देहरादूनः उत्तराखंड के राजाजी राष्ट्रीय पार्क में इन दिनों टाइगर्स का कुनबा बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है. हालांकि, इस राष्ट्रीय पार्क को हकीकत में हाथियों के लिए ही जाना जाता है. इसकी वजह यह है कि राजाजी नेशनल पार्क में सबसे ज्यादा हाथियों की ही मौजूदगी है. विश्व हाथी दिवस पर हाथियों के लिए प्रसिद्ध राजाजी नेशनल पार्क को लेकर ईटीवी भारत इसकी अहमियत और हाथियों के दृष्टिकोण से इसकी मौजूदा स्थिति पर बेहद अहम बिंदु रखने जा रहा है. जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि राजाजी राष्ट्रीय पार्क हाथियों के लिए बेहद अनुकूल तो है ही लेकिन मानवीय छेड़छाड़ इनके संरक्षण के लिए खतरा बन गए हैं.
उत्तराखंड में हाथियों की संख्या पर नजर दौड़ाएं तो पूरे प्रदेश में इस वक्त 2020 की गणना के अनुसार 2026 हाथी मौजूद हैं. सबसे ज्यादा हाथी कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हैं. कॉर्बेट में कुल 1224 हाथी रिकॉर्ड किए गए हैं. राजाजी राष्ट्रीय पार्क में इस वक्त 311 हाथी दर्ज हुए हैं. राजाजी राष्ट्रीय पार्क का कुल क्षेत्रफल 851.62 वर्ग किलोमीटर है. इस पूरे इलाके में बड़ी संख्या में हाथी फैले हुए हैं. इस क्षेत्र में हाथियों की बड़ी संख्या है. लिहाजा, इंसानों से इनका आमना-सामना होना भी आम हो गया है.
हाथियों के हमले में इंसानों की मौत: वन विभाग के मुताबिक, राजाजी राष्ट्रीय पार्क में पिछले 5 साल के रिकॉर्ड देखें तो साल 2019 में हाथियों के हमले में दो लोगों की मौत हुई थी. 2020 में एक व्यक्ति इसमें मारा गया. 2021 में कोरोना काल के दौरान तीन लोगों की हाथियों के हमले में मौत हो गई. हालांकि, 2022 में हाथी के हमले में किसी की मौत नहीं हुई. लेकिन 2023 में दो लोग मारे गए. इस साल 2024 में अभी एक व्यक्ति की हाथी के हमले में मौत हो चुकी है. वन विभाग का यह आंकड़ा केवल राजाजी राष्ट्रीय पार्क का है.
हाथियों के मौत के आंकड़े: इसी तरह उत्तराखंड में हाथियों की मौत के आंकड़ों पर गौर करें तो वन विभाग के मुताबिक, पिछले करीब 5 साल में 113 हाथी विभिन्न वजहों से अपनी जान गंवा चुके हैं. पिछले 5 साल में साल 2023 में सबसे ज्यादा 29 हाथियों की मौत हुई. हालांकि हाथियों की मौत के कारणों में सबसे ज्यादा हाथियों की मौत सामान्य मानी गई. यानी उम्र पूरी होने के चलते इन हाथियों की मौत हुई. इस साल 2024 में अब तक 12 हाथी अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं वन विभाग के आंकड़े कहते हैं कि उत्तराखंड में पिछले 20 साल में 17 हाथी रेलवे लाइन में ट्रेन की टक्कर से जान गंवा चुके हैं.
राजाजी राष्ट्रीय पार्क में 2020 से अब तक कुल 14 हाथियों की मौत हो चुकी है. इस साल अभी फिलहाल एक भी हाथी की मौत रिकॉर्ड नहीं हुई है. हाथियों की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण इनका आपसी संघर्ष है. जिसमें साल 2020 से अब तक कुल पांच हाथी अपनी जान गंवा चुके हैं.
राजाजी में घटी हाथियों की संख्या: हाथियों को लेकर राजाजी राष्ट्रीय पार्क में रिकॉर्ड किए गए आंकड़े काफी चौंकाने वाले भी हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ जहां प्रदेश में साल दर साल हाथियों की संख्या बढ़ रही है, तो वहीं राजाजी राष्ट्रीय पार्क में हाथियों की संख्या में कमी आई है. यहां साल 2001 में 453 हाथी थे, जो 2007 में 418 हो गए और 2015 में इनकी संख्या 309 पहुंच गई. जबकि 2020 की गणना में 311 हाथी यहां रिकॉर्ड किए गए हैं.
हाथियों के इलाकों में इंसानों की दखल: राजाजी राष्ट्रीय पार्क में इंसानी दखल ने भी हाथियों के लिए परेशानी खड़ी की है. दरअसल, राजाजी राष्ट्रीय पार्क पौड़ी, हरिद्वार और देहरादून के बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है. ऐसे में मैदानी क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए पहले राजाजी राष्ट्रीय पार्क में इंसानी गतिविधियां भी बढ़ी है. इस क्षेत्र में फोरलेन सड़क से लेकर रेलवे ट्रैक और जंगल का खुला इलाका भी मौजूद है. ऐसे में न केवल राजाजी राष्ट्रीय पार्क में सुरक्षा को लेकर खतरा बना रहता है. बल्कि विकास कार्यों की अधिकता के कारण भी हाथियों और दूसरे वन्यजीवों पर इसका असर पड़ रहा है.
उत्तराखंड वन विभाग अपर प्रमुख वन संरक्षक विवेक पांडे कहते हैं कि हाथियों की सुरक्षा के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. विश्व हाथी दिवस पर भी एक बार फिर हाथियों के संरक्षण को लेकर चिंतन जारी है.
ये स्थितियां बनाती हैं हाथियों के लिए राजाजी में अनुकूल माहौल: वन विभाग हाथियों को लेकर बेहतर माहौल प्रदेश के जंगलों में होने की बात कह रहा है. काफी हद तक राजाजी पार्क में हाथियों के लिए खाने की उचित व्यवस्था उनके अनुकूल हैं. उसके अलावा ये एक बड़ा इलाका है, जहां ये आसानी से विचरण कर पाते हैं. उधर राजाजी का विस्तारित मैदानी इलाका और इसका पर्वतीय जनपदों तक जुड़ा होना भी हाथियों के लिए मुफीद है. इस तरह एक अनुकूल माहौल भी इन्हें मिल पा रहा है. जबकि सरकारों के स्तर पर रुकावट वाले क्षेत्रों में नए गलियारे खोलने का फैसला इनके हक में दिखाई दिया है. तमाम सड़कों में इनके लिए अंडर पास बनाने का काम हो रहा है ताकि इनका विचरण बाधित ना हो. राजाजी में पानी की भी प्रयाप्त व्यवस्था मौजूद है, जो हाथियों के लिए और भी ज्यादा अनुकूल बनाती है.
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