट नहीं देने पर भाजपा ने अपने किसी नेता को नोटिस जारी किया हो. झारखंड में इसकी खूब चर्चा हो रही है.

प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के हवाले से प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू द्वारा जारी पत्र में लिखा गया है कि मनीष जायसवाल को हजारीबाग प्रत्याशी घोषित करने के बाद से आप न तो चुनाव-प्रचार प्रसार और न ही संगठनात्मक कार्य में रूचि ले रहे हैं. आपने मताधिकार का प्रयोग करना भी उचित नहीं समझा. इससे पार्टी की छवि धूमिल हुई है. इसलिए दो दिन के भीतर स्पष्टीकरण दें.

इसी तरह का नोटिस धनबाद विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार भाजपा विधायक बने राज सिन्हा, धनबाद सदर मंडल अध्यक्ष निर्मल प्रधान, बैंक मोड़ मंडल अध्यक्ष शिवेंद्र सिंह, भूली मंडल अध्यक्ष सुमन सिंह, मनईटांड़ मंडल अध्यक्ष मौसम सिंह और धनबाद प्रखंड मंडल अध्यक्ष विकास मिश्रा को जारी नोटिस में लिखा गया है कि आप सभी पार्टी के कार्यक्रमों में रूचि नहीं दिखा रहे हैं. साथ ही जगह-जगह पार्टी के खिलाफ बोल रहे हैं. सभी से दो दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है.

खास बात है कि झारखंड में ऐसा पहली बार हुआ है कि सांसद और विधायक समेत पांच मंडल अध्यक्षों को एक साथ नोटिस जारी किया गया हो. हालांकि नोटिस के बाबत धनबाद के विधायक राज सिन्हा से पक्ष लेने की कोशिश की गई तो उन्होंने फिलहाल इसपर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. वैसे जगजाहिर है कि पीएन सिंह की जगह ढुल्लू महतो को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से धनबाद का पारा चढ़ा हुआ है. ढुल्लू महतो और राज सिन्हा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा है.

लेकिन ज्यादा चर्चा जयंत सिन्हा को जारी नोटिस को लेकर हो रही है. इसकी वजह भी है. एक तो ये कि वोट देना और ना देना, यह व्यक्ति विशेष का अधिकार होता है. दूसरा ये कि हजारीबाग से टिकट कटने के बाद जयंत सिन्हा ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें चुनावी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए.

इसपर जयंत सिन्हा का पक्ष लेने की कोशिश की गई लेकिन जानकारी मिली कि वह हजारीबाग में नहीं हैं. फोन भी रिसीव नहीं कर रहे हैं. अब सवाल है कि हजारीबाग सीट पर चुनाव संपन्न होने के ठीक बाद नोटिस जारी क्यों किया गया. इसपर राजनीति के जानकारों का पक्ष जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि टिकट कटने के बाद जयंत सिन्हा का पार्टी और नये प्रत्याशी को लेकर क्या स्टैंड रहा था.

जयंत सिन्हा ने पूर्व में ही जेपी नड्डा को भेजा था संदेश

दरअसल, जयंत सिन्हा ने 2 मार्च को ही पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के नाम एक्स पर अपने संदेश में लिखा था कि चुनावी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए ताकि मैं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ग्लोबल क्लाइमेट चेंज पर काम कर सकूं. उन्होंने लिखा था कि आर्थिक और गवर्नेंस के मसले पर पार्टी के लिए काम करता रहूंगा. जयंत सिन्हा ने दो बार सांसद के रूप में हजारीबाग और देश की जनता की सेवा का मौका देने के लिए पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के प्रति भी आभार जताया था.

जयंत सिन्हा ने खुद मनीष जयसवाल के लिए मांगा था वोट

हजारीबाग से टिकट कटने के बावजूद निवर्तमान सांसद जयंत सिन्हा से जब भाजपा प्रत्याशी मनीष जायसवाल ने मुलाकात की थी, तब जयंत सिन्हा ने वीडियो जारी कर उनको शुभकामनाएं देते हुए उनके पक्ष में वोट देने की अपील की थी. 8 मार्च को जारी वीडियो में जयंत सिन्हा ने कहा था कि पूरा भरोसा है कि हम सभी एक बार फिर हजारीबाग में रिकॉर्ड मार्जिन से कमल खिलाएंगे.

जयंत सिन्हा ने खुद की थी वोट देने की अपील

3 अप्रैल को जयंत सिन्हा ने आईआईएम, रांची के एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य के रूप में अपने एक्स हैंडल के जरिए वोटिंग को लेकर संदेश जारी किया था. उन्होंने युवा नव मतदाताओं से अपील की थी कि आप जरूर वोट दें. देश के निर्माण में भागीदार बनें. लेकिन उन्होंने देश के निर्माण के लिए खुद अपना वोट नहीं दिया. लिहाजा, उनके इस स्टैंड को पार्टी के प्रति नाराजगी के रूप देखा जा रहा है. वैसे इसपर जयंत सिन्हा का प्रतिक्रिया आना बाकी है.

नोटिस पर राजनीति के जानकारों का पक्ष

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी का कहना है कि अनुशासनहीनता ही आधार है तो यह अन्य पर भी दिखना चाहिए था. बेशक, जयंत सिन्हा ने चुनाव से खुद को दूर रखा लेकिन वोट नहीं देने को कारण बनाना और हजारीबाग में चुनाव संपन्न होने के बाद नोटिस जारी करना पार्टी हित में अच्छा फैसला नहीं कहा जा सकता है. यह भी समझना चाहिए कि राज्य में विधानसभा का चुनाव करीब है.

इस एक्शन को लोग जाति से भी जोड़कर देख रहे हैं. इसपर भी गौर करना चाहिए कि धनबाद प्रत्याशी ढुल्लू महतो ने भी चुनाव प्रचार के दौरान निवर्तमान सांसद और धनबाद विधायक राज सिन्हा के खिलाफ बयान दिए है. जाहिर है कि नाराजगी स्वरूप प्रतिक्रिया तो आएगी ही. सवाल उठेंगे कि पार्टी ने ढुल्लू महतो के बयान पर लगाम लगाने के लिए क्या किया.

कुणाल षाड़ंगी पर भी गौर करना चाहिए. उन्होंने भी पार्टी के प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दिया था. वो भी तब जब घाटशिला में पीएम मोदी की सभा थी. लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. संभव है कि चुनाव के बाद उन पर कार्रवाई हो. लेकिन सवाल वही है कि सबको एक नजर से क्यों नहीं देखा जा रहा है. यह भी देखना चाहिए था कि पीएन सिंह कितने सक्रिय हैं.

वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार का कहना है कि इसका एक और पहलू है. कुणाल षाड़ंगी ने प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि पार्टी ने उनको कोई दायित्व नहीं दिया. धनबाद में प्रत्याशी ने तो राज सिन्हा को कोयला माफिया से मिला हुआ बताया था. रवींद्र पांडेय के खिलाफ भी बयान दिया था. प्रत्याशी अगर सांसद और विधायक को बदनाम करेगा तो कोई अपनी इज्जत बेचकर कैसे काम करेगा.

जमशेदपुर में 19 मई को पीएम के कार्यक्रम से एक दिन पहले पूर्व जिलाध्यक्ष और कार्यकर्ता के बीच मारपीट हुई. वीडियो भी वायरल हुआ. इसपर किसी को शोकॉज नहीं हुआ. लेकिन जयंत सिन्हा ने वोट नहीं डाला तो पार्टी की छवि धूमिल हो गई. वोट नहीं डालने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. अगर जयंत सिन्हा ने काम नहीं किया तो यह बताना चाहिए कि क्या पार्टी ने उन्हें कोई दायित्व दिया था.

यहां तो भाजपा पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रही है. कई बूथों पर मैनेजमेंट नहीं दिखा है. प्रदेश प्रभारी की भी मौजूदगी कम हुई है. यह बता रहा है प्रदेश भाजपा के भीतर कुछ गड़बड़झाला चल रहा है. पार्टी का असली कैडर निराश है. प्लानिंग को धरातल पर उतारने के लिए कुछ नहीं हो रहा है. उम्मीद है कि कुणाल षाड़ंगी को भी 25 मई के बाद नोटिस जारी हो जाएगा. चलते चुनाव में यह पहली घटना है कि भाजपा ऐसा स्टेप उठा रही है. यह बता रहा है कि कुछ गड़बड़ है. आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव है. तब इसका असर और खुलकर दिखने लगेगा.

मनीष के खिलाफ यशवंत सिन्हा रहे हैं हमलावर

हां, इसमें कोई डाउट नहीं है कि एक जमाने में भाजपा के सबसे कद्दावर नेताओं में एक रहे हजारीबाग के पूर्व सांसद और देश के वित्त सह विदेश मंत्री रहे यशवंत सिन्हा इस चुनाव में सख्त दिखे हैं. उन्होंने कई बार भाजपा प्रत्याशी मनीष जायसवाल पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने यहां तक कहा था कि मनीष जायसवाल को घमंड है कि चार पीढ़ियों से उनका परिवार व्यापार करता है. लेकिन उन्होंने नहीं बताया कि क्या व्यापार है. उनका परिवार शराब का कारोबार करता है. उसी धंधे से मुनाफा कमाकर दुरुपयोग किया.

उन्होंने कोयले के डंप में अनाप-शनाप तरीके से कमाया है और भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं को अपना पेड वर्कर बना दिया है. साथ ही जमीन और बालू का भी धंधा करते हैं. पता होना चाहिए कि नाजायज ढंग से कमाया हुआ पैसा एक दिन समाप्त हो जाएगा. उनका राजनीतिक करियर भी दाव पर है और वह समाप्ति की ओर है. यही नहीं यशवंत सिन्हा ने अपने फेसबुक पेज पर मनीष जायसवाल की तस्वीर की तुलना रावण से की थी. उन्होंने लिखा था कि जहां नेता व्यापारी वहां प्रजा भिखारी. इसके आगे कुछ बोलने की जरूरत नहीं.....

कुल मिलाकर देखें तो चुनाव के बीच प्रदेश भाजपा ने अपने निवर्तमान सांसद जयंत सिन्हा और धनबाद के विधायक राज सिन्हा के खिलाफ जिस तरह से नोटिस जारी किया है, वह चर्चा के केंद्र में तो आ ही गया है. अगर विपक्ष इसपर परसेप्शन तैयार करने में सफल रहा तो इसका खामियाजा किसको भुगतना पड़ेगा, यह समझा जा सकता है.

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प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के हवाले से प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू द्वारा जारी पत्र में लिखा गया है कि मनीष जायसवाल को हजारीबाग प्रत्याशी घोषित करने के बाद से आप न तो चुनाव-प्रचार प्रसार और न ही संगठनात्मक कार्य में रूचि ले रहे हैं. आपने मताधिकार का प्रयोग करना भी उचित नहीं समझा. इससे पार्टी की छवि धूमिल हुई है. इसलिए दो दिन के भीतर स्पष्टीकरण दें.

इसी तरह का नोटिस धनबाद विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार भाजपा विधायक बने राज सिन्हा, धनबाद सदर मंडल अध्यक्ष निर्मल प्रधान, बैंक मोड़ मंडल अध्यक्ष शिवेंद्र सिंह, भूली मंडल अध्यक्ष सुमन सिंह, मनईटांड़ मंडल अध्यक्ष मौसम सिंह और धनबाद प्रखंड मंडल अध्यक्ष विकास मिश्रा को जारी नोटिस में लिखा गया है कि आप सभी पार्टी के कार्यक्रमों में रूचि नहीं दिखा रहे हैं. साथ ही जगह-जगह पार्टी के खिलाफ बोल रहे हैं. सभी से दो दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है.

खास बात है कि झारखंड में ऐसा पहली बार हुआ है कि सांसद और विधायक समेत पांच मंडल अध्यक्षों को एक साथ नोटिस जारी किया गया हो. हालांकि नोटिस के बाबत धनबाद के विधायक राज सिन्हा से पक्ष लेने की कोशिश की गई तो उन्होंने फिलहाल इसपर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. वैसे जगजाहिर है कि पीएन सिंह की जगह ढुल्लू महतो को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से धनबाद का पारा चढ़ा हुआ है. ढुल्लू महतो और राज सिन्हा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा है.

लेकिन ज्यादा चर्चा जयंत सिन्हा को जारी नोटिस को लेकर हो रही है. इसकी वजह भी है. एक तो ये कि वोट देना और ना देना, यह व्यक्ति विशेष का अधिकार होता है. दूसरा ये कि हजारीबाग से टिकट कटने के बाद जयंत सिन्हा ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें चुनावी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए.

इसपर जयंत सिन्हा का पक्ष लेने की कोशिश की गई लेकिन जानकारी मिली कि वह हजारीबाग में नहीं हैं. फोन भी रिसीव नहीं कर रहे हैं. अब सवाल है कि हजारीबाग सीट पर चुनाव संपन्न होने के ठीक बाद नोटिस जारी क्यों किया गया. इसपर राजनीति के जानकारों का पक्ष जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि टिकट कटने के बाद जयंत सिन्हा का पार्टी और नये प्रत्याशी को लेकर क्या स्टैंड रहा था.

जयंत सिन्हा ने पूर्व में ही जेपी नड्डा को भेजा था संदेश

दरअसल, जयंत सिन्हा ने 2 मार्च को ही पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के नाम एक्स पर अपने संदेश में लिखा था कि चुनावी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए ताकि मैं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ग्लोबल क्लाइमेट चेंज पर काम कर सकूं. उन्होंने लिखा था कि आर्थिक और गवर्नेंस के मसले पर पार्टी के लिए काम करता रहूंगा. जयंत सिन्हा ने दो बार सांसद के रूप में हजारीबाग और देश की जनता की सेवा का मौका देने के लिए पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के प्रति भी आभार जताया था.

जयंत सिन्हा ने खुद मनीष जयसवाल के लिए मांगा था वोट

हजारीबाग से टिकट कटने के बावजूद निवर्तमान सांसद जयंत सिन्हा से जब भाजपा प्रत्याशी मनीष जायसवाल ने मुलाकात की थी, तब जयंत सिन्हा ने वीडियो जारी कर उनको शुभकामनाएं देते हुए उनके पक्ष में वोट देने की अपील की थी. 8 मार्च को जारी वीडियो में जयंत सिन्हा ने कहा था कि पूरा भरोसा है कि हम सभी एक बार फिर हजारीबाग में रिकॉर्ड मार्जिन से कमल खिलाएंगे.

जयंत सिन्हा ने खुद की थी वोट देने की अपील

3 अप्रैल को जयंत सिन्हा ने आईआईएम, रांची के एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य के रूप में अपने एक्स हैंडल के जरिए वोटिंग को लेकर संदेश जारी किया था. उन्होंने युवा नव मतदाताओं से अपील की थी कि आप जरूर वोट दें. देश के निर्माण में भागीदार बनें. लेकिन उन्होंने देश के निर्माण के लिए खुद अपना वोट नहीं दिया. लिहाजा, उनके इस स्टैंड को पार्टी के प्रति नाराजगी के रूप देखा जा रहा है. वैसे इसपर जयंत सिन्हा का प्रतिक्रिया आना बाकी है.

नोटिस पर राजनीति के जानकारों का पक्ष

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी का कहना है कि अनुशासनहीनता ही आधार है तो यह अन्य पर भी दिखना चाहिए था. बेशक, जयंत सिन्हा ने चुनाव से खुद को दूर रखा लेकिन वोट नहीं देने को कारण बनाना और हजारीबाग में चुनाव संपन्न होने के बाद नोटिस जारी करना पार्टी हित में अच्छा फैसला नहीं कहा जा सकता है. यह भी समझना चाहिए कि राज्य में विधानसभा का चुनाव करीब है.

इस एक्शन को लोग जाति से भी जोड़कर देख रहे हैं. इसपर भी गौर करना चाहिए कि धनबाद प्रत्याशी ढुल्लू महतो ने भी चुनाव प्रचार के दौरान निवर्तमान सांसद और धनबाद विधायक राज सिन्हा के खिलाफ बयान दिए है. जाहिर है कि नाराजगी स्वरूप प्रतिक्रिया तो आएगी ही. सवाल उठेंगे कि पार्टी ने ढुल्लू महतो के बयान पर लगाम लगाने के लिए क्या किया.

कुणाल षाड़ंगी पर भी गौर करना चाहिए. उन्होंने भी पार्टी के प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दिया था. वो भी तब जब घाटशिला में पीएम मोदी की सभा थी. लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. संभव है कि चुनाव के बाद उन पर कार्रवाई हो. लेकिन सवाल वही है कि सबको एक नजर से क्यों नहीं देखा जा रहा है. यह भी देखना चाहिए था कि पीएन सिंह कितने सक्रिय हैं.

वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार का कहना है कि इसका एक और पहलू है. कुणाल षाड़ंगी ने प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि पार्टी ने उनको कोई दायित्व नहीं दिया. धनबाद में प्रत्याशी ने तो राज सिन्हा को कोयला माफिया से मिला हुआ बताया था. रवींद्र पांडेय के खिलाफ भी बयान दिया था. प्रत्याशी अगर सांसद और विधायक को बदनाम करेगा तो कोई अपनी इज्जत बेचकर कैसे काम करेगा.

जमशेदपुर में 19 मई को पीएम के कार्यक्रम से एक दिन पहले पूर्व जिलाध्यक्ष और कार्यकर्ता के बीच मारपीट हुई. वीडियो भी वायरल हुआ. इसपर किसी को शोकॉज नहीं हुआ. लेकिन जयंत सिन्हा ने वोट नहीं डाला तो पार्टी की छवि धूमिल हो गई. वोट नहीं डालने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. अगर जयंत सिन्हा ने काम नहीं किया तो यह बताना चाहिए कि क्या पार्टी ने उन्हें कोई दायित्व दिया था.

यहां तो भाजपा पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रही है. कई बूथों पर मैनेजमेंट नहीं दिखा है. प्रदेश प्रभारी की भी मौजूदगी कम हुई है. यह बता रहा है प्रदेश भाजपा के भीतर कुछ गड़बड़झाला चल रहा है. पार्टी का असली कैडर निराश है. प्लानिंग को धरातल पर उतारने के लिए कुछ नहीं हो रहा है. उम्मीद है कि कुणाल षाड़ंगी को भी 25 मई के बाद नोटिस जारी हो जाएगा. चलते चुनाव में यह पहली घटना है कि भाजपा ऐसा स्टेप उठा रही है. यह बता रहा है कि कुछ गड़बड़ है. आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव है. तब इसका असर और खुलकर दिखने लगेगा.

मनीष के खिलाफ यशवंत सिन्हा रहे हैं हमलावर

हां, इसमें कोई डाउट नहीं है कि एक जमाने में भाजपा के सबसे कद्दावर नेताओं में एक रहे हजारीबाग के पूर्व सांसद और देश के वित्त सह विदेश मंत्री रहे यशवंत सिन्हा इस चुनाव में सख्त दिखे हैं. उन्होंने कई बार भाजपा प्रत्याशी मनीष जायसवाल पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने यहां तक कहा था कि मनीष जायसवाल को घमंड है कि चार पीढ़ियों से उनका परिवार व्यापार करता है. लेकिन उन्होंने नहीं बताया कि क्या व्यापार है. उनका परिवार शराब का कारोबार करता है. उसी धंधे से मुनाफा कमाकर दुरुपयोग किया.

उन्होंने कोयले के डंप में अनाप-शनाप तरीके से कमाया है और भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं को अपना पेड वर्कर बना दिया है. साथ ही जमीन और बालू का भी धंधा करते हैं. पता होना चाहिए कि नाजायज ढंग से कमाया हुआ पैसा एक दिन समाप्त हो जाएगा. उनका राजनीतिक करियर भी दाव पर है और वह समाप्ति की ओर है. यही नहीं यशवंत सिन्हा ने अपने फेसबुक पेज पर मनीष जायसवाल की तस्वीर की तुलना रावण से की थी. उन्होंने लिखा था कि जहां नेता व्यापारी वहां प्रजा भिखारी. इसके आगे कुछ बोलने की जरूरत नहीं.....

कुल मिलाकर देखें तो चुनाव के बीच प्रदेश भाजपा ने अपने निवर्तमान सांसद जयंत सिन्हा और धनबाद के विधायक राज सिन्हा के खिलाफ जिस तरह से नोटिस जारी किया है, वह चर्चा के केंद्र में तो आ ही गया है. अगर विपक्ष इसपर परसेप्शन तैयार करने में सफल रहा तो इसका खामियाजा किसको भुगतना पड़ेगा, यह समझा जा सकता है.

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