पटना : 2024 लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंकने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह एक्टिव हो गए. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उत्तर से लेकर दक्षिण तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक भारत के कोने-कोने तक पीएम प्रचार करने पहुंचे. मतलब जहां पर जैसी जरूरत, उस अनुरूप पीएम ने मोर्चा संभाला.
पटना में PM मोदी का स्टे : बिहार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस बार बहुत ज्यादा सक्रिय हैं. 4 अप्रैल से प्रधानमंत्री जमुई में पहली जनसभा की शुरुआत की थी. उसके बाद से अब तक 10 चुनावी जनसभा कर चुके हैं. पटना में रोड शो भी कर चुके हैं. सबसे बड़ी बात है कि पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने एक सप्ताह के अंदर दो रात स्टे किया है.
CM सुस्त, PM चुस्त : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार चुनाव प्रचार में सुस्त दिखाई पड़ रहे हैं. बीच में बीमार भी हो गए थे. 2019 के मुकाबले में जनसभा भी कम कर रहे हैं. ऐसे में लालू और तेजस्वी को चुनौती देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद मोर्चा संभाल रखा है.
पिछली बार से ज्यादा जनसभा : 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी 9 बार बिहार आए थे और 11 जनसभाएं की थीं. तब एनडीए ने बिहार की 40 में से 39 सीटें जीती थी. इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 जनसभा कर चुके हैं, सातवीं बार बिहार आए हैं. दो जनसभा और करेंगे यानी कि 12 जनसभा 21 मई तक पीएम मोदी की हो जाएगी. कहा तो यह भी जा रहा है कि अंतिम दो चरण के लिए प्रधानमंत्री की चार सभा और हो सकती है.
''बिहार की राजनीतिक समीकरण लगातार बदलती रही है. प्रधानमंत्री का बिहार से विशेष लस्ट है. नीतीश कुमार इस बार फ्रंट से खेलते नहीं दिख रहे हैं. यही कारण है कि प्रधानमंत्री बिहार में इस बार अधिक जनसभा और कार्यक्रम कर रहे हैं.''- सुनील पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ
'कमान नीतीश कुमार के पास ही है' : कुल मिलाकर कहा जाए तो, बिहार एनडीए में पहली बार ऐसा दिख रहा है कि नीतीश कुमार के हाथ में एनडीए की कमान नहीं है. बल्कि यह कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में है लेकिन नीतीश कुमार के नजदीकी एमएलसी संजय गांधी का कहना है कि इस बार भी कमान नीतीश कुमार के पास ही है और आगे भी रहेगा.
''प्रधानमंत्री के आने से इंडी गठबंधन के लोगों में बेचैनी है. भ्रष्टाचारियों के कलेजे पर सांप लौट रहा है. प्रधानमंत्री का पूरा देश है और मां की सेवा के लिए आए हैं और आगे भी आएंगे.''- सुमित शशांक, प्रवक्ता, भाजपा
'पहले का परिणाम दोहरा पाएगा NDA ?' : अगर गौर से देखा जाए तो, 2019 में नीतीश कुमार ने बिहार में एनडीए की कमल संभाली थी. 40 में से 39 सीट पर जीत हुई थी. इस बार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन छोड़कर नीतीश कुमार एनडीए में आए हैं, लेकिन बहुत ज्यादा चुनाव प्रचार में सक्रिय नहीं दिख रहे हैं. यहां तक की प्रधानमंत्री के कई कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए हैं. एक तरफ तेजस्वी यादव एक दिन में 5 से अधिक जनसभा कर रहे हैं तो नीतीश कुमार दो जनसभा. ऐसे में 2019 का रिजल्ट फिर से दोहराना एक बड़ी चुनौती है.
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