मुजफ्फरपुर: फुलवारीशरीफ आतंकी मॉड्यूल मामले में पीएफआई एजेंट याकूब और बिलाल से पूछताछ की जा रही है. मुजफ्फरपुर पुलिस ने बेऊर जेल में बंद दोनों पीएफआई सदस्यों को रिमांड पर लिया है. उससे पटना एटीएस कार्यालय में ही पूछताछ शुरू हो गई है. पहले दिन करीब 4 घंटे दोनों से पूछताछ की गई. बुधवार को भी दोनों से पूछताछ जारी है. सूत्रों की मानें तो सुरक्षा के दृष्टिकोण से दोनों को मुजफ्फरपुर नहीं लाया गया. पटना में दोनों से पूछताछ के लिए डीएसपी पश्चिमी, केस के आइओ अभिषेक आनंद और बरुराज थानेदार संजीव कुमार दुबे के नेतृत्व में विशेष टीम पटना पहुंची थी.
फंडिंग और ट्रेनिंग से कई सवाल: बता दें कि दोनों से पीएफआई के संबंध में विस्तृत पूछताछ के लिए 100 से अधिक सवालों की सूची जिला पुलिस की ओर से तैयार की गई थी. इसमें पीएफआई फंडिंग, ट्रेनिंग कैंप और गोपनीय सभा लगाने से जुड़े सवाल पूछे गए. साथ ही पीएफआई से मुजफ्फरपुर के कितने युवाओं को जोड़ा गया इससे जुड़े भी कई सवाल पूछे गए हैं.
बिहार में संगठन मजबूत करने का प्रयास: पुलिस सूत्रों की मानें तो दोनों उत्तर बिहार में पीएफआई संगठन को मजबूत करने के लिए प्रयास कर रहे थे. ऐसे में दोनों को आमने-सामने बैठाकर इन बिंदुओं पर भी क्रॉस सवाल पूछे गए हैं. पहले दिन करीब चार घंटे से अधिक समय तक दोनों से सवाल पूछे गए. वहीं, बुधवार को दूसरे दिन भी पूछताछ की जा रही है.
ट्रेनिंग कैंप चलाने में गिरफ्तार: बता दें कि बरूराज थाना क्षेत्र के परसौनी में पीएफआई में भर्ती और ट्रेनिंग कैंप चलाने मामले में दोनों को गिरफ्तार किया गया. दोनों में एक पूर्वी चंपारण जिले के मेहसी थाना के मुगलपुर निवासी याकूब खान था. तो वहीं दूसरा चकिया थाना के हरपुर किशुनी निवासी बिलाल था. दोनों को एनआईए ने नामजद आरोपी बनाया था.
इरशाद को गिरफ्तार कर जेल भेजा: वहीं, इससे पहले एनआइए की टीम ने फुलवारीशरीफ कांड में बिलाल उर्फ इरशाद को गिरफ्तार करके जेल भेजा था. दोनों से पहले बरूराज पुलिस ने पीएफआई के राज्य सचिव रियाज महरूफ को भी रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी.
चार साल पहले संपर्क में आया: एनआईए पटना के इंस्पेक्टर ने बरूराज थाने में बीते पांच फरवरी को प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसमें बताया गया था कि एनआईए ने पीएफआई संगठन से जुड़ने के मामले में फरार चल रहे आरोपी मो. बिलाल उर्फ इरशाद को पूर्वी चंपारण जिले के चकिया के हरपुर किशुनी से गिरफ्तार किया था. जहां उसने पूछताछ में बताया कि चार साल पहले वह चकिया के कुनवा के रहने वाले रियाज मारूफ के संपर्क में आया था. वह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का सक्रिय सदस्य था.
ट्रेनिंग में लोगों से जुड़ा: रियाज मारूफ के माध्यम से वह पूर्वी चंपारण जिले के मेहसी के याकूब खान के संपर्क में आया था. उन लोगों ने उसको पीएफआई से जुड़ने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद वह 2020 में पीएफआई से जुड़ गया. जब वह ट्रेनिंग पीरियड में था तो उसका संपर्क पीएफआई से जुड़े कई लोगों के साथ हुआ था, इसमें तमिलनाडु के मो. रोसलिन, दरभंगा के मो. सनाउल्लाह, मधुबनी के तौसीफ, अनसारूल हक, बिहार शरीफ के शमीम अख्तर और पूर्वी चंपारण के मेहसी के मो. अफरोज प्रमुख रूप से शामिल हैं.
फिजिकल ट्रेनिंग में भी भाग लिया: उसने बिहार समेत दूसरे राज्यों में पीएफआई की ओर से दी जाने वाली फिजिकल ट्रेनिंग में भी भाग लिया था. साथ ही उसने चकिया और दरभंगा में पीएफआई की ओर से आयोजित रैली में भी भाग लिया. पटना के फुलवारी शरीफ में 2022 में आयोजित ट्रेनिंग प्रोग्राम में भी शामिल हुआ था. 2022 में जब पीएफआई को सरकार ने प्रतिबंधित संगठन घोषित किया तब रियाज मारूफ गोपनीय तरीके से ट्रेनिंग व अन्य गतिविधि संचालित करने लगा था.
ऑडियो मैसेज भेजकर बुलाया: मो. बिलाल को व्हाट्सएप के माध्यम से एक ऑडियो मैसेज भेजकर याकूब खान, सुल्तान और उस्मान के साथ गोपनीय तरीके से मुजफ्फरपुर के बरूराज थाने के परसौनी में बुलाया गया था. यहां पीएफआई कनेक्शन को लेकर एक बैठक की गई थी.
बरूराज थाने में FIR दर्ज कराई थी: यह जानकारी मिलते ही एनआईए ने इंस्पेक्टर विकास के नेतृत्व में बरूराज पुलिस के सहयोग से परसौनी गांव में रियाज के रिश्तेदार मो. कादिर के घर पर छापेमारी की थी. यहां पीएफआई से जुड़ा प्रिंट बैनर, दो तलवार, पीएफआई का झंडा बरामद हुआ था. तभी एनआईए ने बरूराज थाने में FIR दर्ज करायी थी.
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