जोधपुर : संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी केस में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को बड़ी राहत मिली है. मामले में एसओजी ने शेखावत को क्लीन चिट दे दी है. राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जोधपुर में जस्टिस अरुण मोंगा की बेंच में मामले की सुनवाई हुई. जिसमें सामने आया है कि SOG ने जांच के अनुसंधान में गजेंद्र सिंह शेखावत को अभी तक दोषी नहीं माना है.
कोर्ट में SOG ने कहा है कि गजेन्द्र सिंह शेखावत आज की स्थिति में आरोपी नहीं है. जांच में उन पर किसी भी प्रकार का दोष नहीं साबित हुआ है. बता दें कि तत्कालीन CM अशोक गहलोत समेत अपने ही दल में इस मामले को लेकर शेखावत पर आरोप लगे थे. जिसके बाद खुद शेखावत ने तत्कालीन मुख्यंमत्री अशोक गहलोत पर उनकी छवि धूमिल करने के आरोप लगाए थे.
दरअसल, शेखावत की ओर से दायर याचिका में एफआईआर के साथ-साथ जांच को भी रद्द करने को लेकर मांग की गई थी. 17 सितंबर 2024 को जस्टिस अरुण मोंगा की बेंच ने मामले में अंतिम आदेश पारित करते हुए एसओजी को इस सवाल का जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया कि "क्या एसओजी गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने का इरादा रखता है'. मामले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की ओर से एक विस्तृत रिपोर्ट दायर की गई, जिसमें कहा गया कि गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं है और कंपनियों में निदेशक के रूप में उनके इस्तीफे के बाद किए गए कृत्यों के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
ऐसे में कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए निर्देश दिया कि एसओजी द्वारा प्रस्तुत की गई विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर याचिकाकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है. एडवोकेट आदित्य विक्रम सिंह ने जानकारी दी कि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि एसओजी ट्रायल कोर्ट से अनुमति लिए बिना शेखावत के खिलाफ आगे की जांच नहीं कर सकती है.
बुधवार को हाईकोर्ट में एसओजी की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया कि पूर्व में जो ऑडिट रिपोर्ट पेश की गई उसमें यह बताया गया था कि 50 रुपए के शेयर को 500 रुपए में बेचकर घोटाला किया गया, जबकि किसी भी शेयर की एक्चुअल वैल्यू और फेस वैल्यू में फर्क होता है. नई रिपोर्ट में बताया गया की 300 रुपए के शेयर को 500 में बेचा गया था और उसकी जो वैल्यू निर्धारित की गई थी वह एकदम ठीक थी. उन्होंने साथ यह भी बताया कि जब यह घोटाला उजागर हुआ, उससे पूर्व 2014 में गजेंद्र सिंह शेखावत कंपनी के डायरेक्टर पद से रिटायर्ड हो चुके थे. ऐसे में उनके ऊपर कोई चार्ज नहीं बनता. एसओजी द्वारा सबमिट की गई इस रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने गजेंद्र सिंह शेखावत की याचिका को डिस्पोज ऑफ कर दिया.