देहरादून: युवाओं को बचपन से ही भारतीय सेना में शामिल होने का हुनर देने वाले RIMC (राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज) के कई छात्र यूं तो सेना में अफसर के तौर पर चुने जाते रहे हैं, लेकिन आज का दिन RIMC के शिक्षक बीएस चौहान के लिए बेहद खास रहा. बीएस चौहान अबतक अपने विद्यालय के छात्रों की कामयाबी को देखते थे लेकिन आज उनके बेटे रुद्राक्ष ने भी उनका नाम रोशन किया है. इसके पीछे रुद्राक्ष की कड़ी मेहनत है. परिजन रुद्राक्ष के पिता बीएस चौहान का इसमें बेहद अहम रोल मानते हैं.
भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होकर सेना में अफसर बनने वाले हर कैडेट के इस मुकाम तक पहुंचने की अपनी एक वजह है. लेफ्टिनेंट रुद्राक्ष चौहान भी इसी तरह एक खास वजह के चलते सेना में अफसर बनने तक के सफर को हासिल कर पाए हैं. दरअसल, रुद्राक्ष के पिता बीएस चौहान RIMC यानि राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज में एक शिक्षक के तौर पर काम कर रहे हैं. राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज एक ऐसा विद्यालय है जहां से बड़ी संख्या में छात्र अपनी विद्यालयी शिक्षा पूरी करने के बाद सेना में अफसर के तौर पर चयनित होने के लिए संघर्ष करते हैं. फिर उनका सिलेक्शन भी होता है.
रुद्राक्ष चौहान राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज में तमाम छात्रों के इस संघर्ष को देखते रहे हैं. उनकी कामयाबी को भी महसूस करते रहें हैं. जाहिर है कि एक शिक्षक के तौर पर उन्होंने कई छात्रों को भारतीय सेना में अफसर के तौर पर कामयाब होते हुए देखा. ऐसे में खुद के बेटे को भी सेना में अफ़सर बनाने की उनकी इच्छा रही. इसी तरह रुद्राक्ष भी अपने पिता के मोटिवेशन के साथ सेना में अफसर बनने का सपना देखता रहा. रुद्राक्ष ने राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद एनडीए और SSB की तैयारी शुरू की. जिसके चलते कड़ी मेहनत की बदौलत रुद्राक्ष ने NDA क्लियर किया. सेना के अफसर बनने की तरफ बढ़ चला.
रुद्राक्ष चौहान ने बताया अपनी ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने अकादमी की कठिन परीक्षा को पास किया है. रुद्राक्ष बताते हैं कि भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण को बेहद प्लान्ड तरीके से करवाया जाता है. प्रशिक्षण कठिन जरूर होता है लेकिन भविष्य की चुनौतियों के लिए प्रशिक्षण का कठिन होना बेहद जरूरी भी है.
रुद्राक्ष चौहान राजस्थान के रहने वाले हैं. उन्होंने बचपन से ही अनुशासन को अपनाकर अपना एक गोल सेट किया. स्कूली शिक्षा पूरी करते ही इस गोल को पूरा करने के लिए तैयारी में जुट गए. रुद्राक्ष को इसमें अपने पिता की बेहद ज्यादा मदद मिली. ऐसा इसलिए क्योंकि पेशे से शिक्षक उनके पिता बीएस चौहान ना केवल उन्हें सेना में अफसर बनने के लिए प्रेरित करते रहे बल्कि शैक्षणिक रूप से अपने अनुभव को भी रुद्राक्ष के साथ साझा करते रहे. उन्होंने उसकी राह आसान की. रुद्राक्ष की मां भी बचपन से ही रुद्राक्ष को सेना में ही भेजना चाहती थी. ऐसे में जब बेटा सेना में आज अफसर बन गया तो उनके भी आंसू छलक उठे.
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