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यूपी में भाजपा के 63 प्रत्याशियों में 51 चेहरे पुराने, क्या बुजुर्ग प्रत्याशी कायम रख पाएंगे भरोसा?, पढ़िए डिटेल - lok sabha election 2024

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा ने जोर आजमाइश शुरू कर दी है. इस चुनाव में भाजपा ने बुजुर्ग हो चले प्रत्याशियों पर ज्यादा भरोसा जताया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 2, 2024, 12:04 PM IST

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी के यूपी में अब तक 63 उम्मीदवार घोषित किए हैं. इनमें 12 पूर्व उम्मीदवारों के टिकट काट दिए हैं. जबकि 51 पुराने उम्मीदवार फिर से मैदान में हैं. कुल मिलाकर भाजपा का ज्यादा भरोसा अनुभव पर है. युवा चेहरों पर इस चुनाव में कम भरोसा जताया गया है. अगली 12 सीटों में बदलाव की उम्मीद विशेषज्ञ कर रहे हैं. बड़ा सवाल ये है कि क्या बुजुर्ग नेताओं से भाजपा फिर से जीत का सफर तय कर पाएगी?.

भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पहली सूची 3 मार्च को जारी की थी. दूसरी सूची 24 मार्च को जारी हुई थी. पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने 51 टिकट घोषित किए थे. दूसरी बार में 13 टिकट. पहली बार की सूची में बाराबंकी से उपेंद्र रावत का नाम था. वीडियो वायरल होने के बाद उपेंद्र रावत ने टिकट वापस कर दिया था. अगली सूची जो 13 उम्मीदवारों की थी, उसमें बाराबंकी के लिए नया टिकट घोषित किया गया.

इन नेताओं को मिला तीसरी बार मौका : भारतीय जनता पार्टी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, साक्षी महाराज, हेमा मालिनी, संजीव बालियान, राजवीर सिंह राजू भैया, जगदंबिका पाल, लल्लू सिंह, अजय मिश्रा टेनी, कौशल किशोर जैसे नेताओं को तीसरी बार मौका दिया है. इनमें से अधिकांश बुजुर्ग की श्रेणी में आ चुके हैं. 2029 तक अधिकांश का राजनीतिक संन्यास हो जाने की उम्मीद की जा रही है.

युवाओं को 5 साल करना पड़ेगा इंतजार : भारतीय जनता पार्टी ने युवाओं को अगले 5 साल तक इंतजार करने के लिए स्पष्ट हिदायत दे दी है. वर्तमान बुजुर्ग सांसदों के साथ चुनाव प्रचार में जुटना युवाओं के लिए बड़ी चुनौती होगी. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी में अलग रणनीति पर काम किया जा रहा है. युवाओं को बड़े नेता यह कहकर शांत करा रहे हैं कि भविष्य में उनको भी मौका मिलेगा.

इन पुराने नेताओं से पाई निजात : कानपुर से सत्यदेव पचौरी, गाजियाबाद से जनरल वीके सिंह, बरेली से संजीव गंगवार, मेरठ से राजेंद्र अग्रवाल, पीलीभीत से वरुण गांधी के अलावा कुछ अन्य नेताओं को भी टिकट नहीं दिया गया.

इस तरह पूरा होता है पीडीए का फार्मूला : यूपी में भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी की तरह PDA का बड़ा दांव चला है. समाजवादी पार्टी PDA को पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक कहती है. मगर भारतीय जनता पार्टी ने इसका अर्थ पिछला, दलित और अगड़ा निकाला है. भारतीय जनता पार्टी ने 63 टिकट में सामान्य वर्ग यानी आगड़ों को 25, पिछड़ों को 25 और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति दलितों को 13 टिकट दिए हैं. इस तरह से भारतीय जनता पार्टी का पीडीए फार्मूला पूरा होता है. अब देखने वाली बात यह होगी कि समाजवादी पार्टी भारतीय जनता पार्टी कैसे फार्मूले का जवाब चुनाव में कैसे देगी.

यूपी BJP के घोषित 63 प्रत्याशियों के जातीय समीकरण कुछ इस तरह से साधा गया है. सामान्य वर्ग को कुल 25 सीट दी गई हैं. इनमें ब्राह्मण- 12, ठाकुर- 8, बनिया- 3 और अन्य- 2 सीट पा सके हैं. OBC को कुल 25 सीट पर टिकट दिया गया है. इनमें कुर्मी-4, निषाद/कश्यप-3, लोधी-4, कुशवाहा/सैनी-2, जाट-3, गुर्जर-2, यादव-1, अन्य-1 सीट पा सके हैं. इसके बाद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार हैं, जिनका कुल 12 सीटों से नवाजा गया है.

टिकट बंटवारे में भाजपा के पीडीए फॉर्मूले की झलक साफ देखी जा रही है. माना जा रहा है की सीटों पर जातियों के प्रभाव को पूरी तरह से परखते हुए विस्तारको, जिला प्रभारी, लोकसभा प्रभारियों की रिपोर्ट के आधार पर टिकट वितरण किया गया है.

यह भी पढ़ें : सपा ने मेरठ सीट पर बदला प्रत्याशी, अतुल प्रधान को बनाया उम्मीदवार, आगरा से सुरेश चंद कदम लड़ेंगे चुनाव

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी के यूपी में अब तक 63 उम्मीदवार घोषित किए हैं. इनमें 12 पूर्व उम्मीदवारों के टिकट काट दिए हैं. जबकि 51 पुराने उम्मीदवार फिर से मैदान में हैं. कुल मिलाकर भाजपा का ज्यादा भरोसा अनुभव पर है. युवा चेहरों पर इस चुनाव में कम भरोसा जताया गया है. अगली 12 सीटों में बदलाव की उम्मीद विशेषज्ञ कर रहे हैं. बड़ा सवाल ये है कि क्या बुजुर्ग नेताओं से भाजपा फिर से जीत का सफर तय कर पाएगी?.

भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पहली सूची 3 मार्च को जारी की थी. दूसरी सूची 24 मार्च को जारी हुई थी. पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने 51 टिकट घोषित किए थे. दूसरी बार में 13 टिकट. पहली बार की सूची में बाराबंकी से उपेंद्र रावत का नाम था. वीडियो वायरल होने के बाद उपेंद्र रावत ने टिकट वापस कर दिया था. अगली सूची जो 13 उम्मीदवारों की थी, उसमें बाराबंकी के लिए नया टिकट घोषित किया गया.

इन नेताओं को मिला तीसरी बार मौका : भारतीय जनता पार्टी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, साक्षी महाराज, हेमा मालिनी, संजीव बालियान, राजवीर सिंह राजू भैया, जगदंबिका पाल, लल्लू सिंह, अजय मिश्रा टेनी, कौशल किशोर जैसे नेताओं को तीसरी बार मौका दिया है. इनमें से अधिकांश बुजुर्ग की श्रेणी में आ चुके हैं. 2029 तक अधिकांश का राजनीतिक संन्यास हो जाने की उम्मीद की जा रही है.

युवाओं को 5 साल करना पड़ेगा इंतजार : भारतीय जनता पार्टी ने युवाओं को अगले 5 साल तक इंतजार करने के लिए स्पष्ट हिदायत दे दी है. वर्तमान बुजुर्ग सांसदों के साथ चुनाव प्रचार में जुटना युवाओं के लिए बड़ी चुनौती होगी. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी में अलग रणनीति पर काम किया जा रहा है. युवाओं को बड़े नेता यह कहकर शांत करा रहे हैं कि भविष्य में उनको भी मौका मिलेगा.

इन पुराने नेताओं से पाई निजात : कानपुर से सत्यदेव पचौरी, गाजियाबाद से जनरल वीके सिंह, बरेली से संजीव गंगवार, मेरठ से राजेंद्र अग्रवाल, पीलीभीत से वरुण गांधी के अलावा कुछ अन्य नेताओं को भी टिकट नहीं दिया गया.

इस तरह पूरा होता है पीडीए का फार्मूला : यूपी में भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी की तरह PDA का बड़ा दांव चला है. समाजवादी पार्टी PDA को पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक कहती है. मगर भारतीय जनता पार्टी ने इसका अर्थ पिछला, दलित और अगड़ा निकाला है. भारतीय जनता पार्टी ने 63 टिकट में सामान्य वर्ग यानी आगड़ों को 25, पिछड़ों को 25 और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति दलितों को 13 टिकट दिए हैं. इस तरह से भारतीय जनता पार्टी का पीडीए फार्मूला पूरा होता है. अब देखने वाली बात यह होगी कि समाजवादी पार्टी भारतीय जनता पार्टी कैसे फार्मूले का जवाब चुनाव में कैसे देगी.

यूपी BJP के घोषित 63 प्रत्याशियों के जातीय समीकरण कुछ इस तरह से साधा गया है. सामान्य वर्ग को कुल 25 सीट दी गई हैं. इनमें ब्राह्मण- 12, ठाकुर- 8, बनिया- 3 और अन्य- 2 सीट पा सके हैं. OBC को कुल 25 सीट पर टिकट दिया गया है. इनमें कुर्मी-4, निषाद/कश्यप-3, लोधी-4, कुशवाहा/सैनी-2, जाट-3, गुर्जर-2, यादव-1, अन्य-1 सीट पा सके हैं. इसके बाद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार हैं, जिनका कुल 12 सीटों से नवाजा गया है.

टिकट बंटवारे में भाजपा के पीडीए फॉर्मूले की झलक साफ देखी जा रही है. माना जा रहा है की सीटों पर जातियों के प्रभाव को पूरी तरह से परखते हुए विस्तारको, जिला प्रभारी, लोकसभा प्रभारियों की रिपोर्ट के आधार पर टिकट वितरण किया गया है.

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