नई दिल्ली: लोकसभा का स्पीकर चुने जाने के बाद ओम बिरला ने सदन में एक प्रस्ताव पढ़ा, जिसमें उन्होंने 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की निंदा की. इस पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया और जमकर नारेबाजी की. वहीं, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की और आपातकाल पर पढ़े प्रस्ताव पर नाराजगी जताई. राहुल गांधी ने स्पीकर से मुलाकात करते हुए कहा कि, यह विषय स्पष्ट रूप से राजनीतिक था और इससे बचा जा सकता था.
सदन में इमरजेंसी का मुद्दा उठा, राहुल हुए नाराज
वहीं, राहुल और बिड़ला की हुई मुलाकात को एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक शिष्टाचार मुलाकात बताया. उन्होंने कहा कि, मुलाकात के वक्त राहुल गांधी ने स्पीकर के समक्ष 'आपातकाल' से जुड़ा मुद्दा उठाया.
'आपातकाल का विषय टाला जा सकता था', राहुल
यह पूछे जाने पर कि क्या गांधी ने सदन में उठाए जा रहे आपातकाल के मुद्दे पर चर्चा की, वेणुगोपाल ने कहा कि, विपक्ष ने संसद के कामकाज के बारे में कई चीजों पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि, बेशक, आपातकाल का मुद्दा भी उठा. कांग्रेस नेता ने कहा, 'राहुल ने विपक्ष के नेता के रूप में अध्यक्ष को इस मुद्दे (आपातकाल) के बारे में सूचित किया और कहा कि इसे टाला जा सकता था.
इमरजेंसी पर क्या बोले ओम बिरला
18वीं लोकसभा अध्यक्ष के रूप में अपने चुनाव के तुरंत बाद, बिरला ने बुधवार को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा संविधान पर हमले के रूप में आपातकाल लगाए जाने की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पढ़ा, जिसको लेकर विपक्ष दल कांग्रेस ने हंगामा खड़ा करते हुए सदन में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया था.
बिरला ने याद दिलाया कि 26 जून, 1975 को देश आपातकाल की क्रूर वास्तविकताओं से अवगत हुआ था, जब कांग्रेस सरकार ने विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया था, मीडिया पर कई प्रतिबंध लगाए थे और न्यायपालिका की स्वायत्तता पर भी अंकुश लगाया था. बता दें कि, सदन में विपक्ष के नेता चुने जाने के बाद पहली बार राहुल गांधी की स्पीकर ओम बिड़ला के साथ बातचीत हुई.
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