पटना : 2024 लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद देश की सियासत एक बार फिर से बदल गई है. बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो फिर से जेडीयू या यू कहें नीतीश कुमार की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है. ऐसे में बिहार और बिहार को विशेष पैकेज पर चर्चा होने लगी है. फिर पुरानी कहानी दोहराए जाने लगी है.
आधी हकीकत आधा फसाना : दरअसल, 2015 में प्रधानमंत्री ने बिहार के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके से 2015 विधानसभा चुनाव में बिहार को विशेष पैकेज देने की बात की थी उस पर बहुत राजनीति हुई थी. बिहार को उस समय पैकेज के रूप में कुछ राशि मिली हुई थी. उस विशेष पैकेज में कई ऐसी घोषणाएं थी, जो आधी तो पूरी हुई, लेकिन कई अधूरी रह गई. एक बार फिर नीतीश कुमार केंद्र की सरकार में मजबूत हुए हैं तो, पीएम नरेंद्र मोदी के वह पुराने वायदे याद आने लगे हैं.
फिर से उठी विशेष पैकेज की मांग : एक बार फिर से बिहार के विशेष पैकेज की चर्चा होने लगी है. कहा जा रहा है कि एनडीए की अगली बैठक में बिहार पैकेज का प्रस्ताव हो सकता है. सूत्र की माने तो केंद्रीय वित्त मंत्रालय इस सप्ताह के अंत में होने वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की अगली बैठक के लिए बिहार पैकेज तैयार कर सकता है. जिसमें प्रदेश के लिए संभावित विशेष दर्जा भी शामिल है.
CM नीतीश ने इशारों में रखी बात : शुक्रवार को जब दिल्ली के संसद हॉल में एनडीए संसदीय दल की बैठक हुई, तो उसमें भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इशारों में अपनी बात रख दी. पीएम मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा कि, 'जो काम बचे हुए हैं, इस बार पूरे हो जाएंगे.'
क्या कहते हैं अर्थशास्त्री? : अर्थशास्त्री प्रो. नवल किशोर चौधरी का कहना है कि 2024 लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद बिहार के लोगों को एक बार फिर से उम्मीद जगी है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा एवं विशेष पैकेज मिलेगा. आज की वर्तमान राजनीति में नीतीश कुमार की भूमिका अहम हो गई है. अब उम्मीद है की विशेष पैकेज के साथ-साथ विशेष राज्य का दर्जा भी बिहार को मिल सकता है. बिहार को विशेष पैकेज के तौर पर जिन-जिन क्षेत्रों में राशि दी गई थी, उम्मीद है कि वह सारी योजनाएं पूरी हो जाएंगी.
''स्पेशल पैकेज में मूल रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बात कही गई थी. जिसमें कृषि क्षेत्र में, ट्रांसपोर्टेशन एवं डैम की बात हो सकती है. कोसी नदी पर बनने वाली हाई पावर डैम की मांग होती रही है. स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भी बिहार में बहुत संभावनाएं हैं. उसको लेकर भी काम हो सकते हैं. पटना विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा वर्षों से लंबित है. रेल एवं हवाई क्षेत्र में भी बिहार में बहुत सारी विकास की संभावनाएं हैं.''- प्रो. नवल किशोर चौधरी, अर्थशास्त्री
1.25 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा : 18 अगस्त 2015 को बिहार विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री ने राज्य के लिए केंद्रीय कोष से 1.25 लाख करोड़ रुपये के मेगा आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी. जिसको लेकर विपक्षियों ने उस समय प्रधानमंत्री पर कटाक्ष किया था कि प्रधानमंत्री ने बिहार की बोली लगाई है. नीतीश कुमार ने दबाव बना कर केंद्र सरकार से 165000 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज हासिल किया था.
कांग्रेस ने उठाए सवाल : अक्टूबर 2020 में कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2015 में बिहार के लिए घोषित 1.25 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज में से केवल 1,559 करोड़ रुपये के काम ही पांच साल में पूरे हुए. जिससे यह 'शून्य पैकेज' बन गया.
AP के लिए भी पैकेज की मांग उठ सकती है : केंद्र की सरकार के गठन में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) की अहम भूमिका होने जा रही है. 2024 के चुनाव में टीडीपी के 16 सांसद जीतकर सदन में पहुंचे हैं. ऐसी भी संभावना है कि आंध्र प्रदेश भी इसी तरह के पैकेज की मांग करे. ऐसे में आगे क्या-क्या होता है इसपर नजर रहेगी.
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