नई दिल्ली : पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चार चुनावी राज्यों के नेताओं से आपसी कलह छोड़ने और सार्वजनिक रूप से विवादित बयान देने से बचने को कहा है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, राहुल लोकसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका में व्यस्त हो गए हैं. साथ ही वह यह भी चाहते हैं कि देश की सबसे पुरानी पार्टी और उसके सहयोगी महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सत्ता हासिल करें.
बता दें कि यहां पर कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसी के मद्देनजर राहुल गांधी ने पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ 24 से 27 जून तक चुनावी राज्यों में रणनीति की समीक्षा की. हाल ही में, सभी चार राज्यों की स्थानीय इकाइयों से वरिष्ठ नेताओं के बीच अंदरूनी कलह की खबरें सामने आई थीं. इसको लेकर राहुल गांधी ने समीक्षा बैठकों के दौरान उन्हें खरी-खोटी सुनाई थी. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि आलाकमान ने राज्य के नेताओं से कहा है कि वे आने वाले चुनावों को एकजुट होकर लड़ें और सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर निशाना साधने से बचें. उन्हें पार्टी के भीतर सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए कहा गया है. साथ ही कहा गया है कि आने वाले चार राज्यों के चुनावों में कांग्रेस के पास बहुत अच्छा मौका है और हमें एकजुट होना चाहिए.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, खड़गे ने भी अंदरूनी कलह पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एक राज्य के नेताओं के प्रतिद्वंद्वी समूह के नेता दूसरे गुट के बारे में शिकायत करने उनके पास आते हैं. वह महाराष्ट्र कांग्रेस के एक वर्ग का जिक्र कर रहे थे जो पिछले कुछ समय से राज्य इकाई के प्रमुख नाना पटोले को बदलने के लिए दबाव बना रहा है. इसी तरह, राज्य के नेताओं का एक वर्ग चाहता है कि मुंबई इकाई की प्रमुख वर्षा गायकवाड़ को बदला जाए, जो अब लोकसभा सदस्य हैं.
इस संबंध में महाराष्ट्र के प्रभारी एआईसीसी सचिव आशीष दुआ ने ईटीवी भारत को बताया कि आलाकमान चाहता है कि इस समय पूरी राज्य इकाई भाजपा के खिलाफ एकजुट हो. झारखंड में भी यही समस्या है, जहां कांग्रेस सहयोगी जेएमएम और आरजेडी के साथ सत्ता साझा करती है. राज्य के नेताओं का एक वर्ग झारखंड इकाई के प्रमुख राजेश ठाकुर को हटाने की मांग कर रहा था, लेकिन आलाकमान ने उन्हें बताया है कि विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा नहीं हो सकता है. 27 जून को जम्मू-कश्मीर समीक्षा से कुछ दिन पहले, राज्य के नेताओं का एक वर्ग राज्य इकाई के प्रमुख विकार रसूल वाणी के खिलाफ अभियान चला रहा था, जबकि उस समय हाईकमान ने यूटी इकाई को पार्टी कार्यकर्ताओं को संगठित करने का निर्देश दिया था.
हरियाणा में अंदरूनी कलह कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल ही में लोकसभा परिणामों के बाद यह फिर उभर आई है, जब वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने किरण चौधरी के भाजपा में शामिल होने पर चिंता व्यक्त की है. किरण इस बात से नाराज थीं कि उनकी बेटी श्रुति चौधरी को भिवानी सीट से लोकसभा टिकट नहीं दिया गया और टिकट बंटवारे में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस हुड्डा के गुट की भूमिका थी. शैलजा का मानना था कि गलत टिकट वितरण के कारण कांग्रेस 10 में से 5 से अधिक लोकसभा सीटें नहीं जीत सकी.
हुड्डा ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर किसी को टिकटों को लेकर कोई समस्या है तो उन्हें हाईकमान से बात करनी चाहिए जिसने नामांकन को मंजूरी दी है. उन्होंने कहा, 'हम सभी को मिलकर काम करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य के सभी 36 समुदाय आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का समर्थन करें. सभी नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि वे पार्टी के किसी भी मतभेद या आंतरिक मामलों के बारे में कोई भी सार्वजनिक बयान न दें.' एआईसीसी हरियाणा प्रभारी दीपक बाबरिया ने ईटीवी भारत से कहा कि हमें एकजुट होकर भाजपा को हराना होगा. हम 90 में से 70 से अधिक सीटों के साथ अगली सरकार बनाने जा रहे हैं.
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