लखनऊ: देश में लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राज्यसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है. उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों पर चुनाव होना है. इसके लिए 27 फरवरी को मतदान होगा. वैसे देश में 56 सीटों पर चुनाव होना है लेकिन, सबसे ज्यादा सीटों पर यूपी में मतदान होना है, इसलिए इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
सपा को मिल सकती हैं राज्यसभा की दो सीटें: राजनीतिक सूत्रों की मानें तो इस चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी कोई बड़ा खेला कर सकते हैं, जिससे भाजपा और सपा का सीटों का गणित बिगड़ सकता है. वैसे, मौजूदा स्थिति को देखें तो 10 में से 7 सीटें भाजपा की तय मानी जा रही हैं. जबकि सपा के खेमे में दो सीटें जाती दिख रही हैं. एक सीट किसके खाते में जाएगी, इसको लेकर अभी स्थिति साफ नहीं हुई है.
यूपी में एनडीए के विधायक : 277
- भाजपा : 252
- अपना दल (एस) : 13
- निषाद पार्टी : 06
- सुभासपा : 06
यूपी में इंडिया गठबंधन के विधायक : 119
- सपा: 108
- रालोद : 9
- कांग्रेस : 02
निर्दलीय व अन्य दल के विधायक: 6
- जनसत्ता दल : 2
- बसपा : 1
- निर्दलीय : 3
भाजपा को 7 सीट मिलने का क्या है आधार: राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए विधायकों का समर्थन लेना होता है. यानी चुनाव में विधायक ही मतदान करते हैं. यूपी विधानसभा की मौजूदा स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि भाजपा को सात सीटें मिल सकती हैं. दरअसल, राज्यसभा प्रत्याशी को जीत के लिए मौजूदा स्थिति के अनुसार 37 विधायकों का वोट चाहिए. इस हिसाब से भाजपा को सात सीटें मिलना तय माना जा रहा है.
कैसे भाजपा प्रत्याशी को मिलेगी जीत: भाजपा के पास मौजूदा समय में सहयोगी मिलाकर 277 वोट हैं. इस हिसाब से सात सीट तो उसकी पक्की मानी जा रही हैं. इसी तरह समाजवादी पार्टी के पास 119 विधायक हैं. इस हिसाब से सपा को दो सीटें मिल सकती हैं. इसके बाद दोनों ही दल एक अन्य सीट के लिए जोर आजमाइश करेंगे. बता दें, जो 10 सीटें खाली हुई हैं उनमें 9 पर भाजपा और एक पर सपा काबिज है.
जयंत चौधरी बिगाड़ सकते हैं गणित: इन दिनों चर्चा है कि रालोद प्रमुख जयंत चौधरी इंडिया गठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल हो सकते हैं. अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन, कुछ दिन की हलचल और सोशल मीडिया पर उनकी बयानबाजी इस ओर इशारा कर रही हैं. अगर जयंत चौधरी ने पाला बदला तो राज्यसभा के चुनाव का गणित भी बदल सकता है.
कैसे जयंत चौधरी डालेंगे राज्यसभा चुनाव में असर: जयंत चौधरी की पार्टी रालोद के 9 विधायक हैं. यदि वे एनडीए में जाते हैं तो ये 9 विधायक भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट करेंगे. भाजपा की सात सीट तो पक्की मानी ही जा रही हैं. इसके बाद भाजपा के पास 18 वोट अतिरिक्त बच रहे हैं. अब यदि रालोद के विधायक मिला लिए जाएं तो भाजपा के पास 27 वोट हो जाएंगे. फिर भी 10 वोट भाजपा को और चाहिए होंगे आठवीं सीट पर कब्जा करने के लिए.
सपा की मुश्किलें बढ़ाएंगे जयंत: सपा के पास रालोद के 9 वोट मिलाकर कुल 119 विधायक हैं. इस हिसाब से सपा राज्यसभा चुनाव में तीन सीट बड़े आराम से जीत सकती है. लेकिन, यदि रालोद इंडिया गठबंधन से हटता है तो सपा की दो सीट तो पक्की मानी जा रही है. लेकिन, तीसरी सीट के लिए सपा को एक वोट की जरूरत होगी. जिसको पाना सपा के लिए टेड़ी खीर साबित होगा.
बुआ (मायावती) अखिलेश के लिए बन सकती हैं संजीवनी: राज्यसभा की 10 सीटों में से एक पर मामला फंसता नजर आ रहा है. आंकड़ों के मुताबिक भाजपा को इस सीट को जीतने के लिए 10 वोटों की जरूरत होगी, जबकि सपा को यदि रालोद साथ नहीं देता है तो सिर्फ एक विधायक की जरूरत होगी. ऐसे में बसपा सपा के लिए संजीवनी साबित हो सकती हैं. बसपा के पास एक विधायक है. कहा जा सकता है कि सपा की तीसरी सीट बुआ मायावती और भतीजे अखिलेश के संबंधों के बीच फंसी हुई है.