रतलाम: मध्य प्रदेश के रतलाम के प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर में इस वर्ष भी धन के देवता कुबेर का खजाना सज गया है. श्रद्धालुओं ने अपनी धन दौलत मांं के दरबार को सजाने के लिए अर्पित की है. इस बार मांं के दरबार में दिनार और डॉलर जैसी विदेशी मुद्राओं सहित पौने दो करोड़ की नगद राशि सजावट के लिए रखी गई है. वहीं करीब 4 करोड़ रुपये के सोने चांदी के आभूषण और बर्तन भी माता लक्ष्मी के दरबार में सजाए गए हैं. यही वजह है कि इस धन दौलत को कुबेर का खजाना कहा जाता है.
रियासतकाल से चली आ रही परंपरा
महालक्ष्मी मंदिर में रियासत काल से चली आ रही परंपरा के तहत श्रद्धालु अपनी धन दौलत साज-सज्जा के लिए जमा करवाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने पर माता लक्ष्मी की कृपा से चढ़ाई गई धन दौलत में बरकत मिलती है और धन वैभव बढ़ता है. 5 दिन के दीपोत्सव पर्व के बाद इस धन दौलत को वापस उनके मालिकों को लौटा दिया जाता है. धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में कुबेर की पोटलियां भी बांटी जाती हैं. ये उन लोगों के लिए होती हैं, जो अपनी धन दौलत मंदिर में नहीं रख पाते हैं.
देश के कई शहरों से पहुंचती है धन दौलत
रतलाम का यह महालक्ष्मी मंदिर श्रद्धालुओं द्वारा मां लक्ष्मी के दरबार में सजाए जाने वाली करोड़ों रुपये की दौलत के लिए देशभर में प्रसिद्ध है. यहां राजस्थान , गुजरात सहित देश के बड़े शहरों से श्रद्धालु अपनी धन और दौलत महालक्ष्मी के दरबार में सजाने के लिए भेजते हैं. इन जमा हुए नगद और आभूषणों से दिवाली के 5 दिनों तक महालक्ष्मी का श्रृंगार किया जाता है. धनतेरस के दिन माता के दरबार में इतनी धन दौलत इकट्ठा हो जाती है कि आंखें फटी की फटी रह जाती. माता के मंदिर में धन दौलत चढ़ाने पहुंचे श्रद्धालुओं का मानना है कि मां लक्ष्मी के दरबार में 5 दिनों तक अपनी दौलत सजाने पर उसमें महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. जिससे धन दौलत बढ़ती है. कई श्रद्धालुओं का कहना है कि वह हर वर्ष ऐसा करते हैं. जिससे उन्हें माता की कृपा प्राप्त होती है.
खजाने में क्या-क्या सजाया गया
श्री माली ब्राह्मण समाज के सचिव कुलदीप त्रिवेदी और मंदिर के पुजारी सत्यनारायण व्यास ने बताया कि "माता लक्ष्मी के मंदिर में सजावट के लिए ₹10 के नोट से लेकर 500 के नोटों से बने वंदनवार लगाए गए हैं. मंदिर में सजावट के लिए दिनार, डॉलर और श्रीलंका की मुद्रा सहित करीब पौने दो करोड़ रुपये नगद आया है. वहीं, सोने और चांदी के आभूषण- बर्तन का अनुमानित मूल्य भी 4 करोड़ रुपए के लगभग है."
कुबेर की पोटली का वितरण
दीवाली के त्यौहार के पहले दिन यानि धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त में कुबेर की पोटलियां भी बांटी जाती हैं. ये उन लोगों के लिए होती हैं, जो अपनी धन दौलत मंदिर में नहीं रख पाते हैंदीपावली पर महालक्ष्मी पूजा में करें 7 काम 1 पाठ, नहीं होगी पूरे साल पैसों की तंगीदीपावली पर महालक्ष्मी पूजा में करें 7 काम 1 पाठ, नहीं होगी पूरे साल पैसों की तंगी. उन्हें ये कुबेर की पोटलियां प्रसादी के रूप में दी जाती हैं, जिसे लेने के लिए लोगों की लंबी-लंबी कतारें लगती हैं. लोग इसे सहेजकर अपनी तिजोरियों में रखते है. श्रद्धालुओं का मानना है कि इससे माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
कोरोना काल के बाद इस वर्ष एक बार फिर कुबेर की पोटलियों का वितरण रतलाम कलेक्टर राजेश बाथम की परमिशन से शुरू करवाया गया है. मंदिर में सुबह की आरती के समय रतलाम कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक भी मौजूद रहे. इसके बाद इस वर्ष एक बार फिर कुबेर की पोटली का वितरण भी श्रद्धालुओं को किया गया. जिसे प्राप्त करने के लिए सुबह 3:00 से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग गई.
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सीसीटीवी कैमरा और पुलिस के जवान दे रहे पहरा
मंदिर में करोड़ो रूपए का चढ़ावा चढ़ता है तो सुरक्षा के इंतजाम भी पर्याप्त मात्रा में किए जाते हैं. मां लक्ष्मी के दरबार में सजे कुबेर के खजाने की रक्षा के लिए यहां 8 सीसीटीवी कैमरों की मदद से हर व्यक्ति पर निगरानी रखी जाती है .वही माणक चौक थाने के हथियारों से लैस 8 जवान हर समय मंदिर की सुरक्षा में मुस्तैद रहते है. 5 दिन के दीपोत्सव पर्व के बाद इस धन दौलत को वापस उनके मालिकों को लौटा दिया जाएगा.