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22 जुलाई से संसद का बजट सत्र, 6 विधेयक सूचीबद्ध, सरकार के खिलाफ विपक्ष लामबंद - Parliament Session

Parliament Session: संसद का बजट सत्र 22 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त को खत्म होगा. इसमें सरकार की तरफ से आम बजट के अलावा लगभग 6 विधेयक भी पास करवाने के लिए शेड्यूल में रखे गए हैं. मगर ये सत्र भी विपक्ष के आक्रामक मुद्दे और लोकसभा में विपक्षी पार्टियों की बढ़ी संख्या की वजह से हंगामेदार होने की संभावना है. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

Parliament Session
22 जुलाई से संसद का बजट सत्र (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 20, 2024, 10:14 PM IST

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र की शुरुआत सोमवार यानी 22 जुलाई से हो रही है. इस सत्र में मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेगी, जिससे जनता को भी काफी उम्मीदें हैं. 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदन में आम बजट रखेंगी. बजट सत्र के दौरान सरकार एप्रोप्रिएशन बिल (विनियोग विधेयक) भी पारित करेगी. इसके अलावा सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर का बजट भी चर्चा के बाद पास करवाया जायेगा.

इस सत्र में सरकार ने 6 बिल भी सूचीबद्ध किए हैं, जिन्हें सरकार सत्र के दौरान ही पारित भी करवाएगी. वित्त विधेयक के अलावा डिजास्टर मैनेजमेंट बिल, बॉयलर्स बिल, भारतीय वायुयान विधेयक, कॉफी प्रमोशन एंड डेवलपमेंट बिल और रबर प्रमोशन एंड डेवलपमेंट बिल शामिल है.

संसद सत्र से पहले सरकार ने 21 जुलाई यानी रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा लोकसभ में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सभी दलों के नेता भी शामिल होंगे. बैठक में सरकार सभी दलों से सत्र के दौरान समर्थन देने और सुचारू रूप से सदन की कार्यवाही चलाने की अपील कर सकती है. मगर लोकसभा में संख्याबल बढ़ने से विपक्ष का रुख आक्रमक दिख रहा है.

विपक्ष के पास सरकार के खिलाफ कई मुद्दे भी हैं, जिसमें महंगाई, ट्रेन दुर्घटनाएं, अग्निवीर योजना, जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में जवानों की शहादत, उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के रूट में पड़ने वाली दुकानों पर मालिक का नाम लिखने के योगी सरकार के फैसले जैसे मुद्दों पर पूरा विपक्ष लामबंद होकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा, जिसके बचाव में सरकार भी अपनी रणनीति तैयार कर रही है. सूत्रों की मानों तो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एनडीए सरकार के खिलाफ कई पावर प्वाइंट मुद्दे तैयार कर रही हैं, जिससे सरकार को घेरा जा सके.

बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसद शामिल
हालांकि, संसद सत्र शुरू होने से पहले लोकसभा सचिवालय ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी भी बनाई है, जिसमें सभी पार्टियों के नेताओं को जगह दी गई है. इस समिति के अध्यक्ष खुद लोकसभा स्पीकर होते हैं. इसके अलावा कमेटी में भाजपा की ओर से निशिकांत दुबे, अनुराग सिंह ठाकुर, भर्तृहरि महताब, पीपी चौधरी, बिजयंत पांडा, डॉ संजय जायसवाल को रखा गया है. कांग्रेस की ओर से के. सुरेश, गौरव गोगोई, टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय, डीएमके से दयानिधि मारन, शिवसेना यूबीटी से अरविंद सावंत को भी जगह दी गई है. लोकसभा में आने वाले विधायी कार्यों के शेड्यूल भी यह कमेटी तैयार करती है.

एनडीए के दलों को विश्वास में लेने की होगी कोशिश
इन सबके बावजूद सरकार इस बात से भली भांति सजग है कि इस सत्र में कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें उठाकर सदन में विपक्ष हंगामा तो करेगा ही, साथ ही सरकार में शामिल कुछ सहयोगी पार्टियों से भी समर्थन मांग सकता है. इसलिए सरकार एनडीए के दलों के साथ बैठक कर उन्हें भी विश्वास में लेने की कोशिश सकती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सत्र में ही एनडीए की अलग-अलग पार्टियों के प्रवक्ताओं का एक समूह बनाने की बात कही थी, जो सरकार के इन मुद्दों का मीडिया में जवाब देगी. इसके अलावा सभी सांसदों से अनर्गल बयानबाजी से बचने और प्रवक्ताओं का काम प्रवक्ताओं को ही करने देने की हिदायत दी थी, जिसका असर इस सत्र में नजर आ सकता है.

बहरहाल, सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद यह सत्र हंगामेदार होने की पूरी संभावना है. पिछले सत्र में विपक्ष की अपनी अक्रमकता दिखाकर उदाहरण पेश कर चुका है.

यह भी पढ़ें- संसद सत्र: फिर दिखेगा राहुल गांधी का आक्रामक अंदाज, जनता के मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र की शुरुआत सोमवार यानी 22 जुलाई से हो रही है. इस सत्र में मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेगी, जिससे जनता को भी काफी उम्मीदें हैं. 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदन में आम बजट रखेंगी. बजट सत्र के दौरान सरकार एप्रोप्रिएशन बिल (विनियोग विधेयक) भी पारित करेगी. इसके अलावा सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर का बजट भी चर्चा के बाद पास करवाया जायेगा.

इस सत्र में सरकार ने 6 बिल भी सूचीबद्ध किए हैं, जिन्हें सरकार सत्र के दौरान ही पारित भी करवाएगी. वित्त विधेयक के अलावा डिजास्टर मैनेजमेंट बिल, बॉयलर्स बिल, भारतीय वायुयान विधेयक, कॉफी प्रमोशन एंड डेवलपमेंट बिल और रबर प्रमोशन एंड डेवलपमेंट बिल शामिल है.

संसद सत्र से पहले सरकार ने 21 जुलाई यानी रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा लोकसभ में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सभी दलों के नेता भी शामिल होंगे. बैठक में सरकार सभी दलों से सत्र के दौरान समर्थन देने और सुचारू रूप से सदन की कार्यवाही चलाने की अपील कर सकती है. मगर लोकसभा में संख्याबल बढ़ने से विपक्ष का रुख आक्रमक दिख रहा है.

विपक्ष के पास सरकार के खिलाफ कई मुद्दे भी हैं, जिसमें महंगाई, ट्रेन दुर्घटनाएं, अग्निवीर योजना, जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में जवानों की शहादत, उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के रूट में पड़ने वाली दुकानों पर मालिक का नाम लिखने के योगी सरकार के फैसले जैसे मुद्दों पर पूरा विपक्ष लामबंद होकर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा, जिसके बचाव में सरकार भी अपनी रणनीति तैयार कर रही है. सूत्रों की मानों तो कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एनडीए सरकार के खिलाफ कई पावर प्वाइंट मुद्दे तैयार कर रही हैं, जिससे सरकार को घेरा जा सके.

बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसद शामिल
हालांकि, संसद सत्र शुरू होने से पहले लोकसभा सचिवालय ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी भी बनाई है, जिसमें सभी पार्टियों के नेताओं को जगह दी गई है. इस समिति के अध्यक्ष खुद लोकसभा स्पीकर होते हैं. इसके अलावा कमेटी में भाजपा की ओर से निशिकांत दुबे, अनुराग सिंह ठाकुर, भर्तृहरि महताब, पीपी चौधरी, बिजयंत पांडा, डॉ संजय जायसवाल को रखा गया है. कांग्रेस की ओर से के. सुरेश, गौरव गोगोई, टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय, डीएमके से दयानिधि मारन, शिवसेना यूबीटी से अरविंद सावंत को भी जगह दी गई है. लोकसभा में आने वाले विधायी कार्यों के शेड्यूल भी यह कमेटी तैयार करती है.

एनडीए के दलों को विश्वास में लेने की होगी कोशिश
इन सबके बावजूद सरकार इस बात से भली भांति सजग है कि इस सत्र में कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें उठाकर सदन में विपक्ष हंगामा तो करेगा ही, साथ ही सरकार में शामिल कुछ सहयोगी पार्टियों से भी समर्थन मांग सकता है. इसलिए सरकार एनडीए के दलों के साथ बैठक कर उन्हें भी विश्वास में लेने की कोशिश सकती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सत्र में ही एनडीए की अलग-अलग पार्टियों के प्रवक्ताओं का एक समूह बनाने की बात कही थी, जो सरकार के इन मुद्दों का मीडिया में जवाब देगी. इसके अलावा सभी सांसदों से अनर्गल बयानबाजी से बचने और प्रवक्ताओं का काम प्रवक्ताओं को ही करने देने की हिदायत दी थी, जिसका असर इस सत्र में नजर आ सकता है.

बहरहाल, सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद यह सत्र हंगामेदार होने की पूरी संभावना है. पिछले सत्र में विपक्ष की अपनी अक्रमकता दिखाकर उदाहरण पेश कर चुका है.

यह भी पढ़ें- संसद सत्र: फिर दिखेगा राहुल गांधी का आक्रामक अंदाज, जनता के मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी

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