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क्यों न गर्व करें कि हम बिहारी हैं? हमने ही तो दुनिया को सिखाया गणतंत्र का पाठ, हमने ही दिया शांति संदेश - Bihar Diwas 2024

Bihar Foundation Day 2024 : बिहार का वर्तमान जितना सुदृढ़ है उसका उतीत उससे भी कहीं ज्यादा समृद्ध रहा है. बिहार ने दुनिया को बहुत कुछ दिया. फिर चाहे गणतंत्र हो या विश्वविद्यालय की अवधारणा सबकुछ बिहार में हजारों साल पहले ही दुनिया को राह दिखा चुका है. यह एक से बढ़कर एक गणितज्ञ, साहित्यकारों की धरती रही है. यहीं से बुद्ध और महावीर ने ज्ञान प्राप्त कर शांति का संदेश दिया. बिहार दिवस पर हर किसी को बिहार के गौरवशाली इतिहास को जानना चाहिए. पढ़ें-

बिहार दिवस
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 22, 2024, 6:01 AM IST

पटना : आज अपना बिहार 112 वर्ष का हो गया है. 22 मार्च 1912 को बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होने के बाद बिहार ने एक स्वतंत्र प्रदेश के रूप में अपनी पहचान बनाई. लगभग डेढ़ सौ वर्षों के ब्रिटिश हुकूमत ने जिस बिहार की पहचान गौण कर दी थी, वह पहचान वापस प्राप्त हुई और आज बिहार 113 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. आज हम सभी अपने बिहारी होने पर गौरव की अनुभूति कर रहे हैं.

बिहार दिवस आज : भले ही इस भौतिकतावादी दुनिया में निर्माण के विभिन्न विकास के मानकों पर हम थोड़े पीछे हैं लेकिन हमें इस बात का गौरव है कि हम बिहारी सबसे जीवट वाले भी होते हैं. हम बिहारी ही तो हैं जो हर विषम परिस्थिति में भी मुस्कुरा कर जीने का हुनर जानते हैं. हम बिहारी ही तो हैं जो दुनिया को शांति और सौहार्द का संदेश देते हैं. भारत सरकार के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की हर 5 साल पर आने वाली आत्महत्या की रिपोर्ट में भी देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बिहार सबसे कम है.

आत्महत्या के सबसे कम मामले : साल 2020 की रिपोर्ट यह बताती है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्य जहां प्रति एक लाख व्यक्ति पर 15 से अधिक आत्महत्या के मामले होते हैं. वहीं बिहार में एक लाख से अधिक आबादी पर मात्र 0.7 आत्महत्या के मामले ही आते हैं. यह बिहारियों के हर परिस्थितियों से सामना करने का सबूत है.

ईटीवी भारत GFX.
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अपनी मेधा को दुनिया में साबित किया : बिहार वह भूमि रही है जिसने दुनिया को गणतंत्र दिया है, भगवान, बुद्ध, महावीर और गुरु गोविंद सिंह के माध्यम से दुनिया को शांति और सौहार्द का संदेश दिया है. गांधी और जेपी के आंदोलन के माध्यम से अहिंसक प्रभावशाली आंदोलन करने का दुनिया को तरीका सिखाया है. चाणक्य के अर्थशास्त्र ने पूरे दुनिया को बिहार की धरती से राजनीतिक कूटनीति और प्रशासन चलाने का तरीका सिखाया है.

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गणित और विज्ञान में अव्वल : आर्यभट्ट के शून्य की खोज ने दुनिया को गणित और भौतिकी में शोध करने और आगे बढ़ने का रास्ता दिया है. बिहार की धरती के सपूत गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने महान साइंटिस्ट आइंस्टीन के E=MC² के सिद्धांत को चैलेंज किया है. वहीं इसी बिहार की भूमि पर गया जैसी पवित्र जगह है जहां मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं.

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साहित्य जगत में बिहार का योगदान : शिक्षा जगत में बिहार ने उस समय शिक्षा की ज्योत जागाई है जब दुनिया में शिक्षा के महत्व के बारे में अधिक ज्ञान नहीं था. जब दुनिया में कहीं कोई विश्वविद्यालय ही नहीं था तब बिहार की धरती पर नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया के लिए शिक्षा का केंद्र था. बिहार की वह भूमि है जहां 6 से अधिक हस्तशिल्प के विद्या उपलब्ध हैं. बिहार वह भूमि है जहां फणीश्वर नाथ रेणु, रामधारी सिंह दिनकर, बाबा नागार्जुन, विद्यापति और भिखारी ठाकुर जैसे हिंदी, मैथिली और भोजपुरी साहित्य के हस्ताक्षर दिए हैं.

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पूरे राष्ट्र की सोचता है बिहार : आधुनिक दौड़ में भी बिहार सिर्फ बिहारियों के लिए नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र और वैश्विक हित में सोचता है. बिहार के नेता अपनी नीतियों से बिहार ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय फलक पर अपनी लकीर लंबी खींचने में कामयाब हुए हैं. कर्पूरी ठाकुर के सामाजिक न्याय की वह पहल जिसने वंचितों को आवाज दी ताकि वह अपने हक की बात मुंह खोल कर हक से मांग सकें. नीतीश कुमार की बालिका शिक्षा के क्षेत्र में किए गए साइकिल योजना और प्रोत्साहन राशि योजना जैसे प्रयास जिससे महिलाएं शिक्षित और सशक्त बनीं.

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बिहार का गौरवशाली इतिहास : बिहार के लिच्छवी गणराज्य ने दुनिया में सबसे पहले गणतंत्र की अवधारणा दी. वैशाली में सबसे पहला गणतंत्र स्थापित हुआ था. नालंदा दुनिया का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है. बिहार हर क्षेत्र में हमेशा अव्वल रहा है. इतिहास के पन्नों में बिहार से ही देश पर शासन होता था. सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर कई सम्राट इस धरती पर आए और अपनी ख्याती बढ़ाई. कला, साहित्य हर क्षेत्र में बिहार शिखर पर है. बिहार के गौरव शाली इतिहास पर हर भारतीय को गर्व है. बिहार ऐसे प्रदेश है जहां लोग डूबते सूर्य को भी नमस्कार करते हैं.

ये भी पढ़ें- Bihar Diwas : 'गौरव गान में ही छिपी है बिहार की पहचान'.. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर

पटना : आज अपना बिहार 112 वर्ष का हो गया है. 22 मार्च 1912 को बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होने के बाद बिहार ने एक स्वतंत्र प्रदेश के रूप में अपनी पहचान बनाई. लगभग डेढ़ सौ वर्षों के ब्रिटिश हुकूमत ने जिस बिहार की पहचान गौण कर दी थी, वह पहचान वापस प्राप्त हुई और आज बिहार 113 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. आज हम सभी अपने बिहारी होने पर गौरव की अनुभूति कर रहे हैं.

बिहार दिवस आज : भले ही इस भौतिकतावादी दुनिया में निर्माण के विभिन्न विकास के मानकों पर हम थोड़े पीछे हैं लेकिन हमें इस बात का गौरव है कि हम बिहारी सबसे जीवट वाले भी होते हैं. हम बिहारी ही तो हैं जो हर विषम परिस्थिति में भी मुस्कुरा कर जीने का हुनर जानते हैं. हम बिहारी ही तो हैं जो दुनिया को शांति और सौहार्द का संदेश देते हैं. भारत सरकार के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की हर 5 साल पर आने वाली आत्महत्या की रिपोर्ट में भी देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बिहार सबसे कम है.

आत्महत्या के सबसे कम मामले : साल 2020 की रिपोर्ट यह बताती है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्य जहां प्रति एक लाख व्यक्ति पर 15 से अधिक आत्महत्या के मामले होते हैं. वहीं बिहार में एक लाख से अधिक आबादी पर मात्र 0.7 आत्महत्या के मामले ही आते हैं. यह बिहारियों के हर परिस्थितियों से सामना करने का सबूत है.

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अपनी मेधा को दुनिया में साबित किया : बिहार वह भूमि रही है जिसने दुनिया को गणतंत्र दिया है, भगवान, बुद्ध, महावीर और गुरु गोविंद सिंह के माध्यम से दुनिया को शांति और सौहार्द का संदेश दिया है. गांधी और जेपी के आंदोलन के माध्यम से अहिंसक प्रभावशाली आंदोलन करने का दुनिया को तरीका सिखाया है. चाणक्य के अर्थशास्त्र ने पूरे दुनिया को बिहार की धरती से राजनीतिक कूटनीति और प्रशासन चलाने का तरीका सिखाया है.

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गणित और विज्ञान में अव्वल : आर्यभट्ट के शून्य की खोज ने दुनिया को गणित और भौतिकी में शोध करने और आगे बढ़ने का रास्ता दिया है. बिहार की धरती के सपूत गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने महान साइंटिस्ट आइंस्टीन के E=MC² के सिद्धांत को चैलेंज किया है. वहीं इसी बिहार की भूमि पर गया जैसी पवित्र जगह है जहां मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं.

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साहित्य जगत में बिहार का योगदान : शिक्षा जगत में बिहार ने उस समय शिक्षा की ज्योत जागाई है जब दुनिया में शिक्षा के महत्व के बारे में अधिक ज्ञान नहीं था. जब दुनिया में कहीं कोई विश्वविद्यालय ही नहीं था तब बिहार की धरती पर नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया के लिए शिक्षा का केंद्र था. बिहार की वह भूमि है जहां 6 से अधिक हस्तशिल्प के विद्या उपलब्ध हैं. बिहार वह भूमि है जहां फणीश्वर नाथ रेणु, रामधारी सिंह दिनकर, बाबा नागार्जुन, विद्यापति और भिखारी ठाकुर जैसे हिंदी, मैथिली और भोजपुरी साहित्य के हस्ताक्षर दिए हैं.

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पूरे राष्ट्र की सोचता है बिहार : आधुनिक दौड़ में भी बिहार सिर्फ बिहारियों के लिए नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र और वैश्विक हित में सोचता है. बिहार के नेता अपनी नीतियों से बिहार ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय फलक पर अपनी लकीर लंबी खींचने में कामयाब हुए हैं. कर्पूरी ठाकुर के सामाजिक न्याय की वह पहल जिसने वंचितों को आवाज दी ताकि वह अपने हक की बात मुंह खोल कर हक से मांग सकें. नीतीश कुमार की बालिका शिक्षा के क्षेत्र में किए गए साइकिल योजना और प्रोत्साहन राशि योजना जैसे प्रयास जिससे महिलाएं शिक्षित और सशक्त बनीं.

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बिहार का गौरवशाली इतिहास : बिहार के लिच्छवी गणराज्य ने दुनिया में सबसे पहले गणतंत्र की अवधारणा दी. वैशाली में सबसे पहला गणतंत्र स्थापित हुआ था. नालंदा दुनिया का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है. बिहार हर क्षेत्र में हमेशा अव्वल रहा है. इतिहास के पन्नों में बिहार से ही देश पर शासन होता था. सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर कई सम्राट इस धरती पर आए और अपनी ख्याती बढ़ाई. कला, साहित्य हर क्षेत्र में बिहार शिखर पर है. बिहार के गौरव शाली इतिहास पर हर भारतीय को गर्व है. बिहार ऐसे प्रदेश है जहां लोग डूबते सूर्य को भी नमस्कार करते हैं.

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