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नए आपराधिक कानून विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर - New Criminal Laws - NEW CRIMINAL LAWS

New Criminal Laws: नए कानूनों के लागू होने से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. इस याचिका में अदालत से कानूनों का आकलन करने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश जारी करने की मांग की गई है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (ANI)
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By ANI

Published : Jun 27, 2024, 4:38 PM IST

Updated : Jun 27, 2024, 7:30 PM IST

नई दिल्ली: नए आपराधिक कानून विधेयक भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. यह याचिका 1 जुलाई से नए कानूनों के लागू होने से ठीक पहले दायर की गई है.

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह इस पर तुरंत एक विशेषज्ञ समिति गठित करने के लिए निर्देश जारी करे. यह समिति देश के आपराधिक कानूनों में सुधार करने और भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को समाप्त करने के उद्देश्य से नए संशोधित आपराधिक कानूनों की व्यवहार्यता का आकलन और पहचान करे.

याचिका में तीन नए आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के संचालन और कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग भी की गई है. इस जनहित याचिका को अंजलि पटेल और छाया ने अधिवक्ता संजीव मल्होत्रा ​​और कुंवर सिद्धार्थ के माध्यम से दायर किया है.

'विधेयकों में कई खामियां और विसंगतियां'
याचिका के अनुसार प्रस्तावित विधेयकों में कई खामियां और विसंगतियां हैं. याचिका में कहा गया है, "प्रस्तावित विधेयकों को वापस ले लिया गया और कुछ बदलावों के साथ नए विधेयक पेश किए गए, इन्हें 21 दिसंबर 2023 को संसद ने पारित किया और 25 दिसंबर 2023 को राजपत्र अधिसूचना में प्रकाशित किया गया और अब ये सभी एक अधिनियम का दर्जा प्राप्त कर चुके हैं."

पुलिस व्यवस्था में सुधार की जरूरत
याचिका में कहा गया है कि यह पहली बार है कि आपराधिक कानूनों में इस स्तर पर बदलाव किए गए हैं. याचिका में कहा गया है कि पुराने कानून को औपनिवेशिक का सिंबल बताकर बदल दिया गया है, जबकि औपनिवेशिक शासन का मुख्य प्रतीक पुलिस व्यवस्था है जो ब्रिटिश काल से चली आ रही है. इसमें सुधार किए जाने और उसे लागू किए जाने की आवश्यकता है. भारतीय न्याय संहिता में भारतीय दंड संहिता, 1860 के अधिकांश अपराध शामिल हैं. इसमें सामुदायिक सेवा को सजा के रूप में जोड़ा गया है और राजद्रोह अब अपराध नहीं रह गया.

देश की एकता को खतरा
इसके बजाय इसमें भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों के लिए एक नया अपराध जोड़ा गया है. भारतीय न्याय संहिता में आतंकवाद को अपराध के रूप में जोड़ा गया है. इसे ऐसे कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया है जिसका उद्देश्य देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालना, आम जनता को डराना या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ना है.

याचिका में कहा गया है कि छोटे-मोटे संगठित अपराध भी अब अपराध हैं. जाति, भाषा या धार्मिक आधार पर पांच या अधिक व्यक्तियों के समूह द्वारा हत्या करना अपराध होगा, जिसके लिए सात साल से लेकर आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है. नए कानून 15 दिनों तक की पुलिस हिरासत की अनुमति देते हैं.

याचिका में कहा गया है कि संसद में विधेयकों को पारित करने में अनियमितता बनी हुई है, क्योंकि कई संसद सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था और विधेयकों को पारित करने में बहुत कम लोगों ने भाग लिया. इस तरह की कार्रवाई के कारण विधेयक पर कोई बहस नहीं हुई और न ही कोई चुनौती दी गई.

यह भी पढ़ें- नए कानूनों में मिलेगी ऑनलाइन FIR, फ्री इलाज और फास्ट-ट्रैक इंवेस्टिगेशन की सुविधा, जानें और क्या है इनमें खास

नई दिल्ली: नए आपराधिक कानून विधेयक भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. यह याचिका 1 जुलाई से नए कानूनों के लागू होने से ठीक पहले दायर की गई है.

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह इस पर तुरंत एक विशेषज्ञ समिति गठित करने के लिए निर्देश जारी करे. यह समिति देश के आपराधिक कानूनों में सुधार करने और भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को समाप्त करने के उद्देश्य से नए संशोधित आपराधिक कानूनों की व्यवहार्यता का आकलन और पहचान करे.

याचिका में तीन नए आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के संचालन और कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग भी की गई है. इस जनहित याचिका को अंजलि पटेल और छाया ने अधिवक्ता संजीव मल्होत्रा ​​और कुंवर सिद्धार्थ के माध्यम से दायर किया है.

'विधेयकों में कई खामियां और विसंगतियां'
याचिका के अनुसार प्रस्तावित विधेयकों में कई खामियां और विसंगतियां हैं. याचिका में कहा गया है, "प्रस्तावित विधेयकों को वापस ले लिया गया और कुछ बदलावों के साथ नए विधेयक पेश किए गए, इन्हें 21 दिसंबर 2023 को संसद ने पारित किया और 25 दिसंबर 2023 को राजपत्र अधिसूचना में प्रकाशित किया गया और अब ये सभी एक अधिनियम का दर्जा प्राप्त कर चुके हैं."

पुलिस व्यवस्था में सुधार की जरूरत
याचिका में कहा गया है कि यह पहली बार है कि आपराधिक कानूनों में इस स्तर पर बदलाव किए गए हैं. याचिका में कहा गया है कि पुराने कानून को औपनिवेशिक का सिंबल बताकर बदल दिया गया है, जबकि औपनिवेशिक शासन का मुख्य प्रतीक पुलिस व्यवस्था है जो ब्रिटिश काल से चली आ रही है. इसमें सुधार किए जाने और उसे लागू किए जाने की आवश्यकता है. भारतीय न्याय संहिता में भारतीय दंड संहिता, 1860 के अधिकांश अपराध शामिल हैं. इसमें सामुदायिक सेवा को सजा के रूप में जोड़ा गया है और राजद्रोह अब अपराध नहीं रह गया.

देश की एकता को खतरा
इसके बजाय इसमें भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों के लिए एक नया अपराध जोड़ा गया है. भारतीय न्याय संहिता में आतंकवाद को अपराध के रूप में जोड़ा गया है. इसे ऐसे कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया है जिसका उद्देश्य देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालना, आम जनता को डराना या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ना है.

याचिका में कहा गया है कि छोटे-मोटे संगठित अपराध भी अब अपराध हैं. जाति, भाषा या धार्मिक आधार पर पांच या अधिक व्यक्तियों के समूह द्वारा हत्या करना अपराध होगा, जिसके लिए सात साल से लेकर आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है. नए कानून 15 दिनों तक की पुलिस हिरासत की अनुमति देते हैं.

याचिका में कहा गया है कि संसद में विधेयकों को पारित करने में अनियमितता बनी हुई है, क्योंकि कई संसद सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था और विधेयकों को पारित करने में बहुत कम लोगों ने भाग लिया. इस तरह की कार्रवाई के कारण विधेयक पर कोई बहस नहीं हुई और न ही कोई चुनौती दी गई.

यह भी पढ़ें- नए कानूनों में मिलेगी ऑनलाइन FIR, फ्री इलाज और फास्ट-ट्रैक इंवेस्टिगेशन की सुविधा, जानें और क्या है इनमें खास

Last Updated : Jun 27, 2024, 7:30 PM IST
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