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World Mathematics Day: मिलिए झारखंड के दो बाल गणितज्ञ से, मिनटों में हल कर देते हैं बड़े-बड़े सवाल - child mathematicians from Jharkhand

child mathematicians from Jharkhand. पूत के पांव पालने में ही दिखने लगते हैं. ऐसे ही दो बच्चे हैं रांची के विराट और विराज. उम्र तो छोटी है, लेकिन प्रतिभा ऐसी कि बड़े भी उनका लोहा मानते हैं. विश्व गणित दिवस पर मिलिए इन दो बाल गणितज्ञ के बारे में जानिए, जिन्हें जूनियर रामानुज भी बुलाया जाता है.

child mathematicians from Jharkhand
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 14, 2024, 12:19 PM IST

Updated : Mar 14, 2024, 12:48 PM IST

झारखंड के दो बाल गणितज्ञ विराट और विराज

रांची: 14 मार्च को विश्व मैथमेटिक्स दिवस पूरे दुनिया के गणितज्ञ मनाते हैं. दुनिया भर के गणितज्ञों के लिए 14 मार्च का दिन बेहद खास माना जाता है. बिहार और झारखंड की बात करें तो कई ऐसे शख्स हैं जो बड़े गणितज्ञ तो हैं लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें पर्याप्त सम्मान और संसाधन नहीं मिल पाया. कुछ ऐसे ही हालात से गुजर रहे हैं झारखंड के दो बाल गणितज्ञ. दोनों बाल गणितज्ञ के प्रतिभा का लोहा लिम्का बुक रिकॉर्ड ने भी माना है. हम बात कर रहे हैं रांची के नामकुम के रहने वाले विराट और विराज की. जो चंद सेकंड में बड़े बड़े सवाल हल कर देते हैं.

विराट और विराज 1 से 500 तक के अंकों का क्यूब और स्क्वायर सॉल्व कर देते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब दोनों भाइयों को कुछ बड़े बड़े अंकों के स्क्वायर और क्यूब से जुड़े सवालों को सॉल्व करने दिया तो उन्होंने चंद सेकंड में सॉल्व कर उन प्रश्नों का जवाब दे दिया. विराट और विराज अभी क्लास चौथी में पढ़ते हैं, लेकिन वह दसवीं तक के सवालों को सॉल्व करने का माद्दा रखते हैं. बाल गणितज्ञ विराट और विराज बताते हैं कि कई बार उनके स्कूल में उनके सीनियर भी मैथ्स के सवाल लेकर उनके पास पहुंच जाते हैं तो कभी उनके टीचर छोटे रामानुज कह कर उन्हें बुलाते हैं.

विराट और विराज के मैथमेटिशियन बनने और मैथ्स में इतना तेज होने का कारण उनके पिता हैं, क्योंकि उनके पिता गगन माकन खुद गणित के एक मेधावी छात्र रह चुके हैं. अपने बेहतर गणित के बल पर गगन माकन ने कई बड़े बैंकों में नौकरियां भी की, लेकिन उन्हें वहां लगने लगा कि नौकरी करने में कहीं उनका गणित से लगाव ना कम हो जाए. इसीलिए उन्होंने अपनी कई नौकरियों को छोड़कर बच्चों को गणित पढ़ाने का निर्णय लिया और वह रांची आकर पिछले कई वर्षों से बच्चों को गणित पढ़ाकर ज्ञान की ज्योति जगा रहे हैं.

विराट और विराज की कैलकुलेशन क्षमता को लेकर गगन माकन बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान जब पूरी दुनिया अपने घरों में बंद थी तो उन्होंने अपने बच्चों के बीच गणित के कुछ फॉर्मूले प्रेक्टिस करवाए और उस फार्मूले के आधार पर आज उनके दोनों बेटे बड़े-बड़े सवालों को चंद मिनट में सॉल्व कर देते हैं. जिस कारण लिम्का बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनके दोनों बेटे का नाम भी आया.

विराट और विराज के पिता गगन माकन बताते हैं कि अमूमन यही माना जाता है कि गणित एक तेज दिमाग वाले शख्स के लिए है और बिहार झारखंड की धरती पर कई ऐसे तेज तर्रार दिमाग वाले लोग हैं जो उंगलियों पर गणित के सवालों को गिन लेते हैं. लेकिन ऐसे गणितज्ञों के लिए एक माहौल की आवश्यकता होती है यदि उन्हें उस माहौल में रखा जाए तो वह देश और दुनिया के लिए कई बड़े गणित में रिसर्च भी कर सकते हैं.

गगन माकन बताते हैं कि वह एक साधारण परिवार से हैं. कई ऐसी मूलभूत सुविधाएं होती हैं जो वह अपने बच्चे और परिवार को नहीं दे पाते हैं. क्योंकि आज की तारीख में बच्चों की पढ़ाई में ही आधी से अधिक कमाई चली जाती है. विराज और विराट के माता ने कहा कि स्कूलों में उनके बेटे के टैलेंट को देखते हुए फीस में कोई कमी नहीं की जा रही है. उन्होंने अपनी मांग रखते हुए कहा कि जिस तरह से उनके दोनों बच्चे भारत और झारखंड का नाम देश दुनिया में रोशन कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में झारखंड सरकार और यहां के निजी स्कूलों को उनके दोनों बच्चों को कंप्लीट स्कॉलरशिप मुहैया करानी जाना चाहिए ताकि वह अपने बच्चों के स्कूल फीस के बचे पैसे से अतिरिक्त संसाधन देकर उन्हें और होनहार बना सके.

वहीं दोनों बाल गणितज्ञ के पिता गगन माकन ने ईटीवी भारत के माध्यम से सुझाव देते हुए कहा कि आज यदि दुनिया के हर आविष्कार को देखें तो उसमें गणित का अहम योगदान है. इसलिए यदि प्रत्येक बच्चे को बचपन से ही गणित की बारीकियां को समझाया जाए तो मेड इन इंडिया का सपना आने वाले दिनों में प्रत्येक घर से पूरा हो सकता है. वहीं उन्होंने कहा कि सरकार को शिक्षक और शिक्षा के स्तर में सुधार करने की आवश्यकता है. उनकी तरफ से भी झारखंड सरकार को कई सुझाव दिए गए लेकिन अभी तक उस पर कोई पहल नहीं की गई है. यदि उन्हें सरकार के तरफ से संसाधन मुहैया कराए जाए तो वह अपने बच्चों की तरह झारखंड के अन्य बच्चों को भी टेलेंटेड बनाने की सोच रखते हैं.

विराट और विराज के गणितज्ञ पिता ने कहा कि बिहार झारखंड में वशिष्ठ नारायण जैसे और भी शख्स बन सकते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने दुख जाहिर करते हुए कहा कि जिस तरह से हमने वशिष्ठ नारायण के अंतिम दिनों के दुखों को देखा है, उसे देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि आज भी भारत में गणितज्ञों को उनका उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा है. जरूरत है भारत सरकार और राज्य सरकार देश के महान गणितज्ञों को चयनित कर उन्हें संसाधन मुहैया कराए ताकि आने वाले दिनों में भारत के गणितज्ञ दुनिया में अपना लोहा मनवा सके.

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विराट और विराज 1 से 500 तक के अंकों का क्यूब और स्क्वायर सॉल्व कर देते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब दोनों भाइयों को कुछ बड़े बड़े अंकों के स्क्वायर और क्यूब से जुड़े सवालों को सॉल्व करने दिया तो उन्होंने चंद सेकंड में सॉल्व कर उन प्रश्नों का जवाब दे दिया. विराट और विराज अभी क्लास चौथी में पढ़ते हैं, लेकिन वह दसवीं तक के सवालों को सॉल्व करने का माद्दा रखते हैं. बाल गणितज्ञ विराट और विराज बताते हैं कि कई बार उनके स्कूल में उनके सीनियर भी मैथ्स के सवाल लेकर उनके पास पहुंच जाते हैं तो कभी उनके टीचर छोटे रामानुज कह कर उन्हें बुलाते हैं.

विराट और विराज के मैथमेटिशियन बनने और मैथ्स में इतना तेज होने का कारण उनके पिता हैं, क्योंकि उनके पिता गगन माकन खुद गणित के एक मेधावी छात्र रह चुके हैं. अपने बेहतर गणित के बल पर गगन माकन ने कई बड़े बैंकों में नौकरियां भी की, लेकिन उन्हें वहां लगने लगा कि नौकरी करने में कहीं उनका गणित से लगाव ना कम हो जाए. इसीलिए उन्होंने अपनी कई नौकरियों को छोड़कर बच्चों को गणित पढ़ाने का निर्णय लिया और वह रांची आकर पिछले कई वर्षों से बच्चों को गणित पढ़ाकर ज्ञान की ज्योति जगा रहे हैं.

विराट और विराज की कैलकुलेशन क्षमता को लेकर गगन माकन बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान जब पूरी दुनिया अपने घरों में बंद थी तो उन्होंने अपने बच्चों के बीच गणित के कुछ फॉर्मूले प्रेक्टिस करवाए और उस फार्मूले के आधार पर आज उनके दोनों बेटे बड़े-बड़े सवालों को चंद मिनट में सॉल्व कर देते हैं. जिस कारण लिम्का बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनके दोनों बेटे का नाम भी आया.

विराट और विराज के पिता गगन माकन बताते हैं कि अमूमन यही माना जाता है कि गणित एक तेज दिमाग वाले शख्स के लिए है और बिहार झारखंड की धरती पर कई ऐसे तेज तर्रार दिमाग वाले लोग हैं जो उंगलियों पर गणित के सवालों को गिन लेते हैं. लेकिन ऐसे गणितज्ञों के लिए एक माहौल की आवश्यकता होती है यदि उन्हें उस माहौल में रखा जाए तो वह देश और दुनिया के लिए कई बड़े गणित में रिसर्च भी कर सकते हैं.

गगन माकन बताते हैं कि वह एक साधारण परिवार से हैं. कई ऐसी मूलभूत सुविधाएं होती हैं जो वह अपने बच्चे और परिवार को नहीं दे पाते हैं. क्योंकि आज की तारीख में बच्चों की पढ़ाई में ही आधी से अधिक कमाई चली जाती है. विराज और विराट के माता ने कहा कि स्कूलों में उनके बेटे के टैलेंट को देखते हुए फीस में कोई कमी नहीं की जा रही है. उन्होंने अपनी मांग रखते हुए कहा कि जिस तरह से उनके दोनों बच्चे भारत और झारखंड का नाम देश दुनिया में रोशन कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में झारखंड सरकार और यहां के निजी स्कूलों को उनके दोनों बच्चों को कंप्लीट स्कॉलरशिप मुहैया करानी जाना चाहिए ताकि वह अपने बच्चों के स्कूल फीस के बचे पैसे से अतिरिक्त संसाधन देकर उन्हें और होनहार बना सके.

वहीं दोनों बाल गणितज्ञ के पिता गगन माकन ने ईटीवी भारत के माध्यम से सुझाव देते हुए कहा कि आज यदि दुनिया के हर आविष्कार को देखें तो उसमें गणित का अहम योगदान है. इसलिए यदि प्रत्येक बच्चे को बचपन से ही गणित की बारीकियां को समझाया जाए तो मेड इन इंडिया का सपना आने वाले दिनों में प्रत्येक घर से पूरा हो सकता है. वहीं उन्होंने कहा कि सरकार को शिक्षक और शिक्षा के स्तर में सुधार करने की आवश्यकता है. उनकी तरफ से भी झारखंड सरकार को कई सुझाव दिए गए लेकिन अभी तक उस पर कोई पहल नहीं की गई है. यदि उन्हें सरकार के तरफ से संसाधन मुहैया कराए जाए तो वह अपने बच्चों की तरह झारखंड के अन्य बच्चों को भी टेलेंटेड बनाने की सोच रखते हैं.

विराट और विराज के गणितज्ञ पिता ने कहा कि बिहार झारखंड में वशिष्ठ नारायण जैसे और भी शख्स बन सकते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने दुख जाहिर करते हुए कहा कि जिस तरह से हमने वशिष्ठ नारायण के अंतिम दिनों के दुखों को देखा है, उसे देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि आज भी भारत में गणितज्ञों को उनका उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा है. जरूरत है भारत सरकार और राज्य सरकार देश के महान गणितज्ञों को चयनित कर उन्हें संसाधन मुहैया कराए ताकि आने वाले दिनों में भारत के गणितज्ञ दुनिया में अपना लोहा मनवा सके.

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Last Updated : Mar 14, 2024, 12:48 PM IST
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