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रेलवे संशोधन विधेयक के क्या हैं मुख्य उद्देश्य, क्या होगा इसका प्रभाव, विपक्ष ने क्या जताई चिंता? जानें - RAILWAYS AMENDMENT BILL

रेलवे (संशोधन) विधेयक 2024 का उद्देश्य रेलवे बोर्ड को वैधानिक शक्तियां प्रदान करना और रेलवे संचालन को सुव्यवस्थित करना है.

क्या हैं रेलवे संशोधन विधेयक के मुख्य उद्देश्य
क्या हैं रेलवे संशोधन विधेयक के मुख्य उद्देश्य (सांकेतिक तस्वीर ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 6, 2024, 5:19 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में रेलवे (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया, जिसमें भारतीय रेलवे के कामकाज और ऑटोनॉमी को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव किया गया है. इस दौरान रेलवे निजीकरण और स्वायत्तता पर इसके प्रभाव पर बहस हुई.

बहस के दौरान रेल मंत्री ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य रेलवे बोर्ड को वैधानिक शक्तियां प्रदान करना और रेलवे संचालन को सुव्यवस्थित करना है. वैष्णव ने इस बात पर जोर दिया कि विधेयक का उद्देश्य भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 को रेलवे अधिनियम, 1989 में विलय करके भारतीय रेलवे में दक्षता लाना और इसके कानूनी ढांचे को सरल बनाना है.

बिल के अहम उद्देश्य
बिल का अहम उद्देश्य रेलवे बोर्ड को वैधानिक समर्थन प्रदान करने के लिए रेलवे अधिनियम, 1989 में संशोधन करना है, जो अपनी स्थापना के बाद से बिना किसी मंजूरी के काम कर रहा है. इसके अलावा इसका मकसद परिचालन दक्षता में सुधार करना और शक्तियों का विकेंद्रीकरण और रेलवे क्षेत्रों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करना भी है. इस बिल में टैरिफ, सुरक्षा और निजी क्षेत्र की भागीदारी सहित भारतीय रेलवे के विभिन्न पहलुओं की देखरेख के लिए एक स्वतंत्र नियामक की स्थापना करने के लिए भी पेश किया गया है.

स्वतंत्र विनियामक
इस विधेयक में हितधारकों के हितों की रक्षा करने और प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए एक स्वतंत्र विनियामक (Independent Regulator) के निर्माण के प्रावधान शामिल हैं. इस तरह के विनियामक के लिए सिफारिशें सबसे पहले 2015 में रेलवे के पुनर्गठन पर समिति द्वारा की गई थीं, जिसमें टैरिफ, निजी ऑपरेटरों के लिए बुनियादी ढांचे तक एक्सेस और सर्विस स्टैंडर्ड जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया था.

क्षेत्रों को स्वायत्तता
रेलवे क्षेत्रों के लिए स्वायत्तता (Autonomy) बढ़ाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है, जिसका समर्थन 2014 की श्रीधरन समिति सहित विभिन्न समितियों ने किया है. विधेयक में वित्तीय और परिचालन निर्णय लेने का काम क्षेत्रों को सौंपने का प्रस्ताव है, जिससे उन्हें बजट, बुनियादी ढांचे के काम और रिक्रूट मैनेजमेंट करने का अधिकार मिलेगा.

रेलवे बोर्ड की नियुक्ति
सरकार रेलवे बोर्ड के सदस्यों की संख्या, योग्यता और सर्विस की शर्तें तय करेगी. यह बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया की देखरेख भी करेगी, जिससे शासन और जवाबदेही को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा.

फाइनेंशियल इंप्लिकेशन और रीजनल डेवलपमेंट
बिल में धारा 24A पेश की गई है, ताकि सरकार सुपरफास्ट ट्रेन संचालन और बुनियादी ढांचे के अपग्रेडेशन में तेजी लाई जा सके, जैसे कि अरुणाचल एक्सप्रेस को सीवान-थावे-कप्तानगंज-गोरखपुर मार्ग से आगे बढ़ाना.

विपक्ष की चिंताएं
बिल पर बहस करने के दौरान विपक्षी नेताओं ने कई चिंताएँ उठाई. इनमें निजिकरण की आशंका सबसे अहम है. कांग्रेस सांसद मनोज कुमार ने तर्क दिया कि विधेयक भारतीय रेलवे के लिए निजीकरण का रास्ता खोल सकता है, जिससे गरीबों के लिए इसकी पहुंच कम हो सकती है.

स्वायत्तता पर प्रभाव
वहीं, टीएमसी के कल्याण बनर्जी सहित कई सांसदों ने आशंका जताई की कि इससे बोर्ड नियुक्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ सकता है और यह भारतीय रेलवे की स्वायत्तता को खत्म कर सकता है.

सरकार का बचाव
वैष्णव ने निजीकरण के आरोपों को खारिज करते हुए दोहराया कि विधेयक का उद्देश्य भारतीय रेलवे को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को निभाते हुए अधिक कुशल और आत्मनिर्भर बनाना है. वहीं, भाजपा सांसद रवि किशन ने विधेयक का समर्थन किया.

यह भी पढ़ें- टिकट पर यात्रियों को कितनी छूट देता है रेलवे? रेल मंत्री का जवाब सुनकर हो जाएंगे हैरान

नई दिल्ली: केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में रेलवे (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया, जिसमें भारतीय रेलवे के कामकाज और ऑटोनॉमी को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव किया गया है. इस दौरान रेलवे निजीकरण और स्वायत्तता पर इसके प्रभाव पर बहस हुई.

बहस के दौरान रेल मंत्री ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य रेलवे बोर्ड को वैधानिक शक्तियां प्रदान करना और रेलवे संचालन को सुव्यवस्थित करना है. वैष्णव ने इस बात पर जोर दिया कि विधेयक का उद्देश्य भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 को रेलवे अधिनियम, 1989 में विलय करके भारतीय रेलवे में दक्षता लाना और इसके कानूनी ढांचे को सरल बनाना है.

बिल के अहम उद्देश्य
बिल का अहम उद्देश्य रेलवे बोर्ड को वैधानिक समर्थन प्रदान करने के लिए रेलवे अधिनियम, 1989 में संशोधन करना है, जो अपनी स्थापना के बाद से बिना किसी मंजूरी के काम कर रहा है. इसके अलावा इसका मकसद परिचालन दक्षता में सुधार करना और शक्तियों का विकेंद्रीकरण और रेलवे क्षेत्रों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करना भी है. इस बिल में टैरिफ, सुरक्षा और निजी क्षेत्र की भागीदारी सहित भारतीय रेलवे के विभिन्न पहलुओं की देखरेख के लिए एक स्वतंत्र नियामक की स्थापना करने के लिए भी पेश किया गया है.

स्वतंत्र विनियामक
इस विधेयक में हितधारकों के हितों की रक्षा करने और प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए एक स्वतंत्र विनियामक (Independent Regulator) के निर्माण के प्रावधान शामिल हैं. इस तरह के विनियामक के लिए सिफारिशें सबसे पहले 2015 में रेलवे के पुनर्गठन पर समिति द्वारा की गई थीं, जिसमें टैरिफ, निजी ऑपरेटरों के लिए बुनियादी ढांचे तक एक्सेस और सर्विस स्टैंडर्ड जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया था.

क्षेत्रों को स्वायत्तता
रेलवे क्षेत्रों के लिए स्वायत्तता (Autonomy) बढ़ाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है, जिसका समर्थन 2014 की श्रीधरन समिति सहित विभिन्न समितियों ने किया है. विधेयक में वित्तीय और परिचालन निर्णय लेने का काम क्षेत्रों को सौंपने का प्रस्ताव है, जिससे उन्हें बजट, बुनियादी ढांचे के काम और रिक्रूट मैनेजमेंट करने का अधिकार मिलेगा.

रेलवे बोर्ड की नियुक्ति
सरकार रेलवे बोर्ड के सदस्यों की संख्या, योग्यता और सर्विस की शर्तें तय करेगी. यह बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया की देखरेख भी करेगी, जिससे शासन और जवाबदेही को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा.

फाइनेंशियल इंप्लिकेशन और रीजनल डेवलपमेंट
बिल में धारा 24A पेश की गई है, ताकि सरकार सुपरफास्ट ट्रेन संचालन और बुनियादी ढांचे के अपग्रेडेशन में तेजी लाई जा सके, जैसे कि अरुणाचल एक्सप्रेस को सीवान-थावे-कप्तानगंज-गोरखपुर मार्ग से आगे बढ़ाना.

विपक्ष की चिंताएं
बिल पर बहस करने के दौरान विपक्षी नेताओं ने कई चिंताएँ उठाई. इनमें निजिकरण की आशंका सबसे अहम है. कांग्रेस सांसद मनोज कुमार ने तर्क दिया कि विधेयक भारतीय रेलवे के लिए निजीकरण का रास्ता खोल सकता है, जिससे गरीबों के लिए इसकी पहुंच कम हो सकती है.

स्वायत्तता पर प्रभाव
वहीं, टीएमसी के कल्याण बनर्जी सहित कई सांसदों ने आशंका जताई की कि इससे बोर्ड नियुक्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ सकता है और यह भारतीय रेलवे की स्वायत्तता को खत्म कर सकता है.

सरकार का बचाव
वैष्णव ने निजीकरण के आरोपों को खारिज करते हुए दोहराया कि विधेयक का उद्देश्य भारतीय रेलवे को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को निभाते हुए अधिक कुशल और आत्मनिर्भर बनाना है. वहीं, भाजपा सांसद रवि किशन ने विधेयक का समर्थन किया.

यह भी पढ़ें- टिकट पर यात्रियों को कितनी छूट देता है रेलवे? रेल मंत्री का जवाब सुनकर हो जाएंगे हैरान

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