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निर्मला सीतारमण बनेंगी सबसे ज्यादा बजट पेश करने वाली वित्त मंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री का तोड़ेंगी रिकॉर्ड - Parliament Budget Session 2024 - PARLIAMENT BUDGET SESSION 2024

Parliament Budget Session: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को संसद में अपना सातवां बजट पेश करेंगी. इसके साथ ही वह पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के छह बजट पेश करने के रिकॉर्ड को तोड़ देंगी, जिन्हों कुल 6 बजट पेश किए थे.

Nirmala Sitharaman
निर्मला सीतारमण (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 22, 2024, 2:51 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को संसद में अपना सातवां बजट पेश करेंगी. इसके साथ ही वह सबसे ज़्यादा केंद्रीय बजट पेश करने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लेंगी. वह पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के छह बजट पेश करने के रिकॉर्ड को तोड़ देंगी. देसाई प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे और फिर 1977 में भारत के प्रधानमंत्री भी बने.

स्वतंत्र भारत का पहला बजट तत्कालीन वित्त मंत्री आरके षणमुगम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को 197.1 करोड़ रुपये का पहला बजट पेश किया था, जो पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर 47.65 लाख करोड़ रुपये हो गया. इससे पहले बजट पेश करने का समय शाम 5 बजे था, लेकिन, 1999 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश करने के लिए सुबह 11 बजे का समय चुना, जो अब तक जारी है.

प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं बजट पेश
गौरतलब है कि कई बार ऐसा भी देखने को मिला जब वित्त मंत्री की जगह प्रधानमंत्री ने देश का बजट पेश किया. लोकसभा सचिवालय के पास उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसे कई उदाहरण हैं. लोकसभा के एक दस्तावेज में कहा गया है, "भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री के तौर पर काम करते हुए और अस्थायी तौर पर वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालते हुए वित्त वर्ष 1958-59 का बजट पेश किया था."

वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के इस्तीफे के बाद इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के तौर पर काम करते हुए वित्त वर्ष 1969-70 का बजट पेश किया था. दस्तावेज में कहा गया है कि 2019 में, तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के खराब स्वास्थ्य के कारण, उस वर्ष का बजट उनके सहयोगी मंत्री पीयूष गोयल ने प्रस्तुत किया था.

रेलवे का अलग बजट
बता दें किन रेलवे एकमात्र ऐसा मंत्रालय था, जिसका अपना अलग बजट था, लेकिन 2017 में इसे आम बजट में मिला दिया गया. लोकसभा में बजट पेश किए जाने के बाद, वित्त मंत्री बजट के कागजात को राज्य सभा में भी पेश करते हैं. भले ही उच्च सदन के पास बजट को स्वीकृत या अस्वीकृत करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है.

राज्य सभा बजट को नहीं कर सकती अस्वीकार
बजट चर्चा के बाद मंत्रालय-विशिष्ट आवंटन या अनुदान की मांग पर बहस होती है. अनुदान की मांग पर चर्चा के अंत में, ऐसी सभी मांगों को एक साथ लिया जाता है और गिलोटिन नामक प्रक्रिया के माध्यम से पारित किया जाता है. जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है राज्य सभा के पास बजट को बदलने या अस्वीकार करने का अधिकार नहीं है. उच्च सदन में बजट पर बहस के बाद, सदन बजट को लोकसभा को भेजता है.

यह भी पढ़ें- 'प्रधानमंत्री की आवाज...' बजट सत्र से पहले पीएम मोदी ने MPs से की साथ आने की अपील

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को संसद में अपना सातवां बजट पेश करेंगी. इसके साथ ही वह सबसे ज़्यादा केंद्रीय बजट पेश करने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लेंगी. वह पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के छह बजट पेश करने के रिकॉर्ड को तोड़ देंगी. देसाई प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे और फिर 1977 में भारत के प्रधानमंत्री भी बने.

स्वतंत्र भारत का पहला बजट तत्कालीन वित्त मंत्री आरके षणमुगम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को 197.1 करोड़ रुपये का पहला बजट पेश किया था, जो पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर 47.65 लाख करोड़ रुपये हो गया. इससे पहले बजट पेश करने का समय शाम 5 बजे था, लेकिन, 1999 में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश करने के लिए सुबह 11 बजे का समय चुना, जो अब तक जारी है.

प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं बजट पेश
गौरतलब है कि कई बार ऐसा भी देखने को मिला जब वित्त मंत्री की जगह प्रधानमंत्री ने देश का बजट पेश किया. लोकसभा सचिवालय के पास उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसे कई उदाहरण हैं. लोकसभा के एक दस्तावेज में कहा गया है, "भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री के तौर पर काम करते हुए और अस्थायी तौर पर वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालते हुए वित्त वर्ष 1958-59 का बजट पेश किया था."

वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के इस्तीफे के बाद इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के तौर पर काम करते हुए वित्त वर्ष 1969-70 का बजट पेश किया था. दस्तावेज में कहा गया है कि 2019 में, तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के खराब स्वास्थ्य के कारण, उस वर्ष का बजट उनके सहयोगी मंत्री पीयूष गोयल ने प्रस्तुत किया था.

रेलवे का अलग बजट
बता दें किन रेलवे एकमात्र ऐसा मंत्रालय था, जिसका अपना अलग बजट था, लेकिन 2017 में इसे आम बजट में मिला दिया गया. लोकसभा में बजट पेश किए जाने के बाद, वित्त मंत्री बजट के कागजात को राज्य सभा में भी पेश करते हैं. भले ही उच्च सदन के पास बजट को स्वीकृत या अस्वीकृत करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है.

राज्य सभा बजट को नहीं कर सकती अस्वीकार
बजट चर्चा के बाद मंत्रालय-विशिष्ट आवंटन या अनुदान की मांग पर बहस होती है. अनुदान की मांग पर चर्चा के अंत में, ऐसी सभी मांगों को एक साथ लिया जाता है और गिलोटिन नामक प्रक्रिया के माध्यम से पारित किया जाता है. जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है राज्य सभा के पास बजट को बदलने या अस्वीकार करने का अधिकार नहीं है. उच्च सदन में बजट पर बहस के बाद, सदन बजट को लोकसभा को भेजता है.

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