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'किसान पुत्र' रामोजी राव : किसानों के कल्याण के लिए समर्पित रहा पूरा जीवन - Ramoji Rao passes away

Ramoji Raos Commitment to Farmers Welfare : तेलुगु समाचार और ईटीवी के प्रमुख, रामोजी फिल्म सिटी के संस्थापक चेरुकुरी रामोजी राव का निधन हो गया. रामोजी राव ने ईनाडु और ईटीवी जैसे विभिन्न मीडिया आउटलेट्स के माध्यम से किसानों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.

Ramoji Rao
रामोजी राव (File Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 8, 2024, 6:44 PM IST

हैदराबाद: किसान पुत्र रामोजी राव के लिए 'अन्नदाता सुखीभव' एक मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है, जो कृषि के महत्व को गहराई से समझते थे और महत्व देते थे. इस नारे का अर्थ है 'किसान खुश रहें'. रामोजी राव ने ईनाडु और ईटीवी जैसे विभिन्न मीडिया आउटलेट्स के माध्यम से किसानों के सशक्तिकरण और कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.

रामोजी राव के ये हार्दिक शब्द कृषि समुदाय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं. उन्होंने अपने सभी प्रयासों में लगातार किसानों के कल्याण को प्राथमिकता दी है, चाहे वह प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से हो. इस समर्पण के कारण 1969 में अन्नदाता मासिक की स्थापना हुई, इसके बाद ईनाडु में रायथेराजू, ईटीवी पर अन्नदाता और ईटीवी-2 पर जयकिसान शुरू हुआ.

Ramoji Raos Commitment to Farmers Welfare
पौधा रोपण करते रामोजी राव (ETV Bharat File Photo)

यदि दिवंगत प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 'जय किसान' के नारे को लोकप्रिय बनाया, तो रामोजी राव ने ऐसे मंच बनाकर इसे एक कदम आगे बढ़ाया जो वास्तव में किसानों की जरूरतों को पूरा करते थे. उदाहरण के लिए, जयकिसान कार्यक्रम किसानों के लिए एक मूल्यवान संसाधन बन गया, जो कृषि उत्पादों को लाभप्रद रूप से बेचने पर मार्गदर्शन प्रदान करता है, जबकि अन्नदाता व्यापक कृषि ज्ञान प्रदान करता है.

अन्नदाता: एक किसान मार्गदर्शिका :अन्नदाता ने तेलुगु किसानों के लिए व्यावहारिक सलाह और सुझावों के प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य किया है. प्रत्येक अंक में एक महीने पहले से ही उपयोगी और लागू प्रौद्योगिकियों की जानकारी दी जाती है. कृषि वैज्ञानिकों की मदद से पत्रों और फोन कॉल के माध्यम से किसानों के प्रश्नों का समाधान किया जाता है. रामोजी राव के लिए किसान हमेशा राजा होता है, जैसा कि 1974 में ईनाडु दैनिक में 'रायटेराजू' कॉलम की शुरुआत में दर्शाया गया था. इस कॉलम का उद्देश्य राज्य भर के किसानों को विभिन्न परिस्थितियों के अनुरूप समय पर डेयरी फसलें, संबद्ध व्यवसाय और क्षेत्रीय कृषि पद्धतियों पर वैज्ञानिक जानकारी और सलाह देना था.

नवोन्मेषी मीडिया पहल: रामोजी राव का दृष्टिकोण प्रिंट मीडिया से आगे तक फैला हुआ था. 1995 में उन्होंने ईटीवी पर अन्नदाता कार्यक्रम शुरू करके, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से फसल की खेती पर व्यापक जानकारी प्रदान करके क्रांतिकारी बदलाव लाकर इतिहास रचा. इस कार्यक्रम ने कृषि तकनीकों में विभिन्न प्रगति और सुधारों को प्रदर्शित करके कई किसानों को सशक्त बनाया. ईटीवी के क्षेत्रीय भाषा चैनलों के माध्यम से प्रसारित अन्नदाता कार्यक्रम देश भर के असंख्य किसानों के लिए एक मार्गदर्शक बन गया.

इसी तरह रामोजी राव द्वारा शुरू किया गया एक अन्य कृषि कार्यक्रम जयकिसान ने फसल की खेती की सलाह से लेकर सरकारी नीतियों, विपणन समस्याओं और उनके समाधानों तक कई मुद्दों को संबोधित किया. इन कार्यक्रमों का प्रभाव इतना गहरा था कि इन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विशेषज्ञों द्वारा कृषि समुदायों की सेवा के लिए टेलीविजन के अनुकरणीय उपयोग के रूप में मान्यता दी गई थी.

ज्ञान के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाना: अन्नदाता मासिक, टीवी कार्यक्रम, जयकिसान और ईनाडु रायतेराजू कॉलम सभी का उद्देश्य किसानों तक उन्नत विज्ञान का लाभ पहुंचाना है. इन प्लेटफार्मों को नई खेती तकनीक सिखाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया था. हालांकि किसानों के कल्याण के लिए रामोजी राव का समर्पण इन पहलों से कहीं आगे तक फैला हुआ था. प्राकृतिक आपदाओं से लेकर नकली बीज घोटाले और ब्रोकर धोखाधड़ी जैसी चुनौतियों का सामना करने वाले किसानों के लिए वह लगातार खड़े रहे.

रामोजी राव के नेतृत्व में ईटीवी किसानों की आवाज बनकर उनके संघर्षों और उन पर हो रहे अन्यायों को उजागर कर रहा था. चाहे वह प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुए नुकसान की बात हो या सरकारी मुआवजे की वकालत करना हो, रामोजी राव ने कृषक समुदाय के उत्थान के लिए अथक प्रयास किया. उनके प्रयासों से यह सुनिश्चित हुआ कि किसानों के मुद्दों को सामने लाया गया, जिससे नीति निर्माताओं को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

एक स्थायी विरासत : किसानों के प्रति रामोजी राव के अटूट समर्पण ने कृषि समुदाय पर एक अमिट छाप छोड़ी है. जिम्मेदारी और करुणा की गहरी भावना से प्रेरित उनकी पहल ने अनगिनत किसानों को सशक्त बनाया है और उनकी आजीविका में सुधार किया है. आज, उन्हें तेलुगु किसानों के दिलों में न केवल एक मीडिया मुगल के रूप में, बल्कि एक सच्चे मित्र और कृषि समुदाय के वकील के रूप में याद किया जाता है. उनकी विरासत भविष्य की पीढ़ियों को अधिक समृद्ध और न्यायसंगत कृषि क्षेत्र की ओर प्रेरित और मार्गदर्शन करती रहेगी.

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हैदराबाद: किसान पुत्र रामोजी राव के लिए 'अन्नदाता सुखीभव' एक मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है, जो कृषि के महत्व को गहराई से समझते थे और महत्व देते थे. इस नारे का अर्थ है 'किसान खुश रहें'. रामोजी राव ने ईनाडु और ईटीवी जैसे विभिन्न मीडिया आउटलेट्स के माध्यम से किसानों के सशक्तिकरण और कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.

रामोजी राव के ये हार्दिक शब्द कृषि समुदाय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं. उन्होंने अपने सभी प्रयासों में लगातार किसानों के कल्याण को प्राथमिकता दी है, चाहे वह प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से हो. इस समर्पण के कारण 1969 में अन्नदाता मासिक की स्थापना हुई, इसके बाद ईनाडु में रायथेराजू, ईटीवी पर अन्नदाता और ईटीवी-2 पर जयकिसान शुरू हुआ.

Ramoji Raos Commitment to Farmers Welfare
पौधा रोपण करते रामोजी राव (ETV Bharat File Photo)

यदि दिवंगत प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 'जय किसान' के नारे को लोकप्रिय बनाया, तो रामोजी राव ने ऐसे मंच बनाकर इसे एक कदम आगे बढ़ाया जो वास्तव में किसानों की जरूरतों को पूरा करते थे. उदाहरण के लिए, जयकिसान कार्यक्रम किसानों के लिए एक मूल्यवान संसाधन बन गया, जो कृषि उत्पादों को लाभप्रद रूप से बेचने पर मार्गदर्शन प्रदान करता है, जबकि अन्नदाता व्यापक कृषि ज्ञान प्रदान करता है.

अन्नदाता: एक किसान मार्गदर्शिका :अन्नदाता ने तेलुगु किसानों के लिए व्यावहारिक सलाह और सुझावों के प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य किया है. प्रत्येक अंक में एक महीने पहले से ही उपयोगी और लागू प्रौद्योगिकियों की जानकारी दी जाती है. कृषि वैज्ञानिकों की मदद से पत्रों और फोन कॉल के माध्यम से किसानों के प्रश्नों का समाधान किया जाता है. रामोजी राव के लिए किसान हमेशा राजा होता है, जैसा कि 1974 में ईनाडु दैनिक में 'रायटेराजू' कॉलम की शुरुआत में दर्शाया गया था. इस कॉलम का उद्देश्य राज्य भर के किसानों को विभिन्न परिस्थितियों के अनुरूप समय पर डेयरी फसलें, संबद्ध व्यवसाय और क्षेत्रीय कृषि पद्धतियों पर वैज्ञानिक जानकारी और सलाह देना था.

नवोन्मेषी मीडिया पहल: रामोजी राव का दृष्टिकोण प्रिंट मीडिया से आगे तक फैला हुआ था. 1995 में उन्होंने ईटीवी पर अन्नदाता कार्यक्रम शुरू करके, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से फसल की खेती पर व्यापक जानकारी प्रदान करके क्रांतिकारी बदलाव लाकर इतिहास रचा. इस कार्यक्रम ने कृषि तकनीकों में विभिन्न प्रगति और सुधारों को प्रदर्शित करके कई किसानों को सशक्त बनाया. ईटीवी के क्षेत्रीय भाषा चैनलों के माध्यम से प्रसारित अन्नदाता कार्यक्रम देश भर के असंख्य किसानों के लिए एक मार्गदर्शक बन गया.

इसी तरह रामोजी राव द्वारा शुरू किया गया एक अन्य कृषि कार्यक्रम जयकिसान ने फसल की खेती की सलाह से लेकर सरकारी नीतियों, विपणन समस्याओं और उनके समाधानों तक कई मुद्दों को संबोधित किया. इन कार्यक्रमों का प्रभाव इतना गहरा था कि इन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विशेषज्ञों द्वारा कृषि समुदायों की सेवा के लिए टेलीविजन के अनुकरणीय उपयोग के रूप में मान्यता दी गई थी.

ज्ञान के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाना: अन्नदाता मासिक, टीवी कार्यक्रम, जयकिसान और ईनाडु रायतेराजू कॉलम सभी का उद्देश्य किसानों तक उन्नत विज्ञान का लाभ पहुंचाना है. इन प्लेटफार्मों को नई खेती तकनीक सिखाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया था. हालांकि किसानों के कल्याण के लिए रामोजी राव का समर्पण इन पहलों से कहीं आगे तक फैला हुआ था. प्राकृतिक आपदाओं से लेकर नकली बीज घोटाले और ब्रोकर धोखाधड़ी जैसी चुनौतियों का सामना करने वाले किसानों के लिए वह लगातार खड़े रहे.

रामोजी राव के नेतृत्व में ईटीवी किसानों की आवाज बनकर उनके संघर्षों और उन पर हो रहे अन्यायों को उजागर कर रहा था. चाहे वह प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुए नुकसान की बात हो या सरकारी मुआवजे की वकालत करना हो, रामोजी राव ने कृषक समुदाय के उत्थान के लिए अथक प्रयास किया. उनके प्रयासों से यह सुनिश्चित हुआ कि किसानों के मुद्दों को सामने लाया गया, जिससे नीति निर्माताओं को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

एक स्थायी विरासत : किसानों के प्रति रामोजी राव के अटूट समर्पण ने कृषि समुदाय पर एक अमिट छाप छोड़ी है. जिम्मेदारी और करुणा की गहरी भावना से प्रेरित उनकी पहल ने अनगिनत किसानों को सशक्त बनाया है और उनकी आजीविका में सुधार किया है. आज, उन्हें तेलुगु किसानों के दिलों में न केवल एक मीडिया मुगल के रूप में, बल्कि एक सच्चे मित्र और कृषि समुदाय के वकील के रूप में याद किया जाता है. उनकी विरासत भविष्य की पीढ़ियों को अधिक समृद्ध और न्यायसंगत कृषि क्षेत्र की ओर प्रेरित और मार्गदर्शन करती रहेगी.

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