कोलकाता : लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले पश्चिम बंगाल में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सोमवार को अपनी राजनीतिक ताकत का आकलन करेंगी.
भाजपा जहां अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आयोजित होने वाले समारोह के जरिए राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास करेगी, वहीं इसके जवाब में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 'संप्रीति' रैली आयोजित करने जा रही हैं.
अयोध्या में बहुप्रतीक्षित राम मंदिर में सोमवार को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी, इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनुष्ठान में भाग लेंगे. इसके एक दिन बाद मंदिर को जनता के लिए खोल दिया जाएगा.
तृणमूल ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह लोकसभा चुनाव से पहले 'राजनीतिक नौटंकी' करके एक धार्मिक आयोजन का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रही है. इसके साथ ही तृणमूल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में कोलकाता में एक विशाल 'संप्रीति' रैली आयोजित करने की घोषणा की है.
पार्टी राज्य के हर खंड में भी इसी तरह की रैलियां करेगी. भाजपा की बंगाल इकाई ने कई हिंदू संगठनों के साथ मिलकर प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन राज्य में छुट्टी घोषित करने की मांग की थी, लेकिन उनका यह प्रयास असफल रहा. भाजपा इकाई ने इस दिन को मनाने के लिए राज्य भर में कई कार्यक्रम और समारोह आयोजित करने की योजना बनाई है. इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में एलईडी स्क्रीन लगाई जाएंगी, जहां प्राण प्रतिष्ठा समारोह का सीधा प्रसारण किया जाएगा.
विपक्षी दल भाजपा ने आरोप लगाया है कि तृणमूल 'संप्रीति' रैली के जरिये भगवान राम के ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार मंदिर में निर्धारित कार्यक्रमों में बाधा डाल रही है.
तृणमूल सांसद सौगत राय ने कहा, 'भाजपा देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है. हर कोई भगवान राम से प्यार करता है, लेकिन भाजपा राजनीति को धर्म के साथ जोड़ती है, हम इस प्रवृत्ति के खिलाफ हैं और हमारी पार्टी प्रमुख की 'संप्रीति' रैली गणतंत्र दिवस समारोह से पहले एक कार्यक्रम मात्र है.'
राय के बयान से सहमति व्यक्त करते हुए तृणमूल मंत्री शशि पांजा ने कहा कि 'संप्रीति' रैली को किसी भी कार्यक्रम की प्रतिक्रिया के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, जैसा कि भाजपा ने इसे पेश किया है.
उन्होंने कहा, 'संप्रीति रैली का उद्देश्य किसी अन्य कार्यक्रम का मुकाबला करना नहीं है. यह आरोप कि राज्य सरकार भाजपा के कार्यक्रमों को रोकने की कोशिश कर रही है, बिल्कुल निराधार और असत्य हैं.' हालांकि, भाजपा का मानना है कि तृणमूल की रैली का उद्देश्य राज्य में एक विशेष समुदाय को खुश करना है.
नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा, 'तृणमूल की रैली का उद्देश्य एक विशेष समुदाय, खासकर राज्य के अल्पसंख्यकों को खुश करना है. अन्यथा, उसी दिन रैली आयोजित करने की क्या आवश्यकता है? तृणमूल लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ना चाहती है.'
भाजपा की बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, 'प्राण प्रतिष्ठा समारोह के जश्न को रोकने की कोशिश करने वालों को अगले चुनाव में करारा जवाब दिया जाएगा. तृणमूल प्राण प्रतिष्ठा समारोह की प्रतिक्रिया के तौर पर रैली निकाल रही है.'
मजूमदार ने पार्टी के अनुरोध के बावजूद 22 जनवरी को छुट्टी की घोषणा नहीं करने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की. राजनीतिक विश्लेषक मैदुल इस्लाम का मानना है कि तृणमूल संप्रीति रैली तथा भाजपा प्राण प्रतिष्ठा समारोह के जरिये जनता के बीच अपनी ताकत का आकलन करेगी.
इस्लाम ने कहा, '22 जनवरी का दिन लोकसभा चुनाव से पहले तृणमूल और भाजपा दोनों के लिए एक अभ्यास मैच की तरह होगा. तृणमूल राज्य में अल्पसंख्यकों और वाम-उदारवादियों तथा भाजपा हिंदू मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ को मजबूत करने की कोशिश करेगी.'
2019 के लोकसभा चुनावों में राज्य में तृणमूल ने 22, कांग्रेस ने दो और भाजपा ने 18 सीट हासिल की थी. पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यकों के 30 फीसदी मत हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से तृणमूल राज्य में अल्पसंख्यक मतदाताओं के बीच मजबूत पकड़ बनाये हुये है.