कोरापुट: दशमंतपुर ब्लॉक के कौगुड़ा गांव के ग्रामीणों ने भूमिहीनों को खेती योग्य जमीन का एक हिस्सा बांटकर उनके चेहरे पर मुस्कान लाने का उदाहरण पेश किया है. सीवाईएसडी और ओडिशा एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन की मदद से, वे गांव के निचले हिस्से में बहने वाली धारा से पानी उठाकर पूरे साल विभिन्न सब्जियों की खेती करने में सक्षम हैं.
एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाते हुए, वे अपने गांव के आसपास के खेतों में विभिन्न सब्जियां उगाते हैं. उनकी आपसी समझ उन्हें इस काम में मदद करती है. इस गांव के निवासी मदन गडबा ने कहा कि इस गांव में गदबा जनजाति के लगभग 45 परिवार रहते हैं और वे सभी जीवन को बेहतर बनाने के लिए गाय, मवेशी, बकरी और मुर्गी पालते हैं. उन्होंने कहा कि सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के पारंपरिक तरीके को बरकरार रखते हुए, प्रत्येक परिवार पूरे गांव से गायों, बकरियों और भेड़ों को गांव द्वारा निर्धारित क्रमबद्ध तरीके से चराने के लिए ले जाता है.
साथ ही सभी ने गोबर एकत्र कर तैयार की गई जैविक खाद का उपयोग कर पूरे गांव को एक नई पहचान दिलाई है. हालांकि, गांव के सभी 45 परिवारों के पास कृषि भूमि नहीं है, लेकिन ग्रामीणों ने किसी को निराश नहीं किया है. उन्होंने भूमिहीन परिवारों को अपनी भूमि के कुछ हिस्से पर निःशुल्क खेती करने का अवसर दिया है. गांव का युवक भुवन गड़बा इस दिशा में सभी से दो कदम आगे निकल गया और उसने अपनी जमीन के आधे हिस्से में तरह-तरह की सब्जियां उगाईं, जबकि बाकी आधी जमीन अपने साथी ग्रामीण सैम गड़बा को दे दी.
जबकि वह खुद खेती करके खुश था, उसने सैम से कहा कि वह उसकी आधी जमीन पर खेती करे ताकि खेती की जमीन की कमी के कारण कोई दुखी न हो. सैम ने कहा कि वह दूसरों की तरह खुशी-खुशी खेतों में रह रहा है. सीवाईएसडी के संस्थापक और भुवनेश्वर के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता जगदानंद ने कहा कि गांव में इस तरह की साझेदारी के माध्यम से मानवता का दर्शन पूरी दुनिया के लिए एक अनूठा उदाहरण बन गया है.