देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की स्थिति स्पष्ट हो गई है. यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. कमेटी 2 फरवरी को यूसीसी का फाइनल ड्राफ्ट राज्य सरकार को सौंपने जा रही है. जिसके बाद 5 फरवरी से आहूत हो रहे विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान यूसीसी विधेयक को सदन के पटल पर रखा जाएगा. यूसीसी को लेकर स्थिति स्पष्ट होने के बाद अब उत्तराखंड की राजनीतिक सियासत गरमाने लगी है.
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सीएम धामी की प्राथमिकताओं में शुमार यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर शुरुआती दौर में राज्य सरकार ने बड़ी तत्परता दिखाई थी. जिसके तहत साल 2022 में सरकार के गठन के बाद हुई पहली कैबिनेट में यूसीसी को लागू करने पर मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी थी. जिसके बाद यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए कमेटी का गठन और चार बार कमेटी का कार्यकाल बढ़ाए जाने के बाद अब वो दिन आ गया है जब राज्य सरकार को यूसीसी का ड्राफ्ट मिलने वाला है. जिसके बाद इसे सदन में पारित कराकर धामी सरकार इसे कानूनी रूप देगी.
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लोकसभा चुनाव से पहले इसे एक बड़े स्टंट के रूप में देखा जा रहा है. एक ओर केंद्र सरकार ने अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा कर देश का माहौल भगवामय कर दिया है. अब धामी सरकार चुनाव से ठीक पहले प्रदेश में यूसीसी को लागू कर देशभर में बड़ा संदेश देने जा रही है. वहीं, उत्तराखंड में यूसीसी को लेकर राजनीतिक पार्टियां भी सक्रिय हो गई है.
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यूसीसी का मसौदा तैयार होने और 2 फरवरी को सरकार को मिलने के मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि, साल 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा का यह संकल्प था कि भाजपा सरकार प्रदेश में यूसीसी को लागू करेगी, जिसके आधार पर देवभूमि की जनता ने भाजपा को आशीर्वाद दिया. सरकार बनाने के बाद यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया. कमेटी ने अपना काम पूरा कर लिया है. कमेटी 2 फरवरी को यूसीसी का फाइनल ड्राफ्ट सरकार को दे देगी. इसके बाद सरकार रिपोर्ट का आंकलन करेगी. फिर एक्ट बनने को लेकर जो कार्यवाही होती है उसपर सरकार आगे बढ़ेगी.
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हरिद्वार सांसद निशंक ने दी प्रतिक्रिया: वहीं, उत्तराखंड में यूसीसी के कार्यान्वयन पर, भाजपा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक का बयान भी आया है. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा यह राष्ट्र के पक्ष में और प्रगति में है. यूसीसी लागू करना एक अविश्वसनीय कार्य है. त्तराखंड यूसीसी लाग करने वाला देश का पहला राज्य होगा.
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यूसीसी से सभी धर्म के लोगों को मिलेगा फायदा: वहीं, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा यूसीसी किसी के खिलाफ नहीं है. कुछ लोगों की राजनीति समाप्त होने जा रही है, जिसके चलते कुछ मुस्लिम लीडर्स के जरिए यूसीसी ड्राफ्ट का विरोध कराने की कोशिश कर रहे हैं. उन लोगों को लगता है कि अगर सबकुछ सामान्य हो गया तो उनकी राजनीति समाप्त हो जायेगी. उन्होंने कहा यूसीसी किसी के विरोध में नहीं है. शादाब शम्स ने कहा जिन देशों में यूसीसी लागू है वहां पर भी सभी धर्म और समुदाय के लोग रहते हैं. ऐसे में यहां भी लोगों को इसका फायदा मिलेगा.
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सामाजिक, धार्मिक ध्रुवीकरण करना चाहती है भाजपा: यूसीसी को लेकर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी कहते हैं, यूसीसी भाजपा के एजेंडे में है. जब से भाजपा बनी है तब से इनके एजेंडे में धारा 370, यूसीसी रहा है. उन्होंने कहा यूसीसी का मसौदा मिलने के बाद सदन के पटल पर इसे रखा जाएगा. उसके बाद विपक्षी विधायक भी पूरी मजबूती के इस मामले में अपनी बात रखेंगे. मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं है, भाजपा उसे अपने एजेंडे के तहत बस इसे लागू करना चाहती है. उन्होंने कहा लोकसभा चुनाव के कारण भाजपा यूसीसी-यूसीसी चिल्ला रही है, जिससे सामाजिक और धार्मिक ध्रुवीकरण हो सके.
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वहीं, मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरेशी ने कहा देश में एक माहौल बनाया जा रहा है कि जब भी कोई कानून भाजपा लाती है तो उसे मुस्लिम विरोधी दिखा देती है. यूसीसी में मुसलमानों को कोई नुकसान नहीं होने वाला है. मुसलमानों ने देश के कानून की इज्जत की है. भविष्य में सरकार जो भी कानून लाएगी अगर वो संविधान के विपरित नहीं होगा तो उसका सम्मान किया जाएगा. उन्होंने कहा अगर सरकार कुछ गलत कदम उठाएगी तो उसके विरुद्ध सड़क पर भी लड़ाई लड़ी जाएगी. उच्चतम न्यायालय में भी लड़ाई लड़ी जाएगी.
उत्तराखंड में लागू होने वाला है यूसीसी!
- 23 मार्च 2022 को धामी 2.0 सरकार का गठन हुआ.
- सरकार के गठन के बाद हुई पहली बैठक में यूसीसी लागू करने का निर्णय लिया.
- 27 मई 2022 को यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित की गई.
- सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित की गई विशेषज्ञ समिति.
- विशेषज्ञ कमेटी में रंजना देसाई समेत पांच सदस्यों को किया गया शामिल.
- कमेटी गठित होने के बाद ही सदस्यों ने ड्राफ्ट तैयार करने के लिए काम शुरू किया.
- यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए समिति को 6 महीने का वक्त दिया गया.
- 2 दिसंबर 2022 में समिति के कार्यकाल को अगले 6 महीने के लिए बढ़ाया गया.
- 27 मई 2023 को गठित कमेटी का एक साल का कार्यकाल पूरा हो गया है.
- कमेटी की ओर से थोड़ा और वक्त मांगे जाने पर चार महीने का और वक्त दिया गया.
- 27 सितंबर 2023 को कमेटी का कार्यकाल समाप्त हो गया.
- कमेटी के अनुरोध पर समिति का कार्यकाल चार महीने के लिए और बढ़ाया गया.
- समिति का कार्यकाल 26 जनवरी को समाप्त होने से पहले चौथी बार बढ़ाया गया.
- 25 जनवरी को यूसीसी का कार्यकाल 15 दिनों के लिए बढ़ाया गया.
- दो फरवरी को कमेटी राज्य सरकार को सौंपेगी यूसीसी का ड्राफ्ट.
- 5 फरवरी को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान सदन पटल पर यूसीसी का विधेयक रखेगी धामी सरकार.
उत्तराखंड में कैसे तैयार हुआ यूसीसी का ड्राफ्ट
- यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए समिति ने लिए तमाम सुझाव.
- कमेटी ने ड्राफ्ट तैयार करने के लिए करीब ढाई लाख से अधिक लोगों से लिए सुझाव.
- उत्तराखंड के निवासियों, सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं, संगठनो से भी लिए गए सुझाव.
- प्रदेश के विधायकों से भी समिति ने लिए सुझाव.
- समिति ने प्रदेश के सभी जिलों में जाकर आम जनता से लिए सुझाव.
- विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट के लिए प्रदेश के राजनीतिक दलों से लिए सुझाव.
- यूसीसी ड्राफ्ट के लिए कमेटी ने विदेशों के कुछ कानूनों का भी किया अध्ययन.
- यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित कमेटी ने ड्राफ्ट कर लिया है मसौदा तैयार.
उत्तराखंड यूसीसी ड्राफ्ट के मुख्य बिंदु
- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर लगेगी रोक.
- बहुविवाह पूर्ण तरीक़े से बैन केवल एक शादी होगी मान्य.
- लड़कियों के शादी की उम्र बढ़ाई जा सकती है.
- लड़कियों के शादी की उम्र 21 साल की जा सकती है.
- लिव इन रिलेशनशिप के लिए डिक्लेरेशन होगा जरूरी.
- लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के माता पिता को दी जायेगी जानकारी.
- लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पुलिस के पास रजिस्टर करना होगा.
- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर मिलेगा हिस्सा.
- एडॉप्शन सभी के लिए होगा मान्य.
- मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा गोद लेने का अधिकार.
- गोद लेने की प्रक्रिया में होगा सरलीकरण.
- मुस्लिम समुदाय में होने वाले हलाला और इद्दत पर रोक होगी.
- शादी के बाद रजिस्ट्रेशन होगा अनिवार्य.
- हर शादी का गांव में ही रजिस्ट्रेशन होगा.
- बिना रजिस्टर की शादी अमान्य मानी जाएगी.
- शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा.
- पति और पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे.
- तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा.
- नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी.
- अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता पिता का भी हिस्सा होगा.
- पत्नी की मौत हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी.
- गार्जियनशिप, बच्चे के अनाथ होने की सूरत में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा.
- पति-पत्नी के झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है.
- यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का भी हो सकता है प्रावधान.
- जनसंख्या नियंत्रण के लिए बच्चों की सीमा तय की जा सकती है.
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