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गोवंश पर कहर बनकर टूट रहा लंपी वायरस, राजस्थान के रास्ते मध्य प्रदेश में एंट्री, अलर्ट जारी - Lumpi Virus ALERT Madhya Pradesh

राजस्थान में लंपी वायरस घातक हो चला है. राजस्थान से जुड़े मध्य प्रदेश के रतलाम, मंदसौर और नीमच जिले में लंपी वायरस का खतरा मंडराने लगा है. यहां कई गांव में गायों में लक्षण मिले हैं. जिसके बाद पशुपालन विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है.

lumpy skin disease animals
मध्य प्रदेश में लंपी वायरस की दस्तक (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 28, 2024, 8:37 PM IST

रतलाम: राजस्थान के कई जिलों में गोवंश में लंपी वायरस की बीमारी फैलने के बाद मध्य प्रदेश में भी लंपी वायरस को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. राजस्थान से लगे मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिलों रतलाम, मंदसौर और नीमच में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं. पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने सभी पशु चिकित्सालय और वेटनरी फील्ड ऑफिसर को सतर्कता बरतने एवं पशुओं में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर उपचार देने एवं टीकाकरण अभियान चलाने के निर्देश दिए है.

2 वर्ष पहले लंपी वायरस से मालवा क्षेत्र में गोवंशों की मौत
पशु पालन एवं डेयरी विभाग ने एडवाइजरी जारी कर पशुओं में लंपी वायरस के लक्षण नजर आने पर पशु को आइसोलेट करने और उपचार करवाने की सलाह भी दी है. गौरतलब है कि 2 वर्ष पूर्व लंपी वायरस की वजह से फैली लंपी स्किन डिसिस की वजह से मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में दर्जनों गोवंश की मौत हो गई थी. यह वाइरस मुख्यतः गोवंश में ही फैलता है. जिससे पशु के शरीर पर छोटी-छोटी गिठाने हो जाती हैं. जिससे खून और लिक्विड बहने लगता है. पशु खाना- पीना छोड़ देता है जिसकी वजह से कमजोर होकर उसकी मौत हो जाती है.

LUMPI VIRUS ALERT MADHYA PRADESH
लंपी वायरस को लेकर एमपी में हाई अलर्ट (ETV Bharat)

क्या है लंपी वायरस
पशु पालन एवं डेयरी विभाग के उपसंचालक डॉ. नवीन शुक्ला ने ईटीवी भारत से चर्चा में बताया कि, ''लंपी वायरस पशुओं में होने वाली एक वायरल बीमारी है. लंपी वायरस रक्त चूसने वाले कीड़ों से एक पशु से दूसरे पशु तक पहुंचता है. इस बीमारी की शुरुआत में पशु के शरीर पर छोटी-छोटी गिठाने बन जाती हैं, जो बाद में छोटे-छोटे घावों में बदल जाती हैं और पशु के शरीर पर जख्म नजर आने लगते हैं. पशु खाना पीना कम कर देता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है.'' डॉ नवीन शुक्ला के अनुसार इसमें मृत्यु दर कम होती है लेकिन इस बीमारी का संक्रमण तेजी से फैलता है. जिससे पशुओं का दुग्ध उत्पादन प्रभावित हो जाता है. कुछ मामलों में पशु कमजोर हो जाता है जिससे उसकी मौत हो जाती है. डॉ शुक्ला ने बताया कि, ''यह बीमारी गोवंश में ही प्रमुखता से फैलती है. इस बीमारी का पशुओं से मनुष्यों में ट्रांसफर होने की संभावना नहीं होती है.''

पशुओं का टीकाकरण करवा लें पशु पालक
पशु पालन विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार, सबसे पहले तो पशुपालक अपने पशुओं का नियमित टीकाकरण करवाए. यदि टीकाकरण नहीं करवाया है तो एलएसडी (लंपी स्किन डिसीस) का टीका अपने सभी पशुओं को लगवाएं. प्रभावित क्षेत्र के पशु मेला अथवा पशु हाट से पशु खरीद कर नहीं लाए एवं न ही बिक्री के लिए ले जाएं. अपने स्वस्थ्य पशुओं को अन्य पशुओं के संपर्क में आने से बचा कर रखें. पशुओं के आवास को साफ एवं स्वच्छ रखें. मच्छर और मक्खी से पशुओं का बचाव करें. गांव के सार्वजनिक चारागाह, तालाब, नदी-नाले पर पशुओं को चराने या पानी पिलाने नहीं ले जाए. पशुओं के शरीर पर बीमारी के लक्षण पाए जाने पर पशु को अन्य पशुओं से अलग बांध कर उसके चारे और पानी की व्यवस्था पृथक करें. स्थानीय पशु चिकित्सक से पशु का उपचार करवाएं. पशु को समय रहते उपचार मिलने पर दो से तीन हफ्तों में पशु स्वस्थ्य हो जाता है.

lumpy skin disease animals
गोवंश पर कहर बनकर टूटा लंपी वायरस (ETV Bharat)

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बीमारी के लक्षण मिलने पर यह करे पशुपालक
पशुपालक अपने स्वस्थ्य पशुओं को संक्रमित हुए पशु के संपर्क में आने से बचा कर रखें. खून चूसने वाले मच्छर और मक्खी जैसे कीड़ों से पशुशाला को मुक्त रखें. पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी का काढ़ा बनाकर पिला सकते हैं. सावधानी बरते की गाभिन (गर्भवती) पशुओं को गिलोय का काढ़ा नहीं पिलाए. पशुओं को हरे धनिए की पत्ती खिलाए जिससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. पशु के शरीर पर गठाने या घाव होने पर नीम के पत्ते पानी में उबालकर या फिटकरी के पानी से घाव को साफ करें. स्थानीय पशु चिकित्सक से पशु का उपचार करवाए.

मध्य प्रदेश में अलर्ट मोड पर पशु पालन विभाग
बहरहाल एहतियात के तौर पर लंपी वायरस से प्रभावित राजस्थान से लगे रतलाम, मंदसौर और नीमच में भी पशु पालन विभाग ने सभी संस्थाओं को अलर्ट पर रखा है. इन जिलों में लगने वाले पशु हाट पर भी विभाग की नजर रहेगी. सभी पशु चिकित्सा संस्थाओ को टीकाकरण अभियान जिले के बाहरी क्षेत्र से अंदर की ओर किए जाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं.

रतलाम: राजस्थान के कई जिलों में गोवंश में लंपी वायरस की बीमारी फैलने के बाद मध्य प्रदेश में भी लंपी वायरस को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. राजस्थान से लगे मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिलों रतलाम, मंदसौर और नीमच में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं. पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने सभी पशु चिकित्सालय और वेटनरी फील्ड ऑफिसर को सतर्कता बरतने एवं पशुओं में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर उपचार देने एवं टीकाकरण अभियान चलाने के निर्देश दिए है.

2 वर्ष पहले लंपी वायरस से मालवा क्षेत्र में गोवंशों की मौत
पशु पालन एवं डेयरी विभाग ने एडवाइजरी जारी कर पशुओं में लंपी वायरस के लक्षण नजर आने पर पशु को आइसोलेट करने और उपचार करवाने की सलाह भी दी है. गौरतलब है कि 2 वर्ष पूर्व लंपी वायरस की वजह से फैली लंपी स्किन डिसिस की वजह से मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में दर्जनों गोवंश की मौत हो गई थी. यह वाइरस मुख्यतः गोवंश में ही फैलता है. जिससे पशु के शरीर पर छोटी-छोटी गिठाने हो जाती हैं. जिससे खून और लिक्विड बहने लगता है. पशु खाना- पीना छोड़ देता है जिसकी वजह से कमजोर होकर उसकी मौत हो जाती है.

LUMPI VIRUS ALERT MADHYA PRADESH
लंपी वायरस को लेकर एमपी में हाई अलर्ट (ETV Bharat)

क्या है लंपी वायरस
पशु पालन एवं डेयरी विभाग के उपसंचालक डॉ. नवीन शुक्ला ने ईटीवी भारत से चर्चा में बताया कि, ''लंपी वायरस पशुओं में होने वाली एक वायरल बीमारी है. लंपी वायरस रक्त चूसने वाले कीड़ों से एक पशु से दूसरे पशु तक पहुंचता है. इस बीमारी की शुरुआत में पशु के शरीर पर छोटी-छोटी गिठाने बन जाती हैं, जो बाद में छोटे-छोटे घावों में बदल जाती हैं और पशु के शरीर पर जख्म नजर आने लगते हैं. पशु खाना पीना कम कर देता है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने लगती है.'' डॉ नवीन शुक्ला के अनुसार इसमें मृत्यु दर कम होती है लेकिन इस बीमारी का संक्रमण तेजी से फैलता है. जिससे पशुओं का दुग्ध उत्पादन प्रभावित हो जाता है. कुछ मामलों में पशु कमजोर हो जाता है जिससे उसकी मौत हो जाती है. डॉ शुक्ला ने बताया कि, ''यह बीमारी गोवंश में ही प्रमुखता से फैलती है. इस बीमारी का पशुओं से मनुष्यों में ट्रांसफर होने की संभावना नहीं होती है.''

पशुओं का टीकाकरण करवा लें पशु पालक
पशु पालन विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार, सबसे पहले तो पशुपालक अपने पशुओं का नियमित टीकाकरण करवाए. यदि टीकाकरण नहीं करवाया है तो एलएसडी (लंपी स्किन डिसीस) का टीका अपने सभी पशुओं को लगवाएं. प्रभावित क्षेत्र के पशु मेला अथवा पशु हाट से पशु खरीद कर नहीं लाए एवं न ही बिक्री के लिए ले जाएं. अपने स्वस्थ्य पशुओं को अन्य पशुओं के संपर्क में आने से बचा कर रखें. पशुओं के आवास को साफ एवं स्वच्छ रखें. मच्छर और मक्खी से पशुओं का बचाव करें. गांव के सार्वजनिक चारागाह, तालाब, नदी-नाले पर पशुओं को चराने या पानी पिलाने नहीं ले जाए. पशुओं के शरीर पर बीमारी के लक्षण पाए जाने पर पशु को अन्य पशुओं से अलग बांध कर उसके चारे और पानी की व्यवस्था पृथक करें. स्थानीय पशु चिकित्सक से पशु का उपचार करवाएं. पशु को समय रहते उपचार मिलने पर दो से तीन हफ्तों में पशु स्वस्थ्य हो जाता है.

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पशुपालक अपने स्वस्थ्य पशुओं को संक्रमित हुए पशु के संपर्क में आने से बचा कर रखें. खून चूसने वाले मच्छर और मक्खी जैसे कीड़ों से पशुशाला को मुक्त रखें. पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी का काढ़ा बनाकर पिला सकते हैं. सावधानी बरते की गाभिन (गर्भवती) पशुओं को गिलोय का काढ़ा नहीं पिलाए. पशुओं को हरे धनिए की पत्ती खिलाए जिससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. पशु के शरीर पर गठाने या घाव होने पर नीम के पत्ते पानी में उबालकर या फिटकरी के पानी से घाव को साफ करें. स्थानीय पशु चिकित्सक से पशु का उपचार करवाए.

मध्य प्रदेश में अलर्ट मोड पर पशु पालन विभाग
बहरहाल एहतियात के तौर पर लंपी वायरस से प्रभावित राजस्थान से लगे रतलाम, मंदसौर और नीमच में भी पशु पालन विभाग ने सभी संस्थाओं को अलर्ट पर रखा है. इन जिलों में लगने वाले पशु हाट पर भी विभाग की नजर रहेगी. सभी पशु चिकित्सा संस्थाओ को टीकाकरण अभियान जिले के बाहरी क्षेत्र से अंदर की ओर किए जाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं.

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