ETV Bharat / bharat

कुमंडीह रेल हादसे के बाद उठ रहे कई सवाल, जंगली इलाकों में क्यों रोकी जाती हैं पैसेंजर ट्रेनें? नक्सल हमले का रहा है लंबा इतिहास - Latehar train accident - LATEHAR TRAIN ACCIDENT

Latehar train accident. झारखंड के लातेहार में वैसे जंगली इलाकों में पैसेंजर ट्रेनों को घंटों रोक दिया जाता है, जो इलाके नक्सली हमलों के लिए कुख्यात रहे हैं. कुमंडीह रेल हादसे के बाद यात्रियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं.

Latehar train accident
ईटीवी भारत डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 15, 2024, 12:17 PM IST

पलामू : लातेहार के कुमंडीह में हुई रेल हादसे के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. एक अफवाह ने तीन लोगों की जान ले ली. अफवाह किसने फैलाई, यह तो एक बड़ा सवाल है ही, साथ ही एक ये भी सवाल उठ रहा है कि जिस इलाके को घोर नक्सलग्रस्त माना जाता है, उन जंगली इलाकों में पैसेंजर ट्रेन को क्यों रोका जाता है. सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि जिस कुमंडीह रेलवे स्टेशन पर ट्रेन हादसा हुआ, उस इलाके में कई नक्सली हमले हो चुके हैं. बावजूद इस इलाके में पैसेंजर ट्रेनों को खड़ा कर दिया जाता है.

दरअसल, रेलवे के सेंट्रल इंडस्ट्रियल कोर (सीआईसी) सेक्शन के जंगल और नक्सल इलाकों में पैसेंजर ट्रेनें रोकी जाती हैं. धनबाद रेल मंडल के सीआईसी सेक्शन के अंतर्गत लातेहार और बरवाडीह रेलवे स्टेशन के बीच घना जंगल है और यह इलाका घोर नक्सल प्रभावित माना जाता है. जिस इलाके में ट्रेनें खड़ी की जाती हैं, वहां कई नक्सली हमले हो चुके हैं.

शुक्रवार की रात रांची-सासाराम इंटरसिटी एक्सप्रेस लातेहार के कुमंडीह में खड़ी थी, तभी अफवाह फैल गई कि ट्रेन में आग लग गई है. अफवाह के बाद मची भगदड़ में कई लोग वहां से गुजर रही मालगाड़ी की चपेट में आ गए. इसमें तीन लोगों की मौत हो गई है, जबकि दो साल की बच्ची समेत पांच लोग घायल हैं. कुमंडीह रेलवे स्टेशन पर तीन रेल लाइन हैं, इंटरसिटी एक्सप्रेस बीच वाली लाइन पर खड़ी थी, जिस कारण लोग प्लेटफॉर्म की तरफ नहीं जा सके और उनकी मौत हो गई.

राजधानी समेत कई प्रीमियम ट्रेनों को जंगल में किया जाता है खड़ा

रेलवे के सीआईसी सेक्शन में लातेहार और बरवाडीह के बीच चार छोटे रेलवे स्टेशन हैं. बेंदी, कुमंडीह, हेहेगड़ा और छिपादोहर घने जंगलों में स्थित रेलवे स्टेशन हैं. बेंदी, कुमंडीह और हेहेगड़ा रेलवे स्टेशन घोर नक्सल प्रभावित माने जाते हैं और चारों तरफ से घने जंगलों से घिरे हैं. इन रेलवे स्टेशनों से राजधानी एक्सप्रेस, गरीब रथ समेत कई सुपरफास्ट ट्रेनें गुजरती हैं.

कई बार राजधानी और गरीब रथ समेत कई ट्रेनें जंगली इलाकों में ही रोक दी जाती हैं. कई बार पैसेंजर ट्रेनें लंबे समय तक रोकी जाती हैं. इन स्टेशनों पर कोई बड़ी दुर्घटना होने पर राहत और बचाव कार्य भी काफी जटिल होता है. तीनों रेलवे स्टेशनों तक सड़क मार्ग से पहुंचना बड़ी चुनौती है. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि कई कारणों से ट्रेनों को रोकना पड़ता है.

"रूट क्लियर न होने पर ट्रेनें रोकी जाती हैं, कई बार परिस्थिति के अनुसार भी ट्रेनें रोकी जाती हैं. सभी ट्रेनों का संचालन कंट्रोल के अनुसार होता है. अगर ट्रेन कंट्रोल के तय मानकों के अनुसार नहीं चलती या वांछित गति से नहीं चल पाती तो कई जगहों पर ट्रेनों को रोक दिया जाता है." - अरविंद सिन्हा, रिटायर्ड, ट्रैफिक इंस्पेक्टर, रेलवे

नक्सल हमले का रहा है लंबा इतिहास

लातेहार और बरवाडीह के बीच बेंदी, कुमंडीह, हेहेगड़ा रेलवे स्टेशनों पर नक्सली हमलों का लंबा इतिहास रहा है. कुमंडीह रेलवे स्टेशन पर नक्सलियों ने कई बार हमला किया है, इन हमलों में रेलवे ट्रैक और इमारतों को नुकसान पहुंचाया गया है. 2008-09 में माओवादियों ने हेहेगड़ा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को हाईजैक कर लिया था. 2006 से 2016 के बीच लातेहार और बरवाडीह के बीच 20 से ज्यादा नक्सली हमले हो चुके हैं. इन हमलों में कई पुलिस के जवान भी शहीद हुए हैं. नक्सलियों ने 15 से ज्यादा बार ट्रैक उड़ाया है. 2016-17 में छिपादोहर में नक्सलियों ने विस्फोट किया था, जिसकी चपेट में एक पैसेंजर ट्रेन आ गई थी.

मालगाड़ी के लिए रोकी जाती हैं पैसेंजर ट्रेनें

धनबाद रेल मंडल के सीआईसी सेक्शन से प्रतिदिन करीब 100 मालगाड़ियां गुजरती हैं. पूरे देश में सबसे ज्यादा कोयला सीआईसी सेक्शन से होकर जाता है. मालगाड़ियों को पास कराने के लिए यात्री ट्रेनों को जंगल वाले इलाकों में रोका जाता है. इस रूट पर चलने वाली सभी यात्री ट्रेनें अपने निर्धारित समय से देरी से चलती हैं. ट्रेनों को बीच में रोकने को नेताओं ने खतरनाक बताया है. उनका कहना है कि खनिद निकालने के चक्कर में यात्रियों की सुरक्षा का ख्याल नहीं रखा जा रहा है.

"कुमंडीह हादसा बहुत गंभीर मामला है. बीच ट्रैक पर ट्रेन रोकना लापरवाही का मामला है. जंगल क्षेत्र में यात्री ट्रेनों को रोकना खतरनाक है. झारखंड से खनिज संपदा को बाहर निकालने की इतनी होड़ मची है कि यात्री सुविधाओं का ख्याल नहीं रखा जा रहा है. यात्रियों को सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं. यात्री ट्रेनों को रोककर मालगाड़ियों को पास कराया जा रहा है." - इम्तियाज अहमद नजमी, केंद्रीय सदस्य आजसू

"यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है, यात्री सुरक्षा की जिम्मेदारी रेलवे पर होनी चाहिए. मालगाड़ियों को पास कराने के लिए यात्री सुविधाओं की अनदेखी की जा रही है. रेलवे को यात्री सुविधाओं और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए." - सनी शुक्ला, युवा मोर्चा अध्यक्ष, झामुमो

यह भी पढ़ें: झारखंड के लातेहार में बड़ी ट्रेन दुर्घटना, तीन लोगों के मौत की पुष्टि, बढ़ सकती है मृतकों की संख्या - TRAIN ACCIDENT IN LATEHAR

यह भी पढ़ें: किसने फैलाई ट्रेन में आग की अफवाह? तीन यात्रियों की मौत का जिम्मेदार कौन, लोगों ने बताया कैसे हुई घटना - Train accident in Latehar

यह भी पढ़ें: कुमंडीह रेल हादसा : यात्रियों के लिए फरिश्ता बना चायवाला, कई लोगों की पटरी से खींचकर बचाई जान - Train accident in Latehar

पलामू : लातेहार के कुमंडीह में हुई रेल हादसे के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. एक अफवाह ने तीन लोगों की जान ले ली. अफवाह किसने फैलाई, यह तो एक बड़ा सवाल है ही, साथ ही एक ये भी सवाल उठ रहा है कि जिस इलाके को घोर नक्सलग्रस्त माना जाता है, उन जंगली इलाकों में पैसेंजर ट्रेन को क्यों रोका जाता है. सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि जिस कुमंडीह रेलवे स्टेशन पर ट्रेन हादसा हुआ, उस इलाके में कई नक्सली हमले हो चुके हैं. बावजूद इस इलाके में पैसेंजर ट्रेनों को खड़ा कर दिया जाता है.

दरअसल, रेलवे के सेंट्रल इंडस्ट्रियल कोर (सीआईसी) सेक्शन के जंगल और नक्सल इलाकों में पैसेंजर ट्रेनें रोकी जाती हैं. धनबाद रेल मंडल के सीआईसी सेक्शन के अंतर्गत लातेहार और बरवाडीह रेलवे स्टेशन के बीच घना जंगल है और यह इलाका घोर नक्सल प्रभावित माना जाता है. जिस इलाके में ट्रेनें खड़ी की जाती हैं, वहां कई नक्सली हमले हो चुके हैं.

शुक्रवार की रात रांची-सासाराम इंटरसिटी एक्सप्रेस लातेहार के कुमंडीह में खड़ी थी, तभी अफवाह फैल गई कि ट्रेन में आग लग गई है. अफवाह के बाद मची भगदड़ में कई लोग वहां से गुजर रही मालगाड़ी की चपेट में आ गए. इसमें तीन लोगों की मौत हो गई है, जबकि दो साल की बच्ची समेत पांच लोग घायल हैं. कुमंडीह रेलवे स्टेशन पर तीन रेल लाइन हैं, इंटरसिटी एक्सप्रेस बीच वाली लाइन पर खड़ी थी, जिस कारण लोग प्लेटफॉर्म की तरफ नहीं जा सके और उनकी मौत हो गई.

राजधानी समेत कई प्रीमियम ट्रेनों को जंगल में किया जाता है खड़ा

रेलवे के सीआईसी सेक्शन में लातेहार और बरवाडीह के बीच चार छोटे रेलवे स्टेशन हैं. बेंदी, कुमंडीह, हेहेगड़ा और छिपादोहर घने जंगलों में स्थित रेलवे स्टेशन हैं. बेंदी, कुमंडीह और हेहेगड़ा रेलवे स्टेशन घोर नक्सल प्रभावित माने जाते हैं और चारों तरफ से घने जंगलों से घिरे हैं. इन रेलवे स्टेशनों से राजधानी एक्सप्रेस, गरीब रथ समेत कई सुपरफास्ट ट्रेनें गुजरती हैं.

कई बार राजधानी और गरीब रथ समेत कई ट्रेनें जंगली इलाकों में ही रोक दी जाती हैं. कई बार पैसेंजर ट्रेनें लंबे समय तक रोकी जाती हैं. इन स्टेशनों पर कोई बड़ी दुर्घटना होने पर राहत और बचाव कार्य भी काफी जटिल होता है. तीनों रेलवे स्टेशनों तक सड़क मार्ग से पहुंचना बड़ी चुनौती है. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि कई कारणों से ट्रेनों को रोकना पड़ता है.

"रूट क्लियर न होने पर ट्रेनें रोकी जाती हैं, कई बार परिस्थिति के अनुसार भी ट्रेनें रोकी जाती हैं. सभी ट्रेनों का संचालन कंट्रोल के अनुसार होता है. अगर ट्रेन कंट्रोल के तय मानकों के अनुसार नहीं चलती या वांछित गति से नहीं चल पाती तो कई जगहों पर ट्रेनों को रोक दिया जाता है." - अरविंद सिन्हा, रिटायर्ड, ट्रैफिक इंस्पेक्टर, रेलवे

नक्सल हमले का रहा है लंबा इतिहास

लातेहार और बरवाडीह के बीच बेंदी, कुमंडीह, हेहेगड़ा रेलवे स्टेशनों पर नक्सली हमलों का लंबा इतिहास रहा है. कुमंडीह रेलवे स्टेशन पर नक्सलियों ने कई बार हमला किया है, इन हमलों में रेलवे ट्रैक और इमारतों को नुकसान पहुंचाया गया है. 2008-09 में माओवादियों ने हेहेगड़ा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को हाईजैक कर लिया था. 2006 से 2016 के बीच लातेहार और बरवाडीह के बीच 20 से ज्यादा नक्सली हमले हो चुके हैं. इन हमलों में कई पुलिस के जवान भी शहीद हुए हैं. नक्सलियों ने 15 से ज्यादा बार ट्रैक उड़ाया है. 2016-17 में छिपादोहर में नक्सलियों ने विस्फोट किया था, जिसकी चपेट में एक पैसेंजर ट्रेन आ गई थी.

मालगाड़ी के लिए रोकी जाती हैं पैसेंजर ट्रेनें

धनबाद रेल मंडल के सीआईसी सेक्शन से प्रतिदिन करीब 100 मालगाड़ियां गुजरती हैं. पूरे देश में सबसे ज्यादा कोयला सीआईसी सेक्शन से होकर जाता है. मालगाड़ियों को पास कराने के लिए यात्री ट्रेनों को जंगल वाले इलाकों में रोका जाता है. इस रूट पर चलने वाली सभी यात्री ट्रेनें अपने निर्धारित समय से देरी से चलती हैं. ट्रेनों को बीच में रोकने को नेताओं ने खतरनाक बताया है. उनका कहना है कि खनिद निकालने के चक्कर में यात्रियों की सुरक्षा का ख्याल नहीं रखा जा रहा है.

"कुमंडीह हादसा बहुत गंभीर मामला है. बीच ट्रैक पर ट्रेन रोकना लापरवाही का मामला है. जंगल क्षेत्र में यात्री ट्रेनों को रोकना खतरनाक है. झारखंड से खनिज संपदा को बाहर निकालने की इतनी होड़ मची है कि यात्री सुविधाओं का ख्याल नहीं रखा जा रहा है. यात्रियों को सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं. यात्री ट्रेनों को रोककर मालगाड़ियों को पास कराया जा रहा है." - इम्तियाज अहमद नजमी, केंद्रीय सदस्य आजसू

"यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है, यात्री सुरक्षा की जिम्मेदारी रेलवे पर होनी चाहिए. मालगाड़ियों को पास कराने के लिए यात्री सुविधाओं की अनदेखी की जा रही है. रेलवे को यात्री सुविधाओं और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए." - सनी शुक्ला, युवा मोर्चा अध्यक्ष, झामुमो

यह भी पढ़ें: झारखंड के लातेहार में बड़ी ट्रेन दुर्घटना, तीन लोगों के मौत की पुष्टि, बढ़ सकती है मृतकों की संख्या - TRAIN ACCIDENT IN LATEHAR

यह भी पढ़ें: किसने फैलाई ट्रेन में आग की अफवाह? तीन यात्रियों की मौत का जिम्मेदार कौन, लोगों ने बताया कैसे हुई घटना - Train accident in Latehar

यह भी पढ़ें: कुमंडीह रेल हादसा : यात्रियों के लिए फरिश्ता बना चायवाला, कई लोगों की पटरी से खींचकर बचाई जान - Train accident in Latehar

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.