पटना: देश में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की सियासत तेज हो गई है. इस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने 39 सांसदों की ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमिटी (जेपीसी) का गठन किया है. बिहार से इस कमिटी में तीन सांसदों को जगह दी गई है, जिनमें से शांभवी चौधरी सबसे कम उम्र की सांसद हैं. समस्तीपुर से एलजेपीआर सांसद शांभवी चौधरी ने ईटीवी भारत से बातचीत में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के फायदे, विपक्ष की प्रतिक्रिया और बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी राय दी.
ईटीवी भारत का सवाल: वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर जेपीसी में सबसे कम उम्र के सांसद होने के बावजूद आपको रखा गया. आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
शांभवी चौधरी: सरकार का उद्देश्य है कि देश में लोकतंत्र को और मजबूत किया जाए. वन नेशन वन इलेक्शन से देश को केवल लाभ ही होगा, कोई नुकसान नहीं. हम देख रहे हैं कि हर दो-तीन महीने में अलग-अलग राज्यों में चुनाव होते हैं. इससे न केवल संसाधनों की बर्बादी होती है, बल्कि जनप्रतिनिधियों का ध्यान भी राज्यों के चुनावों पर अधिक रहता है. अगर एक साथ चुनाव होंगे, तो संसाधनों का सही उपयोग होगा, और प्रतिनिधि अपनी नीतियों और विकास कार्यों पर अधिक ध्यान दे सकेंगे.
ईटीवी भारत का सवाल: लेकिन अगर यह व्यवस्था लागू होती है, तो जिन राज्यों में 1 साल पहले चुनाव हो चुके हैं, उनका चुनाव फिर से एक साथ क्यों होगा?
शांभवी चौधरी: अगर लोकसभा का चुनाव एक साथ होता है तो एक बार राज्यों को रिफ्रेश करना पड़ेगा. यह एक बार का कदम होगा, जो देशहित में उठाया जाएगा. जब कोई क्रांतिकारी कदम उठाया जाता है, तो थोड़ी समस्याएं आ सकती हैं, लेकिन इसमें फेडरलिज्म का कोई उल्लंघन नहीं होगा. अगर राज्यों को इसमें शामिल होना है, तो उन्हें भी इस विचार पर सहमति देना होगी. इसमें संविधान संशोधन और दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी.
ईटीवी भारत का सवाल: विपक्ष इस पर सहमत क्यों नहीं हो रहा है?
शांभवी चौधरी: विपक्ष का रवैया हमेशा सरकार के खिलाफ होता है. वे देशहित के मुद्दों पर चर्चा करने के बजाय सिर्फ सरकार को गलत साबित करने में लगे रहते हैं. वे सिर्फ सरकार के फैसलों पर सवाल उठाते हैं, जबकि विपक्ष को सकारात्मक तरीके से अपनी बात रखनी चाहिए. जब सरकार और विपक्ष साथ मिलकर देशहित के मुद्दों पर काम करते थे, तो बहुत कुछ हासिल किया जा सकता था.
ईटीवी भारत का सवाल: राष्ट्रीय जनता दल ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर पंचायत चुनावों को लेकर सवाल उठाए हैं. आपकी राय क्या है?
शांभवी चौधरी: पंचायत चुनाव राज्य सरकार के दायरे में आते हैं और केंद्र इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता. संविधान के आर्टिकल 327 के तहत संसद राज्य विधानसभाओं के चुनाव की प्रक्रिया को बदल सकता है, लेकिन पंचायती राज राज्य का मामला है. वन नेशन वन इलेक्शन का उद्देश्य यह नहीं है कि राज्य की शक्तियों में हस्तक्षेप किया जाए, बल्कि यह है कि संसाधनों की बचत हो और चुनावों की प्रक्रिया सरल हो.
ईटीवी भारत का सवाल: आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी को लेकर तेजस्वी यादव लगातार बिहार दौरे पर हैं. क्या यह एनडीए के लिए चुनौतीपूर्ण होगा
शांभवी चौधरी: हमें कोई चिंता नहीं है. एनडीए बिहार में एक बार फिर से सत्ता में आएगा. तेजस्वी यादव के द्वारा किए जा रहे प्रचार से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. हमारा प्रदर्शन लोकसभा चुनाव में बहुत अच्छा रहा, और विधानसभा चुनाव में भी हम उसी उत्साह के साथ तैयार हैं. हम अपने कार्यों और नीतियों पर विश्वास रखते हुए चुनावी रण में उतरेंगे.
ईटीवी भारत का सवाल: एनडीए का गठबंधन बिहार में काफी मजबूत है. सीट शेयरिंग का मामला कैसे सुलझेगा?
शांभवी चौधरी: गठबंधन में हर पार्टी चाहती है कि वह ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़े, ताकि उनके प्रतिनिधित्व को बढ़ाया जा सके. सीट शेयरिंग पर वरिष्ठ नेता आपस में चर्चा करेंगे और फैसला लेंगे. लोकसभा चुनाव में हमारा गठबंधन बहुत अच्छे तरीके से काम किया था, और विधानसभा चुनाव में भी कोई समस्या नहीं आएगी. हमारा गठबंधन मजबूत है और हम सीटों पर बेहतर परिणाम की दिशा में काम करेंगे.
ईटीवी भारत का सवाल: क्या नीतीश कुमार के चेहरे पर बिहार में चुनाव लड़ा जाएगा?
शांभवी चौधरी: नीतीश कुमार के चेहरे पर ही बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा. इस पर हमारे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी स्थिति स्पष्ट कर दी है. हम दृढ़ विश्वास के साथ कह सकते हैं कि गठबंधन की जीत तय है.
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