रायपुर: अब तक आपने बहुत से गीत सुने होंगे, लेकिन रायपुर निवासी विभाष झा एक ऐसे कलाकार हैं जिनके पास एक ऐसी कला है, जिसे सुनकर हर कोई अचंभित रह जाता है. विभाष झा किसी भी गाने को चंद मिनट में उल्टा गाकर सुना सकते हैं. फिर चाहे वह रफी के गीत हो या फिर जगजीत सिंह की गजल. सुर, ताल, भाव, सब वही रहता है. बस बदलते हैं तो गाने के शब्द. सीधे गाने और गजल को विभाष झा उल्टा करने में माहिर है. उल्टा गाकर सुनाने की इस अद्भुत कला के सभी कायल हैं.
अलग-अलग गीतों को मिक्स कर गाते हैं: ईटीवी भारत ने गायक विभाष झा से खास बातचीत की. बाचतीच के दौरान विभाष झा ने बताया, मेरे परिवार के कई लोग गाने का शौक रखते हैं. गीत-संगीत में उनकी अच्छी पकड़ है. वो कई कार्यक्रम में भी हिस्सा लेते रहे हैं. बचपन में मैं अपने परिवार के सदस्यों के साथ आर्केस्ट्रा सहित अन्य गीत-संगीत के कार्यक्रमों में जाता था. घर में भी गीत-संगीत का माहौल था. यही वजह है कि मुझे गाने का शौक बचपन से था. मेरे परिवार के सदस्य की खास बात यह थी कि वे लोग गाने को सीधा-सीधा नहीं गाते थे, बल्कि उल्टा अंग्रेजी मिक्स, तोड़-मरोड़ कर अलग-अलग तरीके से गाते थे. उनके इस तरह के गाने को लोग काफी पसंद करने लगे. इसके बाद से मैं भी गीतों पर नए-नए एक्सपेरिमेंट करने लगा. अब मैं भी उल्टा गाता हूं. लोगों को पसंद आता है."
"मैं बचपन से ही उल्टा गीत गाता आ रहा हूं. पहली कक्षा में ही मैंने उल्टे गीत गए थे, जिसे लोगों ने खासा पसंद किया था. सबसे पहले जो उल्टा गीत गाया था, वह " क्या हुआ तेरा वादा" था. इसके बाद मैंने कई गाने उल्टे गाए, जिसमें "कितना प्यारा वादा है, इन मतवाली आंखों का" सहित अन्य गीत शामिल थे. मैं उल्टा गजल भी गा लेता हूं. जगजीत सिंह कि एक गजल "अपने होठों पर सजाना चाहता हूं" को भी उल्टा गा चुका हूं." -विभाष झा, गायक
रायपुर निवासी विभाष झा के रिवर्स सिंगिंग के लोग दीवाने हैं. अक्सर ये अपने गीतों के कारण लोगों के बीच चर्चा में रहते हैं. लोगों को भी इनके गाए अजब-गजब और उल्टे गीत बेहद पसंद आ रहे हैं.