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कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद किया डिमोट, नहीं दिया सेवा लाभ, हाईकोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला - Fine on Haryana Government

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jul 6, 2024, 4:00 PM IST

Updated : Jul 6, 2024, 4:24 PM IST

Fine on Haryana Government: हरियाणा में एक हैरान करने वाले मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. दरअसल एक कर्मचारी को विभाग ने रिटायरमेंट के बाद डिमोट किया था. और उसे तत्कालीन पद का सेवा लाभ नहीं दिया था. जानिए आखिर पूरा मामला क्या है.

Fine on Haryana Government
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (File Photo)

चंडीगढ़: क्लर्क के पद से सेवानिवृत्त एक कर्मचारी को डिमोट करने के एक मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार पर दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. यही नहीं, हाईकोर्ट ने सरकार की इस कार्रवाई को अजीब, हैरान करने वाला और निंदनीय करार दिया है. दरअसल, क्लर्क को डिमोट करने का कारण उसका कंप्यूटर टाइपिंग टेस्ट पास न करना बताया गया.

डिमोट कर बनाया था चौकीदार

क्लर्क के पद से सेवानिवृत्त कर्मचारी को कंप्यूटर टाइपिंग टेस्ट पास नहीं कर पाने पर डिमोट कर चौकीदार बना दिया गया था. फिर उन्हें चौकीदार मानते हुए रिटायरमेंट और अन्य प्रकार के लाभ तय कर दिए गए.

पत्नी ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका

मामले में जिला पानीपत निवासी माया देवी ने बताया कि उनका पति हरियाणा पावर जेनरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड में चौकीदार थे. वर्ष 1989 में उन्हें पदोन्नत कर लोअर डिवीजन क्लर्क बना दिया गया था. इसके बाद कॉर्पोरेशन द्वारा उन्हें अनिवार्य कंप्यूटर टाईपिंग टेस्ट पास करने के बारे में कहा गया. लेकिन याची के पति ने इस टेस्ट से छूट मांगी. हालांकि ना तो कर्मचारी को छूट दी गई और ना ही उसने टेस्ट पास किया.

2012 में रिटायर हुआ था कर्मचारी

गौरतलब है कि कर्मचारी क्लर्क के पद से वर्ष 2012 में सेवानिवृत्त हो गया था. जबकि वर्ष 2013 में कॉर्पोरेशन ने उन्हें पत्र जारी कर टेस्ट पास करने के बारे में कहा. साथ ही ऐसा नहीं करने पर चेताया गया कि उनकी पेंशन और अन्य लाभ चौकीदार के पद के अनुसार तय किए जाएंगे. आखिरकार याची का पति टेस्ट पास नहीं कर सका और फिर उन्हें डिमोट कर चौकीदार मानते हुए रिटायरमेंट और अन्य लाभ तय किए गए.

2018 में रिटायर्ड कर्मचारी की मौत

2018 में याची के पति की मौत हो गई. लेकिन याची को उनके दिवंगत पति संबंधी परिवार पेंशन डिमोट पद के अनुसार ही दी गई. याची ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए सरकार की कार्रवाई को मनमानी, हैरान करने वाला वाली और निंदनीय बताया.

रिटायरमेंट के बाद डिमोट करने का प्रावधान नहीं

हाईकोर्ट ने साफ किया गया कि कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद मालिक और नौकर का रिश्ता खत्म हो जाता है. याचिकाकर्ता के पति को सेवा में रहते समय यह शर्त लगाकर डिमोट किया जा सकता था. लेकिन जब वह एलडीसी के रूप में सेवानिवृत्त हो गए तो इसके बाद रिटायर्ड कर्मचारी को डिमोट करने संबंधी या किसी प्रकार के टेस्ट को पास करने के बारे निर्देशित करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है.

6 प्रतिशत ब्याज सहित दें रिटायरमेंट लाभ

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार पर दो लाख रुपए जुर्माना लगाने के अलावा याची के पति को क्लर्क के रूप में सेवानिवृत्त मानकर सभी रिटायरमेंट लाभ 6 प्रतिशत ब्याज सहित जारी करने के आदेश दिए हैं.

ये भी पढ़ें- हरियाणा सरकार को बड़ी राहत, करनाल विधानसभा सीट उपचुनाव के खिलाफ दायर याचिका खारिज
ये भी पढ़ें- 30 जनवरी को होगा चंडीगढ़ नगर निगम मेयर का चुनाव, पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला
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चंडीगढ़: क्लर्क के पद से सेवानिवृत्त एक कर्मचारी को डिमोट करने के एक मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार पर दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. यही नहीं, हाईकोर्ट ने सरकार की इस कार्रवाई को अजीब, हैरान करने वाला और निंदनीय करार दिया है. दरअसल, क्लर्क को डिमोट करने का कारण उसका कंप्यूटर टाइपिंग टेस्ट पास न करना बताया गया.

डिमोट कर बनाया था चौकीदार

क्लर्क के पद से सेवानिवृत्त कर्मचारी को कंप्यूटर टाइपिंग टेस्ट पास नहीं कर पाने पर डिमोट कर चौकीदार बना दिया गया था. फिर उन्हें चौकीदार मानते हुए रिटायरमेंट और अन्य प्रकार के लाभ तय कर दिए गए.

पत्नी ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका

मामले में जिला पानीपत निवासी माया देवी ने बताया कि उनका पति हरियाणा पावर जेनरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड में चौकीदार थे. वर्ष 1989 में उन्हें पदोन्नत कर लोअर डिवीजन क्लर्क बना दिया गया था. इसके बाद कॉर्पोरेशन द्वारा उन्हें अनिवार्य कंप्यूटर टाईपिंग टेस्ट पास करने के बारे में कहा गया. लेकिन याची के पति ने इस टेस्ट से छूट मांगी. हालांकि ना तो कर्मचारी को छूट दी गई और ना ही उसने टेस्ट पास किया.

2012 में रिटायर हुआ था कर्मचारी

गौरतलब है कि कर्मचारी क्लर्क के पद से वर्ष 2012 में सेवानिवृत्त हो गया था. जबकि वर्ष 2013 में कॉर्पोरेशन ने उन्हें पत्र जारी कर टेस्ट पास करने के बारे में कहा. साथ ही ऐसा नहीं करने पर चेताया गया कि उनकी पेंशन और अन्य लाभ चौकीदार के पद के अनुसार तय किए जाएंगे. आखिरकार याची का पति टेस्ट पास नहीं कर सका और फिर उन्हें डिमोट कर चौकीदार मानते हुए रिटायरमेंट और अन्य लाभ तय किए गए.

2018 में रिटायर्ड कर्मचारी की मौत

2018 में याची के पति की मौत हो गई. लेकिन याची को उनके दिवंगत पति संबंधी परिवार पेंशन डिमोट पद के अनुसार ही दी गई. याची ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए सरकार की कार्रवाई को मनमानी, हैरान करने वाला वाली और निंदनीय बताया.

रिटायरमेंट के बाद डिमोट करने का प्रावधान नहीं

हाईकोर्ट ने साफ किया गया कि कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद मालिक और नौकर का रिश्ता खत्म हो जाता है. याचिकाकर्ता के पति को सेवा में रहते समय यह शर्त लगाकर डिमोट किया जा सकता था. लेकिन जब वह एलडीसी के रूप में सेवानिवृत्त हो गए तो इसके बाद रिटायर्ड कर्मचारी को डिमोट करने संबंधी या किसी प्रकार के टेस्ट को पास करने के बारे निर्देशित करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है.

6 प्रतिशत ब्याज सहित दें रिटायरमेंट लाभ

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार पर दो लाख रुपए जुर्माना लगाने के अलावा याची के पति को क्लर्क के रूप में सेवानिवृत्त मानकर सभी रिटायरमेंट लाभ 6 प्रतिशत ब्याज सहित जारी करने के आदेश दिए हैं.

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Last Updated : Jul 6, 2024, 4:24 PM IST
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