रांची: भाजपा खुद को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है. यह उपलब्धि नेताओं और कार्यकर्ताओं के जुड़ने से हासिल होती है. इस कड़ी में अब कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन का नाम जुड़ने जा रहा है. उन्हें 30 अगस्त को भाजपा की सदस्यता दिलाई जाएगी. ग्रांड वेलकम के लिए रांची में जबरदस्त तैयारी हो रही है.
पुराने विधानसभा के पास शहीद मैदान में उनको भाजपा की सदस्यता दिलाई जाएगी. इस दौरान झारखंड भाजपा के प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, केंद्रीय कृषि मंत्री सह भाजपा के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान, असम के सीएम और चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा, प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी समेत प्रदेश के कई नेता मौजूद होंगे.
चंपाई सोरेन ने भी व्यापक स्तर पर शक्ति प्रदर्शन की तैयारी की है. 30 अगस्त को बड़ी संख्या में उनके समर्थकों के जुटने की संभावना है. इसका असर दिखने लगा है. सरायकेला के गम्हरिया प्रखंड स्थित महुलडीह में मौजूद चंपाई सोरेन के पार्टी दफ्तर पर हरा की जगह भगवा रंग चढ़ा दिया गया है.
चार पूर्व सीएम वाली पार्टी बन जाएगी भाजपा
चंपाई सोरेन के शामिल होते ही भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्रियों की संख्या चार हो जाएगी. अब तक भाजपा ने बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास के रूप में राज्य को तीन मुख्यमंत्री दिए थे. निर्दलीय विधायक रहते सीएम रह चुके मधु कोड़ा की तो उनकी पत्नी गीता कोड़ा के भाजपा में आने से अप्रत्यक्ष तौर पर उनको भी भाजपा से जुड़ा कहा जाता है. झामुमो के नेता तो यही कहते हैं. और अब इस लिस्ट में पूर्व सीम चंपाई सोरेन का भी नाम जुड़ रहा है. वहीं झामुमो के खाते में पूर्व सीएम के तौर पर शिबू सोरेन और वर्तमान सीएम हेमंत सोरेन रह जाएंगे.
बाबूलाल मरांडी का हुआ था ग्रांड वेलकम
बाबूलाल मरांडी ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1991 में भाजपा से शुरु की थी. वह कई पदों पर रहे. वाजपेयी सरकार में मंत्री भी रहे. झारखंड बनने पर पहले मुख्यमंत्री भी बने. 1998 में शिबू सोरेन और 1999 में शिबू सोरेन की पत्नी रुपी सोरेन को दुमका सीट पर हराया. लेकिन 2003 में डोमिसाइल विवाद की वजह से उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी.
2006 में उन्होंने भाजपा से अलग होकर जेवीएम यानी झारखंड विकास मोर्चा बना लिया. 14 साल बाद फरवरी 2020 को उनकी दोबारा भाजपा में वापसी हुई. उनको पार्टी में शामिल कराने खुद अमित शाह रांची आए थे. प्रभात तारा मैदान में भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ था. झारखंड भाजपा में ऐसा ग्रांड वेलकम किसी नेता का नहीं हुआ था.
राजद छोड़कर भाजपा में आईं थी अन्नपूर्णा देवी
बाबूलाल मरांडी की वापसी से करीब एक साल पहले झारखंड राजद अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी ने मार्च 2019 में भाजपा ज्वाइन किया था. लालू यादव की बेहद करीबी कही जाने वाली अन्नपूर्णा देवी तब खूब सुर्खियों में रहीं थी. उनको दिल्ली स्थित भाजपा के केंद्रीय कार्यालय में राष्ट्रीय महामंत्री भूपेंद्र यादव ने सदस्यता दिलाई थी. तब तत्कालीन सीएम रघुवर दास भी मौजूद थे. अन्नपूर्णा देवी के साथ राजद के पूर्व विधायक जनार्दन पासवान भी भाजपा में शामिल हुए थे. आज अन्नपूर्णा देवी केंद्र की मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. इससे पूर्व की सरकार में राज्य मंत्री थीं.
कांग्रेस सांसद रहते गीता कोड़ा आईं भाजपा में
पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी माह में कांग्रेस को अलविदा कह दिया था. राज्य में कांग्रेस की एकमात्र सांसद रहते हुए उन्होंने भाजपा ज्वाइन किया था. उनको प्रदेश भाजपा ऑफिस में बाबूलाल मरांडी ने पार्टी की सदस्यता दिलाई थी. हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में वह झामुमो की जोबा मांझी से हार गईं. लेकिन भाजपा नेताओं का मानना है कि गीता कोड़ा के आने से कोल्हान में भाजपा को मजबूती मिली है. पार्टी को भरोसा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिलेगा.
झामुमो छोड़कर भाजपा में आईं सीता सोरेन
झारखंड की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ जब झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा ज्वाइन कर लिया. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें मार्च 2024 को दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय में भाजपा की सदस्यता दिलाई गई. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले झामुमो के लिए यह अबतक का सबसे बड़ा झटका था. उन्होंने इस फैसले के पीछे पार्टी में हो रही उपेक्षा को कारण बताया. उन्होंने हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन को जिम्मेवार ठहराया. हालांकि सीता सोरेन भी दुमका सीट नहीं जीत पाईं. उन्हें झामुमो के नलिन सोरेन ने हरा दिया.
राजद के गिरिनाथ सिंह भी आए थे कभी
झारखंड राजद के प्रदेश अध्यक्ष और बिहार की राबड़ी सरकार में मंत्री रह चुके गिरिनाथ सिंह ने भी 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ज्वाइन किया था. उन्हें प्रदेश कार्यसमिति में सदस्य के अलावा भाजपा राष्ट्रीय परिषद का सदस्य बनाया गया था. लेकिन पांच साल भी नहीं रह पाए. 2024 के लोकसभा चुनाव में चतरा से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने पार्टी छोड़ दी और राजद में लौट गये. वह चार बार गढ़वा से विधायक रहे हैं.
टिकट की चाहत में कई भाजपा में आए और गये
2019 के विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड में टिकट की मारामारी में कई नेताओं ने पाला बदला. कभी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सुखदेव भगत ने अक्टूबर 2019 में भाजपा ज्वाइन कर लिया था. लेकिन कांग्रेस के रामेश्वर उरांव से चुनाव हार गये. इस हार के साथ ही उनका भाजपा से मोहभंग हो गया. वह रास्ता तलाश रहे थे. इसी बीच भाजपा ने अक्टूबर 2020 में पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया.
सुखदेव भगत के साथ बहरागोड़ा से झामुमो के विधायक रहे कुणाल षाडंगी ने भी भाजपा ज्वाइन किया था. लेकिन वह झामुमो के समीर मोहंती से चुनाव हार गये. इसके बाद पार्टी में प्रवक्ता बने रहे. लेकिन 7 जुलाई 2024 को उन्होंने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया.
नेताओं का पार्टी बदलना या अलग पार्टी बनाना कोई नई बात नहीं है. आमतौर पर चुनाव के वक्त पाला बदलने का खेल ज्यादा देखने को मिलता है. लेकिन हाल के वर्षों में ऐसी घटनाओं में इजाफा हुआ है. वैसे चंपाई सोरेन का मामला इससे इतर है. वह पहले नेता हैं जिन्होंने मंत्री रहते हुए उस पार्टी को छोड़ने की घोषणा की, जिससे वे तीन दशक से ज्यादा वक्त तक जुड़े रहे. उनका झारखंड आंदोलन में अहम रोल रहा. अब देखना है कि उनके आने से कोल्हान में भाजपा को कितनी सफलता मिलती है.
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