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अयोध्या के राम मंदिर में लगेगा खास यंत्र; कोई भी तूफान नहीं हिला पाएगा 161 फीट पर लगा 40 फुटा ध्वज दंड - Ayodhya Ram Mandir

मंदिर का शिखर बन जाने के बाद उस पर ध्वज स्तंभ लगाया जाएगा. जो मंदिर की शिखर से 40 फीट ऊंचा होगा और जमीन से 201 फीट ऊंचा होगा. इतने ऊंचे इस ध्वज स्तंभ को तूफान और अयोध्या के बंदरों से सुरक्षित रखने पर मंथन किया गया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 6, 2024, 9:55 AM IST

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अयोध्या के राम मंदिर का मॉडल. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat Archive)
मंदिर निर्माण को लेकर मीडिया को जानकारी देते श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय. (वीडियो क्रेडिट; Etv Bharat)

अयोध्या: राम मंदिर के शिखर की सुरक्षा के लिए 201 फीट ऊंचाई पर ध्वज दंड पर तड़िक चालक यंत्र लगाया जाएगा, जिससे ऊंचाई पर हवाई जहाज को भी पता लगे कि यहां पर कुछ है. मंदिर निर्माण समिति की बैठक में शिखर निर्माण और ध्वज स्तंभ को लेकर मंथन शुरू कर दिया गया है. 161 फीट शिखर वाले राम मंदिर पर 40 फीट ऊंचा दंड लगाया जाएगा, जिससे यह जमीन से 201 फीट ऊंचा हो जाएगा.

मंदिर निर्माण समिति की बैठक श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की अध्यक्षता में संपन्न हुई. लेकिन, निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र तबीत खराब होने के कारण शामिल नहीं हुए. उनके सहयोगी के रूप में सीबीआरआई रुड़की के अध्यक्ष रहे अनूप मित्तल ने हिस्सा लिया और मंदिर निर्माण कार्य पर इंजीनियरों के साथ चर्चा की.

बैठक के पहले दिन मंदिर निर्माण के भूतल से लेकर द्वितीय तल के निर्माण कार्य का स्थलीय निरीक्षण किया गया. वहीं दूसरे दिन बैठक में राम मंदिर और राम जन्मभूमि परिसर के निर्माण पर मंथन किया गया. बैठक के बाद राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पतराय ने जानकारी दी कि मंदिर का कार्य तेज गति से चल रहा है. निर्माण में अब तक तीन लाख घन फीट पत्थर का इस्तेमाल किया जा चुका है. करीब एक लाख 30 हजार पत्थर अभी और लगाए जाएंगे.

ये भी बताया गया कि मंदिर निर्माण में बरसात से कितनी बाधा आ सकती है. जिस पर इंजीनियरों ने जानकारी दी कि सितंबर तक वर्षा काफी कम हो जाएगी. लेकिन अगस्त में बारिश अत्यधिक होने की संभावना है. इसलिए मंदिर निर्माण के कार्य पर वर्षा काल में कितना असर पड़ेगा इस पर मंथन किया गया है. इसके साथ ही मजदूरों की संख्या को बढ़ाए जाने पर भी मंथन किया जा रहा है, जिससे दिसम्बर तक लक्ष्य को पूरा किया जा सके.

उन्होंने बताया कि आगामी समय में राम मंदिर का शिखर तैयार किया जाना है. मंदिर का शिखर बन जाने के बाद उस पर ध्वज स्तंभ लगाया जाएगा. जो मंदिर की शिखर से 40 फीट ऊंचा होगा और जमीन से 201 फीट ऊंचा होगा. इतने ऊंचे इस ध्वज स्तंभ को तूफान और अयोध्या के बंदरों से सुरक्षित रखने पर मंथन किया गया है. जिसमें इंजीनियरों ने बताया कि बंदरों के हिलाने की क्षमता अत्यधिक नहीं होती है. लेकिन, यदि तूफान आता है तो उसका वेग अधिक होता है.

इस स्तंभ को संभालने के लिए शिखर में लगाए जा रहे हुक उसकी क्षमता के अनुकूल पर्याप्त ताकतवर हैं. इसके साथ ही यह स्तंभ जी धातु के बनाए गए हैं. उसकी आयु 200 वर्ष बताई गई है. जिस पर पताका लगाने के लिए तड़िक चालक यंत्र लगाया जाएगा जिस पर प्रकाश की भी व्यवस्था होती है, जो उस स्थान पर स्तंभ के होने का संकेत भी देगा. उन्होंने बताया कि रामजन्मभूमि परिसर में 25 मूर्तियां स्थापित की जाएंगी.

बैठक के दौरान दो और मंदिरों को बनाए जाने पर निर्णय लिया गया जिसमें गोस्वामी तुलसीदास व भगवान कूर्मनारायण के भी मंदिर है. इसके अलावा परकोटा में छह मंदिर, राम दरबार व सप्तमंडपम में सात मंदिर की स्थापना की जाएगी. इन सभी पर काम शुरू भी हो चुका है.

उन्होंने बताया कि यह सभी मूर्तियां दिसंबर 2024 तक बनकर तैयार हो जाएंगी. इसके लिए जयपुर के कारीगरों को जिम्मेदारी दी गई है. बैठक के दौरान एलएंडटी, टाटा कंसल्टेंसी के इंजीनियरों के साथ इस बार भारतीय इंजीनियरिंग लिमिटेड के भी इंजीनियर शामिल रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः अयोध्या राम मंदिर; 100 पुजारियों की होगी नियुक्ति, 20 पुजारी जल्द संभालेंगे जिम्मेदारी; 4 शिफ्ट में देंगे सेवा

मंदिर निर्माण को लेकर मीडिया को जानकारी देते श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय. (वीडियो क्रेडिट; Etv Bharat)

अयोध्या: राम मंदिर के शिखर की सुरक्षा के लिए 201 फीट ऊंचाई पर ध्वज दंड पर तड़िक चालक यंत्र लगाया जाएगा, जिससे ऊंचाई पर हवाई जहाज को भी पता लगे कि यहां पर कुछ है. मंदिर निर्माण समिति की बैठक में शिखर निर्माण और ध्वज स्तंभ को लेकर मंथन शुरू कर दिया गया है. 161 फीट शिखर वाले राम मंदिर पर 40 फीट ऊंचा दंड लगाया जाएगा, जिससे यह जमीन से 201 फीट ऊंचा हो जाएगा.

मंदिर निर्माण समिति की बैठक श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की अध्यक्षता में संपन्न हुई. लेकिन, निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र तबीत खराब होने के कारण शामिल नहीं हुए. उनके सहयोगी के रूप में सीबीआरआई रुड़की के अध्यक्ष रहे अनूप मित्तल ने हिस्सा लिया और मंदिर निर्माण कार्य पर इंजीनियरों के साथ चर्चा की.

बैठक के पहले दिन मंदिर निर्माण के भूतल से लेकर द्वितीय तल के निर्माण कार्य का स्थलीय निरीक्षण किया गया. वहीं दूसरे दिन बैठक में राम मंदिर और राम जन्मभूमि परिसर के निर्माण पर मंथन किया गया. बैठक के बाद राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पतराय ने जानकारी दी कि मंदिर का कार्य तेज गति से चल रहा है. निर्माण में अब तक तीन लाख घन फीट पत्थर का इस्तेमाल किया जा चुका है. करीब एक लाख 30 हजार पत्थर अभी और लगाए जाएंगे.

ये भी बताया गया कि मंदिर निर्माण में बरसात से कितनी बाधा आ सकती है. जिस पर इंजीनियरों ने जानकारी दी कि सितंबर तक वर्षा काफी कम हो जाएगी. लेकिन अगस्त में बारिश अत्यधिक होने की संभावना है. इसलिए मंदिर निर्माण के कार्य पर वर्षा काल में कितना असर पड़ेगा इस पर मंथन किया गया है. इसके साथ ही मजदूरों की संख्या को बढ़ाए जाने पर भी मंथन किया जा रहा है, जिससे दिसम्बर तक लक्ष्य को पूरा किया जा सके.

उन्होंने बताया कि आगामी समय में राम मंदिर का शिखर तैयार किया जाना है. मंदिर का शिखर बन जाने के बाद उस पर ध्वज स्तंभ लगाया जाएगा. जो मंदिर की शिखर से 40 फीट ऊंचा होगा और जमीन से 201 फीट ऊंचा होगा. इतने ऊंचे इस ध्वज स्तंभ को तूफान और अयोध्या के बंदरों से सुरक्षित रखने पर मंथन किया गया है. जिसमें इंजीनियरों ने बताया कि बंदरों के हिलाने की क्षमता अत्यधिक नहीं होती है. लेकिन, यदि तूफान आता है तो उसका वेग अधिक होता है.

इस स्तंभ को संभालने के लिए शिखर में लगाए जा रहे हुक उसकी क्षमता के अनुकूल पर्याप्त ताकतवर हैं. इसके साथ ही यह स्तंभ जी धातु के बनाए गए हैं. उसकी आयु 200 वर्ष बताई गई है. जिस पर पताका लगाने के लिए तड़िक चालक यंत्र लगाया जाएगा जिस पर प्रकाश की भी व्यवस्था होती है, जो उस स्थान पर स्तंभ के होने का संकेत भी देगा. उन्होंने बताया कि रामजन्मभूमि परिसर में 25 मूर्तियां स्थापित की जाएंगी.

बैठक के दौरान दो और मंदिरों को बनाए जाने पर निर्णय लिया गया जिसमें गोस्वामी तुलसीदास व भगवान कूर्मनारायण के भी मंदिर है. इसके अलावा परकोटा में छह मंदिर, राम दरबार व सप्तमंडपम में सात मंदिर की स्थापना की जाएगी. इन सभी पर काम शुरू भी हो चुका है.

उन्होंने बताया कि यह सभी मूर्तियां दिसंबर 2024 तक बनकर तैयार हो जाएंगी. इसके लिए जयपुर के कारीगरों को जिम्मेदारी दी गई है. बैठक के दौरान एलएंडटी, टाटा कंसल्टेंसी के इंजीनियरों के साथ इस बार भारतीय इंजीनियरिंग लिमिटेड के भी इंजीनियर शामिल रहे हैं.

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