पटना :13 नवंबर को बिहार के लिए बड़ा दिन होने वाला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार वासियों को दूसरे एम्स का तोहफा देंगे. दरभंगा के शोभन बाईपास के पास बलिया मौजे के पंचोभ में बिहार के दूसरे एम्स का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिलान्यास करेंगे. इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहेंगे. करीब एक दशक के संघर्ष के बाद दरभंगा में एम्स का शिलान्यास बुधवार को होने वाला है.
दरभंगा एम्स के संघर्ष की कहानी : बिहार में दूसरे एम्स के निर्माण की घोषणा नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल की सरकार में की गई थी. नरेंद्र मोदी की सरकार के पहले कार्यकाल 2015-16 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दरभंगा में नए एम्स के निर्माण की घोषणा की थी. 2 वर्षों के बाद केंद्र की सरकार ने दरभंगा में एम्स बनाने के लिए बिहार सरकार से फोरलेन कनेक्टिविटी के साथ करीब 200 एकड़ का दो-तीन विकल्प मांगा.
8 साल केंद्र और राज्य के बीच अटका रहा मामला : इसके अलावा यह शर्त रखी गई कि बिहार सरकार को यह जमीन केंद्र सरकार को मुफ्त में उपलब्ध करवानी पड़ेगी. इसके बाद 2019 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और बाद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी दरभंगा में एम्स निर्माण को लेकर बिहार सरकार के साथ कई दौर की बातचीत की. 8 वर्षों में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के बीच केंद्र सरकार का एम्स के लिए बजट, जगह का चयन, केंद्र और राज्य के बीच तकरार के कारण यह मामला अटका रहा.
2019-20 में मिली थी स्वीकृति : 19 सितंबर 2019 को नरेंद्र मोदी सरकार ने दरभंगा में एम्स बनाने की इजाजत दे दी थी. 3 नवंबर 2021 को बिहार सरकार ने जमीन दे दी थी. दरभंगा के DMCH को अपग्रेड कर एम्स बनाने की चर्चा हुई. लेकिन बिहार सरकार ने दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (डीएमसीएच) के परिसर में 200 एकड़ जमीन चिह्नित की थी. DMCH के उसी परिसर में एम्स बनाने का प्रस्ताव भेजा गया. जो जमीन बिहार सरकार ने प्रस्तावित किया था, वह दो खंडों में था. इसको लेकर संसय बना हुआ था. डीएमसीएच के मेडिकल ग्राउंड की ओर से मिट्टीकरण का काम भी शुरू हो गया था.
सरकार बदली निर्माण स्थल बदला : दरभंगा के शोभन बाईपास के नजदीक पंचोभ के बलिया मौजे में 187 एकड़ जमीन पर राज्य का दूसरा एम्स बनेगा. 2019-20 में दरभंगा में एम्स की स्वीकृति प्रदान की गई थी. लेकिन जब बिहार में महागठबंधन सरकार सत्ता में आई, तो उन्होंने 2023 में स्थान बदल दिया. पहले दरभंगा के अशोक पेपर मिल परिसर में एम्स बनने की चर्चा हुई. फिर बाद में महागठबंधन की सरकार ने दरभंगा के शोभन एकमी बाईपास के पास पंचोभ स्थित बलिया मौजे में नए एम्स का स्थल चयन किया.
केंद्र-बिहार सरकार के बीच तनातनी : महागठबंधन सरकार के द्वारा चयनित एम्स के नए स्थल को लेकर केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के बीच तनातनी बढ़ गई. 26 में 2023 को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण का बिहार सरकार को एक पत्र मिला. केंद्र सरकार ने लोलैंड एरिया बढ़ाकर इस जगह को अस्वीकृत कर दिया. लेकिन बिहार की सरकार लगातार यह कहती रही की फोरलेन से कनेक्ट यह जगह एम्स के लिए सबसे उपयुक्त होगा.
309 करोड़ रुपए से मिट्टी भराई : बिहार सरकार ने दरभंगा बाईपास को फोरलेन बनाने की स्वीकृत प्रदान कर दी. इसके अलावा बिहार सरकार ने एम्स के चयनित स्थल के मिट्टी भराई के लिए 309 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की. बिहार सरकार ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि केंद्र की सरकार बिहार में दूसरा एम्स नहीं बनना चाह रही है.
PM के बयान पर सियासत : 13 अगस्त 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक भाषण के क्रम में कहा कि दरभंगा एम्स लोगों के स्वास्थ्य सेवाओं के लिए खोला गया है. इसके तुरंत बाद जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस एम्स के निर्माण कार्य अभी शुरू ना होने का दावा किया और इसके लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया. इसके बाद उसे समय के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी प्रधानमंत्री के बयान पर सवाल उठाए थे.
सरकार बदली मामला सुलझा : बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से पाला बदलते हुए एनडीए के साथ सरकार बनाने का निर्णय लिया. 9 अगस्त 2022 से चला आ रहा राजद के साथ महागठबंधन से इस्तीफा दे दिया है. 28 जनवरी 2024 को नीतीश कुमार ने फिर से बीजेपी के सहयोग से बिहार में एनडीए की सरकार बनाई. इसके बाद दरभंगा में एम्स निर्माण को लेकर केंद्र और बिहार सरकार के बीच जो विवाद था धीरे-धीरे खत्म हो गया. केंद्र सरकार ने बिहार सरकार के प्रस्तावित दरभंगा के एम्स स्थल की मंजूरी दे दी.
187 एकड़ जमीन आवंटित : बिहार की एनडीए सरकार ने दरभंगा एम्स के निर्माण के लिए दो चरणों में 187 एकड़ जमीन केंद्र सरकार को निशुल्क सौंप दी. 12 अगस्त को 150.13 एकड़ और 24 सितंबर को शेष 37.31 एकड़ जमीन हस्तांतरित करते हुए पंचोभ ग्राम पंचायत (शोभन के पास) में बलिया मौजा में 187.44 एकड़ जमीन आवंटित कर दी है.
एचएससीसी को मिला टेंडर : बिहार के दरभंगा में बनने वाले दूसरे एम्स के निर्माण का काम नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन की सहायक इकाई-हॉस्पिटल सर्विसेज कंसल्टेंसी कॉरपोरेशन को टेंडर दिया गया है. 750 बेड वाले इस अस्पताल के लिए 2020 में 1 हजार 264 करोड़ राशि की मंजूर की गई थी. एम्स निर्माण के पहले चरण में आवंटित जमीन में से 2.25 लाख वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में एम्स के भवनों का निर्माण होगा. इस पूरी परियोजना को 36 महीने यानी तीन वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. बाद में यह राशि बढ़ाकर 1700 करोड़ रुपए कर दी गई. दरभंगा एम्स के मॉडल का निर्माण दिल्ली IIT को दिया गया है.
एम्स से इन जिलों के लोगों सुविधा : दरभंगा में एम्स के निर्माण के बाद यह राज्य में दूसरा प्रमुख चिकित्सा संस्थान के रूप में कार्य करेगा. इसके निर्माण हो जाने से दरभंगा, मधुबनी सीतामढ़ी, समस्तीपुर, सुपौल, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया के अलावा नेपाल में रहने वाले लोगों को इसका सीधा फायदा होगा. बेहतर इलाज के लिए उन्हें बड़ें शहरों का रूख नहीं करना पड़ेगा. मिथिलांचल और नेपाल के 2 करोड़ से अधिक लोगों को इस एम्स की सुविधा का लाभ मिलेगा.
एम्स के निर्माण से खुशी : दरभंगा में एम्स के निर्माण से सबसे ज्यादा खुशी पंचोभ पंचायत के लोगों को हो रही है. पंचोभ के निवासी 66 वर्षीय अनिल कुमार झा से ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि लगभग एक दशक के संघर्ष के बाद दरभंगा में एम्स का शिलान्यास खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं. जब दरभंगा में एम्स के निर्माण की बात हुई थी उसी समय से दरभंगा के लोगों में खुशी थी कि बिहार का दूसरा एम्स उनके जिला में बनने जा रहा है. लेकिन यह खुशी तब और ज्यादा बढ़ गई जब बाद में बिहार सरकार ने इसकी निर्माण का फैसला उन्हीं के गांव के बलिया मौजे में करने का किया.
"हम लोगों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि हमारे गांव के नजदीक एम्स का निर्माण होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्थानीय सांसद गोपाल जी ठाकुर और संजय झा की भूमिका सराहनीय रही है. कल के कार्यक्रम के लिए वह लोग बहुत ज्यादा उत्साहित हैं.''- अनिल कुमार झा, स्थानीय निवासी, पंचोभ
दरभंगा के स्थानीय निवासी विवेक विकास चौधरी का कहना है कि केंद्र की केंद्र कि नरेंद्र मोदी सरकार ने मिथिलांचल के विकास के लिए बहुत कुछ किया है. दरभंगा में एम्स के निर्माण के बाद न केवल मिथिलांचल बल्कि बगल के पड़ोसी देश नेपाल के लोगों को भी अब दिल्ली का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. वे लोग पिछले 1 महीने से इस इंतजार में थे कि कब मोदी जी आएंगे और दरभंगा में एम्स का शिलान्यास रखेंगे.
गांव में बांटा जा रहा है अक्षत : दरभंगा एम्स के शिलान्यास के लिए प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए स्थानीय सांसद गोपाल जी ठाकुर घर-घर जाकर लोगों के बीच अक्षत बांट रहे हैं. सनातन धर्म में किसी शुभ काम की शुरुआत अक्षत से की जाती है. यही कारण है कि इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सांसद गोपाल जी ठाकुर दरभंगा के गांव गांव जाकर लोगों को कल के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अक्षत बांट रहे हैं.
सांसद की लोगों से अपील : दरभंगा के सांसद गोपाल जी ठाकुर ने कल के शिलान्यास कार्यक्रम के लिए दरभंगा ही नहीं मिथिलांचल के सभी जिलों से लोगों को शामिल होने की अपील की है. गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि शिलान्यास के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वह बेनीपुर एवं आसपास के गांव में अक्षत देकर लोगों से इस कार्यक्रम में भाग लेने की अपील किए हैं. ताकि यह ऐतिहासिक कार्यक्रम को सफल सफल हो और लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुनें.
दरभंगा एम्स निर्माण को लेकर जानकारों की राय : दरभंगा में एम्स निर्माण में हुई देरी को लेकर वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी से जब ईटीवी भारत में बातचीत की तो उन्होंने कहा कि दरभंगा एम्स के निर्माण की बात 2015 में अरुण जेटली के वित्त मंत्री रहते हुए हुई थी. कौशलेंद्र प्रियदर्शी ने कहा कि मां की कोख से एक बच्चे का जन्म 9 महीने में हो जाता है. लेकिन सियासत की कोख में हो रही राजनीति के कारण इस एम्स के निर्माण में 9 साल लग गए.
''इस एम्स के निर्माण को लेकर बिहार के लोगों ने कई तरीके की राजनीति देखी. 9 साल पहले बजट में इसे लाया गया लेकिन जमीन पर उतरते उतरते लगभग एक दशक बीत गए. यही कारण है कि उस समय जितना बजट एम्स के निर्माण के लिए 1264 करोड़ रुपए आवंटित किया गया था, बाद में समय बीतने के कारण और बढ़ाना पड़ा.''- कौशलेन्द्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
राजनीतिक पेंच में लगा 9 साल : वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का कहना है कि दरभंगा में बन रहा एम्स राजनेताओं के राजनीतिक चरित्र को सामने लाने का काम किया. नीतीश कुमार के राजनीतिक पलटी का भी खामियाजा इसे भुगतना पड़ा. दरभंगा एम्स की जमीन पर कभी राज्य सरकार ने सवाल खड़े किए, तो कभी केंद्र की सरकार ने, लेकिन जब फिर से नीतीश कुमार और बीजेपी एक हुई तब जाकर दरभंगा एम्स का सपना साकार हो पा रहा है. संभवत: बिहार पहला राज्य होगा जहां एक राज्य में दो एम्स बनेगा. सुनील पांडेय का कहना है कि इसके निर्माण से न केवल उत्तर बिहार बल्कि बगल के देश के लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा.
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