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तेंदुओं की गणना रिपोर्ट जारी, जानें कैसी होती है इनकी गिनती? - Odisha

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

Leopard Census: ओडिशा सरकार ने राज्य में मौजूद तेंदुआ की गणना की है. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में वर्तमान में 696 तेंदुए मौजूद हैं. तेंदुए की गिनती के लिए जंगल में कैमरा ट्रैप लगाए गए थे.

तेंदुओं की जनगणना रिपोर्ट
तेंदुओं की जनगणना रिपोर्ट (ETV Bharat)

भुवनेश्वर: ओडिशा सरकार ने अपनी पहली तेंदुआ गणना रिपोर्ट जारी की है, जिसमें पता चला है कि राज्य में वर्तमान में 696 तेंदुए मौजूद हैं. यह स्वतंत्र गणना राज्य के वन विभाग द्वारा की गई थी. NTCA की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में ओडिशा में 568 बाघ थे. वहीं 2018 में तेंदुए बाघों की संख्या 760 थी.

PCCF सुशांत नंदा ने मीडिया को बताया कि राज्य के 47 डिवीजनों में तेंदुओं की गिनती की गई थी. मयूरभंज और केंदुझर डिवीजनों में लगभग 200 बाघों का पता चला, जबकि सतकोशिया अंगुल के दक्षिण में महानदी वन क्षेत्र, अथामल्लिक बौध, नयागढ़ जिले में लगभग 150 बाघों का पता चला.

उन्होंने बताया कि देबरीगढ़ के पास 50 से ज्यादा बाघों की पहचान की गई, जबकि खैरिया सुनाबेधा में भी 50 से ज़्यादा बाघों की पहचान की गई है. वहीं ढेंकनाल कपिलास और दूसरी जगहों पर 20 से ज्यादा बाघों की पहचान की गई है.

गिनती के लिए कैमरा ट्रैप
सुशांत नंदा ने कहा कि खास तौर पर तेंदुए की गिनती के लिए जंगल में कैमरा ट्रैप लगाए गए थे. बता दें कि तेंदुए की गिनती के लिए फोटो कैप्चर और पैरों के निशान का इस्तेमाल करके संख्या का अनुमान लगाया जाता है.

खाल की तस्करी
पीसीसीएफ ने कहा कि अक्सर शिकारी बाघों और तेंदुओं के शिकार के लिए जाल बिछा थे. ऐसे में कई बार वह उनका शिकार करने में सफल भी हो जाते हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन खालों की कोई मांग नहीं है, लेकिन कई लोग बाघ की खाल खरीदने में रुचि रखते हैं. खास तौर पर कोलकाता में.

यह भी पढ़ें- काजीरंगा का पिक्लु डेका म्यूजियम, जहां मौजूद हैं कई वैश्विक धरोहर

भुवनेश्वर: ओडिशा सरकार ने अपनी पहली तेंदुआ गणना रिपोर्ट जारी की है, जिसमें पता चला है कि राज्य में वर्तमान में 696 तेंदुए मौजूद हैं. यह स्वतंत्र गणना राज्य के वन विभाग द्वारा की गई थी. NTCA की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में ओडिशा में 568 बाघ थे. वहीं 2018 में तेंदुए बाघों की संख्या 760 थी.

PCCF सुशांत नंदा ने मीडिया को बताया कि राज्य के 47 डिवीजनों में तेंदुओं की गिनती की गई थी. मयूरभंज और केंदुझर डिवीजनों में लगभग 200 बाघों का पता चला, जबकि सतकोशिया अंगुल के दक्षिण में महानदी वन क्षेत्र, अथामल्लिक बौध, नयागढ़ जिले में लगभग 150 बाघों का पता चला.

उन्होंने बताया कि देबरीगढ़ के पास 50 से ज्यादा बाघों की पहचान की गई, जबकि खैरिया सुनाबेधा में भी 50 से ज़्यादा बाघों की पहचान की गई है. वहीं ढेंकनाल कपिलास और दूसरी जगहों पर 20 से ज्यादा बाघों की पहचान की गई है.

गिनती के लिए कैमरा ट्रैप
सुशांत नंदा ने कहा कि खास तौर पर तेंदुए की गिनती के लिए जंगल में कैमरा ट्रैप लगाए गए थे. बता दें कि तेंदुए की गिनती के लिए फोटो कैप्चर और पैरों के निशान का इस्तेमाल करके संख्या का अनुमान लगाया जाता है.

खाल की तस्करी
पीसीसीएफ ने कहा कि अक्सर शिकारी बाघों और तेंदुओं के शिकार के लिए जाल बिछा थे. ऐसे में कई बार वह उनका शिकार करने में सफल भी हो जाते हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन खालों की कोई मांग नहीं है, लेकिन कई लोग बाघ की खाल खरीदने में रुचि रखते हैं. खास तौर पर कोलकाता में.

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