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छत्तीसगढ़ के जंगल में छुपकर रह रहा था कुख्यात कॉन्ट्रैक्ट किलर, 11 साल बाद क्राइम ब्रांच ने दबोचा

दिल्ली क्राइम ब्रांच ने तिलक नगर हत्या मामले में 11 वर्षों से फरार चल रहे कुख्यात कॉन्ट्रैक्ट किलर राजू बनारसी को छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार किया.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 2 hours ago

तिलक नगर हत्या केस
तिलक नगर हत्या केस (Etv Bharat)

नई दिल्ली: दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने हत्या के मामले में 11 वर्षों से फरार चल रहे कुख्यात कॉन्ट्रैक्ट किलर को छत्तीसगढ़-झारखंड क्षेत्र के घने जंगल से गिरफ्तार किया. आरोपी को कोर्ट ने भगोड़ा घोषित किया हुआ था. साथ ही दिल्ली पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी पर 50 हजार का इनाम रखा था.

क्राइम ब्रांच की डीसीपी संजय कुमार सेन ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी की पहचान राजू बनारसी उर्फ राजू सिंह के तौर पर हुई है. वह मूल रूप से झारखंड के पलामू का रहने वाला है. डीसीपी ने बताया कि वर्ष 2013 में दिल्ली के तिलक नगर थाने क्षेत्र में हुए एक सनसनीखेज हत्याकांड में आरोपी राजू बनारसी लंबे समय से फरार चल रहा था. वर्ष 2014 में उसकी गिरफ्तारी पर 50,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया था. पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद वह झारखंड और छत्तीसगढ़ के जंगलों में छिपकर अपनी गिरफ्तारी से बच रहा था.

भाई ने भाई का कराया मर्डर: डीसीपी ने बताया कि यह एक सनसनीखेज कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का मामला था, जिसमें कुल 6 आरोपियों ने मृतक के सगे भाई राजेश सिंह लांबा के निर्देश पर कॉन्ट्रैक्ट किलिंग को अंजाम दिया था. आरोपियों को कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के लिए 10 लाख की रकम दी गई थी.

कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के पीछे का मकसद: डीसीपी ने बताया कि कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के पीछे का मकसद मृतक और उसके सगे भाई के बीच संपत्ति विवाद था. पूरी साजिश रची गई और इसे अंजाम देने के लिए आरोपी राजू बनारसी ने एक पिस्तौल और एक देसी पिस्तौल मुहैया कराई थी. हत्या को अंजाम देने वाले दिन आरोपी राजू बनारसी को अपने सह-आरोपियों को बैकअप और भागने का आसान रास्ता देने का काम सौंपा गया था, जिन्होंने मृतक जितेंद्र लांबा पर गोलियां चलाई थी. अपराध करने के बाद सभी आरोपी भाग गए, लेकिन बाद में अलग-अलग समय पर सभी आरोपी गिरफ्तार हो गए, लेकिन राजू बनारसी फरार चल रहा था.

पैसे की खातिर कॉन्ट्रैक्ट किलिंग: डीसीपी ने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपी ने खुलासा किया कि केवल पैसे की खातिर कॉन्ट्रैक्ट किलिंग को अंजाम दिया. वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है, जिनकी 1999 में मृत्यु हो गई थी. वह मूल रूप से बनारस, यूपी का रहने वाला है, इसलिए उसे राजू बनारसी के नाम से जाना जाता था. बाद में, वह पलामू, झारखंड चला गया जहाँ उसने ड्राइवर के रूप में काम करना शुरू कर दिया. समय के साथ, वह सह-आरोपी मुकेश कुमार सोनी के संपर्क में आया, जिसने रविंदर राठी नामक व्यक्ति से हत्या की सुपारी ली और उसे दिल्ली में एक हत्या को अंजाम देने के लिए कहा.

चूंकि आरोपी को पैसों की सख्त जरूरत थी, इसलिए वह कॉन्ट्रैक्ट किलिंग को अंजाम देने के लिए तैयार हो गया और उसने इसके लिए दो अन्य आरोपियों रिशु और अभिषेक को हथियारों के साथ भी व्यवस्थित किया. उसके बाद, वे चारों दिल्ली आए और रविंदर राठी ने उन्हें टारगेट दिखाया. घटना के दिन, वे दो वाहनों में सवार होकर आए और गोली मारकर हत्या करने के बाद वे सभी मौके से भाग गए. इसके बाद, वह बनारस भाग गया, फिर झारखंड के पलामू चला गया.

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नई दिल्ली: दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने हत्या के मामले में 11 वर्षों से फरार चल रहे कुख्यात कॉन्ट्रैक्ट किलर को छत्तीसगढ़-झारखंड क्षेत्र के घने जंगल से गिरफ्तार किया. आरोपी को कोर्ट ने भगोड़ा घोषित किया हुआ था. साथ ही दिल्ली पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी पर 50 हजार का इनाम रखा था.

क्राइम ब्रांच की डीसीपी संजय कुमार सेन ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी की पहचान राजू बनारसी उर्फ राजू सिंह के तौर पर हुई है. वह मूल रूप से झारखंड के पलामू का रहने वाला है. डीसीपी ने बताया कि वर्ष 2013 में दिल्ली के तिलक नगर थाने क्षेत्र में हुए एक सनसनीखेज हत्याकांड में आरोपी राजू बनारसी लंबे समय से फरार चल रहा था. वर्ष 2014 में उसकी गिरफ्तारी पर 50,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया था. पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद वह झारखंड और छत्तीसगढ़ के जंगलों में छिपकर अपनी गिरफ्तारी से बच रहा था.

भाई ने भाई का कराया मर्डर: डीसीपी ने बताया कि यह एक सनसनीखेज कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का मामला था, जिसमें कुल 6 आरोपियों ने मृतक के सगे भाई राजेश सिंह लांबा के निर्देश पर कॉन्ट्रैक्ट किलिंग को अंजाम दिया था. आरोपियों को कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के लिए 10 लाख की रकम दी गई थी.

कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के पीछे का मकसद: डीसीपी ने बताया कि कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के पीछे का मकसद मृतक और उसके सगे भाई के बीच संपत्ति विवाद था. पूरी साजिश रची गई और इसे अंजाम देने के लिए आरोपी राजू बनारसी ने एक पिस्तौल और एक देसी पिस्तौल मुहैया कराई थी. हत्या को अंजाम देने वाले दिन आरोपी राजू बनारसी को अपने सह-आरोपियों को बैकअप और भागने का आसान रास्ता देने का काम सौंपा गया था, जिन्होंने मृतक जितेंद्र लांबा पर गोलियां चलाई थी. अपराध करने के बाद सभी आरोपी भाग गए, लेकिन बाद में अलग-अलग समय पर सभी आरोपी गिरफ्तार हो गए, लेकिन राजू बनारसी फरार चल रहा था.

पैसे की खातिर कॉन्ट्रैक्ट किलिंग: डीसीपी ने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपी ने खुलासा किया कि केवल पैसे की खातिर कॉन्ट्रैक्ट किलिंग को अंजाम दिया. वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है, जिनकी 1999 में मृत्यु हो गई थी. वह मूल रूप से बनारस, यूपी का रहने वाला है, इसलिए उसे राजू बनारसी के नाम से जाना जाता था. बाद में, वह पलामू, झारखंड चला गया जहाँ उसने ड्राइवर के रूप में काम करना शुरू कर दिया. समय के साथ, वह सह-आरोपी मुकेश कुमार सोनी के संपर्क में आया, जिसने रविंदर राठी नामक व्यक्ति से हत्या की सुपारी ली और उसे दिल्ली में एक हत्या को अंजाम देने के लिए कहा.

चूंकि आरोपी को पैसों की सख्त जरूरत थी, इसलिए वह कॉन्ट्रैक्ट किलिंग को अंजाम देने के लिए तैयार हो गया और उसने इसके लिए दो अन्य आरोपियों रिशु और अभिषेक को हथियारों के साथ भी व्यवस्थित किया. उसके बाद, वे चारों दिल्ली आए और रविंदर राठी ने उन्हें टारगेट दिखाया. घटना के दिन, वे दो वाहनों में सवार होकर आए और गोली मारकर हत्या करने के बाद वे सभी मौके से भाग गए. इसके बाद, वह बनारस भाग गया, फिर झारखंड के पलामू चला गया.

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