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ओडिशा: ऑटो रिक्शा चालक ने किया ब्रेन डेड बेटी का लीवर डोनेट

couple donates daughters liver: ओडिशा में एक दंपती ने ब्रेन डेड बेटी का लीवर दान किया. लीवर को सफलतापूर्वक निकाल कर ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से दिल्ली के एक अस्पताल में पहुंचा दिया गया.

Odisha: Auto rickshaw driver donated liver of brain dead daughter
ओडिशा: ऑटो रिक्शा चालक ने किया ब्रेन डेड बेटी के लीवर दान
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 24, 2024, 11:53 AM IST

Updated : Feb 24, 2024, 2:48 PM IST

भुवनेश्वर: भले ही एक 14 वर्षीय लड़की की जीवन लीला समाप्त हो गई लेकिन वह दूसरे शरीर में जीवित रहेगी. लड़की के पिता एक ऑटो-रिक्शा चालक ने दूसरे की जान बचाने के लिए अपनी बेटी के लीवर को दान कर दिया. इसे ग्रीन कॉरिडोर के जरिए दिल्ली के एक अस्पताल में पहुंचा दिया गया.

सूत्रों के अनुसार क्योंझर के बरेइगोड़ा गांव के रहने वाले दुखबंधु महंत भुवनेश्वर में रहते हैं. उनके परिवार में उनकी पत्नी और बेटी थी. वह परिवार चलाने के लिए ऑटो रिक्शा चलाता है. पांच महीने पहले तक परिवार के दिन खुशी से गुजर रहे थे. परिवार पर गमों का पहाड़ तब टूटा जब दुखबंधु की बेटी को किडनी की बीमारी का पता चला. तब से वह डायलिसिस पर थीं.

हालांकि, एक हफ्ते पहले वह बीमार पड़ गईं. चिंतित माता-पिता ने उसे एम्स भुवनेश्वर में भर्ती कराया. बाद के परीक्षणों से पुष्टि हुई कि उसे ब्रेन स्ट्रोन हुआ. फिर डॉक्टर ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया. इसके बाद उसके माता-पिता ने उसके महत्वपूर्ण अंगों को दान करने का नेक निर्णय लिया. उनकी सहमति मिलने के बाद कुछ परीक्षण किए गए और यह पाया गया कि उनकी बेटी का लीवर प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त है. इसके बाद उनकी बेटी का लीवर निकाला गया और इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलीरी साइंसेज (ILBS) नई दिल्ली भेजा गया. दुखबंधु ने कहा, 'हमने ऐसा निर्णय इसलिए लिया क्योंकि इससे हमें लगेगा कि मेरी बेटी जीवित है. गम में डूबी मां ने कहा, 'माता-पिता होने के नाते हम उसे खोने के बाद बहुत दुख में हैं. वहीं, हमारी बेटी के किसी और के शरीर में जिंदा रहने का एहसास हमारे लिए अच्छा है.

ये भी पढ़ें- ईटीवी भारत के वरिष्ठ वीडियो पत्रकार मनोरंजन साहू का दिल का दौरा पड़ने से निधन

भुवनेश्वर: भले ही एक 14 वर्षीय लड़की की जीवन लीला समाप्त हो गई लेकिन वह दूसरे शरीर में जीवित रहेगी. लड़की के पिता एक ऑटो-रिक्शा चालक ने दूसरे की जान बचाने के लिए अपनी बेटी के लीवर को दान कर दिया. इसे ग्रीन कॉरिडोर के जरिए दिल्ली के एक अस्पताल में पहुंचा दिया गया.

सूत्रों के अनुसार क्योंझर के बरेइगोड़ा गांव के रहने वाले दुखबंधु महंत भुवनेश्वर में रहते हैं. उनके परिवार में उनकी पत्नी और बेटी थी. वह परिवार चलाने के लिए ऑटो रिक्शा चलाता है. पांच महीने पहले तक परिवार के दिन खुशी से गुजर रहे थे. परिवार पर गमों का पहाड़ तब टूटा जब दुखबंधु की बेटी को किडनी की बीमारी का पता चला. तब से वह डायलिसिस पर थीं.

हालांकि, एक हफ्ते पहले वह बीमार पड़ गईं. चिंतित माता-पिता ने उसे एम्स भुवनेश्वर में भर्ती कराया. बाद के परीक्षणों से पुष्टि हुई कि उसे ब्रेन स्ट्रोन हुआ. फिर डॉक्टर ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया. इसके बाद उसके माता-पिता ने उसके महत्वपूर्ण अंगों को दान करने का नेक निर्णय लिया. उनकी सहमति मिलने के बाद कुछ परीक्षण किए गए और यह पाया गया कि उनकी बेटी का लीवर प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त है. इसके बाद उनकी बेटी का लीवर निकाला गया और इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलीरी साइंसेज (ILBS) नई दिल्ली भेजा गया. दुखबंधु ने कहा, 'हमने ऐसा निर्णय इसलिए लिया क्योंकि इससे हमें लगेगा कि मेरी बेटी जीवित है. गम में डूबी मां ने कहा, 'माता-पिता होने के नाते हम उसे खोने के बाद बहुत दुख में हैं. वहीं, हमारी बेटी के किसी और के शरीर में जिंदा रहने का एहसास हमारे लिए अच्छा है.

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Last Updated : Feb 24, 2024, 2:48 PM IST
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