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यूसीसी ड्राफ्ट मिलने के बाद दिल्ली पहुंचे सीएम धामी, केंद्रीय मंत्रियों से की मुलाकात, बताया आगे का प्लान

CM Pushkar Singh Dhami Press conference समान नागरिक संहिता के फाइनल ड्राफ्ट को धामी सरकार जल्द से जल्द कानून बनाने की दिशा में काम कर रही है. दिल्ली में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसी को लेकर प्रेस वार्ता की और कहा कि उत्तराखंड विधानसभा में चर्चा के बाद ड्राफ्ट को अधिनियम के रूप में तैयार कर प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा.

दिल्ली में बोली सीएम धामी
दिल्ली में बोली सीएम धामी
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 2, 2024, 7:19 PM IST

Updated : Feb 2, 2024, 8:04 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिल्ली के दौरे पर हैं. दिल्ली में शुक्रवार शाम को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रेस वार्ता की और समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी. शुक्रवार को ही देहरादून में विशेषज्ञ समीति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को समान नागरिक संहिता का फाइनल ड्राफ्ट सौंपा है.

दिल्ली में प्रेस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने वाली समिति ने उनको ड्राफ्ट सौंप दिया है. 740 पन्नों की चार वोल्यूम में तैयार की गई विस्तृत यूसीसी ड्राफ्ट रिपोर्ट पर पांच फरवरी से आहूत होने वाले उत्तराखंड विधानसभा के सत्र में सभी सदस्यों के साथ व्यापक चर्चा और विचार विमर्श किया जाएगा. चर्चा के बाद ड्राफ्ट को अधिनियम के रूप में तैयार कर उत्तराखंड में लागू कर दिया जाएगा.

सीएम ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले किया था वादा: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने प्रदेश की जनता से वायदा किया था चुनाव के बाद उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून लागू किया जायेगा, जिसके लिए प्रदेश की जनता ने उन्हें पूर्ण बहुमत की सरकार दी.
पढ़ें- यूसीसी कमेटी ने सीएम धामी को सौंपा ड्राफ्ट, 2 लाख से ज्यादा लोगों ने दी राय, जानिए क्यों है खास

मई 2022 में गठित की गई थी समीति: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि अपने वादे के मुताबिक उन्होंने सरकार के गठन के तुरंत बाद ही कैबिनेट की पहली बैठक में समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन किया. 27 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता पांच सदस्यीय समिति गठित की गई थी. समिति में सिक्किम हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० सुरेखा डंगवाल और समाजसेवी मनु गौड़ को सम्मिलित किया गया.

दो उप समितियों का गठन भी किया गया था: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि समिति ने दो उप समितियों का गठन भी किया, जिसमें से एक उपसमिति का कार्य संहिता का प्रारूप तैयार करने का था, जबकि दूसरी उपसमिति का काम प्रदेश के निवासियों से सुझाव आमंत्रित करने के साथ ही संवाद स्थापित करना था. समिति ने देश के प्रथम गांव माणा से जनसंवाद कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए प्रदेश के सभी जनपदों में सभी वर्ग के लोगों से सुझाव प्राप्त किए. इस दौरान कुल 43 जनसंवाद कार्यक्रम किए गए.
पढ़ें- क्या कहती है UCC में जोड़े गए पहलुओं पर संविधान की धारा, सीनियर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय से जानें

2.33 लाख लोगों ने दिए अपने सुझाव: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिये और समाज के हर वर्ग से सुझाव आमंत्रित करने के लिए 08 सितम्बर 2022 को एक वेब पोर्टल लॉन्च करने के साथ ही राज्य के सभी नागरिकों से एसएमएस और वाट्सअप मैसेज द्वारा सुझाव आमंत्रित किये गये. समिति को विभिन्न माध्यमों से 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए, जो कि प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों के बराबर है. लगभग 10 हजार लोगों से संवाद और प्राप्त लगभग 02 लाख 33 हजार सुझावों का अध्ययन करने हेतु समिति की 72 बैठकें आहूत की गई.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस रिपोर्ट का अध्ययन और परीक्षण कर यथाशीघ्र उत्तराखंड राज्य के लिये समान नागरिक संहिता कानून का प्रारूप तैयार कर संबंधित विधेयक को आगामी विधानसभा के विशेष सत्र में रखेगी. इस कानून को लागू करने की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ेगी.
पढे़ं- क्या लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड में लागू हो जाएगा UCC? जानकारों से जानें कानूनी पेचीदगियां

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड गंगा यमुना का उद्गम स्थल के साथ भगवान श्री बदरीनाथ, बाबा केदार और आदि कैलाश की पावन भूमि है. इस देवभूमि से तैयार होने वाला यह विधेयक प्रदेश हित के साथ एक भारत श्रेष्ठ भारत और सबका साथ, सबका विकास के प्रधानमंत्री मोदी के मूल मंत्र को साकार करने की दिशा में उठाया गया कदम है.

उन्होंने कहा कि यह किसी के भी विरोध के लिये नहीं लाया गया है. सरकार प्रदेश की जनता से किये गये वादे के अनुरूप इस दिशा में आगे बढ़ी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के अन्य राज्य भी इस दिशा में निश्चित रूप से आगे बढेंगे. भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में इसकी व्यवस्था भी स्पष्ट है.

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिल्ली के दौरे पर हैं. दिल्ली में शुक्रवार शाम को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रेस वार्ता की और समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी. शुक्रवार को ही देहरादून में विशेषज्ञ समीति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को समान नागरिक संहिता का फाइनल ड्राफ्ट सौंपा है.

दिल्ली में प्रेस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने वाली समिति ने उनको ड्राफ्ट सौंप दिया है. 740 पन्नों की चार वोल्यूम में तैयार की गई विस्तृत यूसीसी ड्राफ्ट रिपोर्ट पर पांच फरवरी से आहूत होने वाले उत्तराखंड विधानसभा के सत्र में सभी सदस्यों के साथ व्यापक चर्चा और विचार विमर्श किया जाएगा. चर्चा के बाद ड्राफ्ट को अधिनियम के रूप में तैयार कर उत्तराखंड में लागू कर दिया जाएगा.

सीएम ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले किया था वादा: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने प्रदेश की जनता से वायदा किया था चुनाव के बाद उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून लागू किया जायेगा, जिसके लिए प्रदेश की जनता ने उन्हें पूर्ण बहुमत की सरकार दी.
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मई 2022 में गठित की गई थी समीति: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि अपने वादे के मुताबिक उन्होंने सरकार के गठन के तुरंत बाद ही कैबिनेट की पहली बैठक में समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन किया. 27 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता पांच सदस्यीय समिति गठित की गई थी. समिति में सिक्किम हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० सुरेखा डंगवाल और समाजसेवी मनु गौड़ को सम्मिलित किया गया.

दो उप समितियों का गठन भी किया गया था: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि समिति ने दो उप समितियों का गठन भी किया, जिसमें से एक उपसमिति का कार्य संहिता का प्रारूप तैयार करने का था, जबकि दूसरी उपसमिति का काम प्रदेश के निवासियों से सुझाव आमंत्रित करने के साथ ही संवाद स्थापित करना था. समिति ने देश के प्रथम गांव माणा से जनसंवाद कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए प्रदेश के सभी जनपदों में सभी वर्ग के लोगों से सुझाव प्राप्त किए. इस दौरान कुल 43 जनसंवाद कार्यक्रम किए गए.
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2.33 लाख लोगों ने दिए अपने सुझाव: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिये और समाज के हर वर्ग से सुझाव आमंत्रित करने के लिए 08 सितम्बर 2022 को एक वेब पोर्टल लॉन्च करने के साथ ही राज्य के सभी नागरिकों से एसएमएस और वाट्सअप मैसेज द्वारा सुझाव आमंत्रित किये गये. समिति को विभिन्न माध्यमों से 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए, जो कि प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों के बराबर है. लगभग 10 हजार लोगों से संवाद और प्राप्त लगभग 02 लाख 33 हजार सुझावों का अध्ययन करने हेतु समिति की 72 बैठकें आहूत की गई.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस रिपोर्ट का अध्ययन और परीक्षण कर यथाशीघ्र उत्तराखंड राज्य के लिये समान नागरिक संहिता कानून का प्रारूप तैयार कर संबंधित विधेयक को आगामी विधानसभा के विशेष सत्र में रखेगी. इस कानून को लागू करने की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ेगी.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड गंगा यमुना का उद्गम स्थल के साथ भगवान श्री बदरीनाथ, बाबा केदार और आदि कैलाश की पावन भूमि है. इस देवभूमि से तैयार होने वाला यह विधेयक प्रदेश हित के साथ एक भारत श्रेष्ठ भारत और सबका साथ, सबका विकास के प्रधानमंत्री मोदी के मूल मंत्र को साकार करने की दिशा में उठाया गया कदम है.

उन्होंने कहा कि यह किसी के भी विरोध के लिये नहीं लाया गया है. सरकार प्रदेश की जनता से किये गये वादे के अनुरूप इस दिशा में आगे बढ़ी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के अन्य राज्य भी इस दिशा में निश्चित रूप से आगे बढेंगे. भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में इसकी व्यवस्था भी स्पष्ट है.

Last Updated : Feb 2, 2024, 8:04 PM IST
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