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SC में पतंजलि आयुर्वेद ने बिना शर्त मांगी माफी, कहा भविष्य में कोई भ्रामक विज्ञापन नहीं देंगे

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 21, 2024, 10:59 AM IST

Updated : Mar 21, 2024, 11:21 AM IST

Patanjali Ayurved offers unconditional apology in SC: पतंजलि आयुर्वेद की ओर से भविष्य में किसी भी प्रकार के भ्रामक विज्ञापन नहीं दिए जाएंगे. पतंजलि आयुर्वेद की ओर से आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर माफी मांगी है. पढ़ें ईटीवी भारत के लिए सुमित सक्सेना की रिपोर्ट...

Patanjali Ayurveda sought unconditional apology in the Supreme Court
पतंजलि आयुर्वेद ने सुप्रीम कोर्ट में मांगी बिना शर्त माफी

नई दिल्ली: पतंजलि आयुर्वेद की ओर से आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कई बीमारियों के स्थायी इलाज का दावा करने वाले भ्रामक विज्ञापनों के मामले में बिना शर्त माफी मांगी है. शीर्ष अदालत ने अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने पर बाबा रामदेव और बालकृष्ण दोनों को 2 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था.

बालकृष्ण द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया, 'प्रतिवादी संख्या की ओर से गवाही देने वाला 5 (पतंजलि आयुर्वेद) इस अदालत के समक्ष बिना शर्त माफी मांगता है. अभिसाक्षी यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी नहीं किए जाएं.' बालकृष्ण ने तर्क दिया कि कंपनी का इरादा केवल देश के नागरिकों को पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों का उपयोग करके स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करना था, जिसमें आयुर्वेदिक अनुसंधान द्वारा पूरक और समर्थित सदियों पुराने साहित्य और सामग्रियों के उपयोग के माध्यम से जीवनशैली संबंधी बीमारियों के उत्पाद भी शामिल थे.

हलफनामे में विनम्रतापूर्वक कहा गया कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 की अनुसूची जे, ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1955 के साथ पढ़ी गई जो पुरानी स्थिति में है और अंतिम परिवर्तन 1966 में किए गए थे.'

बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद के पास अब आयुर्वेद में किए गए नैदानिक अनुसंधान के साथ साक्ष्य-आधारित वैज्ञानिक डेटा है, जो रोगों के संदर्भ में वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से हुई प्रगति को प्रदर्शित करेगा. गवाह की एकमात्र खोज प्रत्येक नागरिक के लिए बेहतर, स्वस्थ जीवन और आयुर्वेद और योग के सदियों पुराने पारंपरिक दृष्टिकोण का उपयोग करके जीवन शैली से संबंधित चिकित्सा जटिलताओं के लिए समग्र, साक्ष्य आधारित समाधान प्रदान करके देश के स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे पर बोझ को कम करना है.

शीर्ष अदालत ने 19 मार्च को पारित अपने आदेश में कहा, 'इसके अलावा 21 नवंबर 2023 को इस न्यायालय को दिए गए वचन के तहत प्रतिवादी नंबर 5 (पतंजलि) द्वारा जारी किए गए विज्ञापनों को देखने के बाद और यह देखने पर कि उक्त विज्ञापन बाबा रामदेव द्वारा किए गए समर्थन को दर्शाते हैं. यह बताने के लिए नोटिस जारी करना उचित समझा जाएगा कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए. ऐसा इसलिए क्योंकि इस न्यायालय की प्रथम दृष्टया राय है कि उन्होंने भी ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) की धारा 3 और 4 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है.

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कई बीमारियों के स्थायी इलाज का दावा करने वाले पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों पर बाबा रामदेव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने में विफल रहने पर अदालत में उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति के निर्देश दिए. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह केवल कारण बताने के लिए दिया गया नोटिस है और इसमें कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है.

पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ के समक्ष कहा कि उनके मुवक्किल को क्यों बुलाया जा रहा है. इसका कोई कारण नहीं बताया जा रहा है. हालांकि फरवरी में आखिरी अदालती सुनवाई के बाद से कुछ भी नहीं बदला है. रोहतगी ने कहा कि शीर्ष अदालत रामदेव को समन करने में निष्पक्ष नहीं है, भले ही उनके पास पतंजलि में कोई पद नहीं है.

पीठ ने वकील से कहा, 'आप नोटिस का जवाब नहीं दे रहे थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी. आप हमारे आदेशों से कैसे प्रभावित हो सकते हैं?

न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा कि आदेश दर्ज किया गया है क्योंकि आखिरी मौके पर सामग्री थी और आदेश पारित होने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस थी और आप जवाब नहीं दे रहे थे. पीठ ने कहा, 'अदालत के आदेश के एक सप्ताह बाद आपत्ति जताते हुए एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया.'

रोहतगी ने कहा कि यह कई महीने पहले की बात है. पीठ ने कहा, 'हां यह महीनों पहले की बात है. रोहतगी ने कहा कि आखिरी आदेश नवंबर 2023 में नहीं फरवरी में था. न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि यह केवल कारण बताने के लिए नोटिस है और इसमें कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है और हमें इसे अगली तारीख पर लेने दें. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एलोपैथी दवा को बदनाम करने के लिए बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

27 फरवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न बीमारियों के इलाज के संबंध में पतंजलि के 'भ्रामक और झूठे' विज्ञापनों के खिलाफ निष्क्रियता के लिए केंद्र की खिंचाई की थी और पतंजलि को फिलहाल बीमारियों को ठीक करने का दावा करने वाले उत्पादों के विज्ञापन प्रकाशित करने से रोक दिया था. अदालत ने तब कंपनी और उसके एमडी आचार्य बालकृष्ण को कारण बताओ अवमानना नोटिस जारी करते हुए कहा था कि पूरे देश को धोखा दिया जा रहा है.

नवंबर 2023 में शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद को अपने उत्पादों द्वारा कई बीमारियों के इलाज के बारे में विज्ञापनों में 'झूठे' और 'भ्रामक' दावे करने के खिलाफ चेतावनी दी थी. सुनवाई के अंत में रोहतगी ने जोर देकर कहा कि इसका कोई कारण होना चाहिए. जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि हमने आदेश में इसका संकेत दिया है, जब इसे अपलोड किया जाए तो इसे पढ़ें और इसे दोहराने नहीं जा रहे हैं.

सुनवाई के अंत में रोहतगी ने जोर देकर कहा कि इसका कोई कारण होना चाहिए. जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि हमने आदेश में इसका संकेत दिया है, जब इसे अपलोड किया जाए तो इसे पढ़ें और इसे दोहराने नहीं जा रहे हैं. रोहतगी ने कहा कि उन्होंने आदेश सुना है. न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने उत्तर दिया कि आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और अगले मामले को सुनवाई के लिए बुलाया. रोहतगी ने जोर देकर कहा कि यह उचित नहीं है और आधिपत्य कुछ लेख का जिक्र कर रहा है जो सामने आया है, 'तो कृपया इसे इस क्रम में रखें कि आपने कुछ देखा है.'

ये भी पढ़ें- पतंजलि पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- देश को कर रहे गुमराह

नई दिल्ली: पतंजलि आयुर्वेद की ओर से आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कई बीमारियों के स्थायी इलाज का दावा करने वाले भ्रामक विज्ञापनों के मामले में बिना शर्त माफी मांगी है. शीर्ष अदालत ने अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने पर बाबा रामदेव और बालकृष्ण दोनों को 2 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था.

बालकृष्ण द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया, 'प्रतिवादी संख्या की ओर से गवाही देने वाला 5 (पतंजलि आयुर्वेद) इस अदालत के समक्ष बिना शर्त माफी मांगता है. अभिसाक्षी यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी नहीं किए जाएं.' बालकृष्ण ने तर्क दिया कि कंपनी का इरादा केवल देश के नागरिकों को पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों का उपयोग करके स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करना था, जिसमें आयुर्वेदिक अनुसंधान द्वारा पूरक और समर्थित सदियों पुराने साहित्य और सामग्रियों के उपयोग के माध्यम से जीवनशैली संबंधी बीमारियों के उत्पाद भी शामिल थे.

हलफनामे में विनम्रतापूर्वक कहा गया कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 की अनुसूची जे, ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1955 के साथ पढ़ी गई जो पुरानी स्थिति में है और अंतिम परिवर्तन 1966 में किए गए थे.'

बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि आयुर्वेद के पास अब आयुर्वेद में किए गए नैदानिक अनुसंधान के साथ साक्ष्य-आधारित वैज्ञानिक डेटा है, जो रोगों के संदर्भ में वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से हुई प्रगति को प्रदर्शित करेगा. गवाह की एकमात्र खोज प्रत्येक नागरिक के लिए बेहतर, स्वस्थ जीवन और आयुर्वेद और योग के सदियों पुराने पारंपरिक दृष्टिकोण का उपयोग करके जीवन शैली से संबंधित चिकित्सा जटिलताओं के लिए समग्र, साक्ष्य आधारित समाधान प्रदान करके देश के स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे पर बोझ को कम करना है.

शीर्ष अदालत ने 19 मार्च को पारित अपने आदेश में कहा, 'इसके अलावा 21 नवंबर 2023 को इस न्यायालय को दिए गए वचन के तहत प्रतिवादी नंबर 5 (पतंजलि) द्वारा जारी किए गए विज्ञापनों को देखने के बाद और यह देखने पर कि उक्त विज्ञापन बाबा रामदेव द्वारा किए गए समर्थन को दर्शाते हैं. यह बताने के लिए नोटिस जारी करना उचित समझा जाएगा कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए. ऐसा इसलिए क्योंकि इस न्यायालय की प्रथम दृष्टया राय है कि उन्होंने भी ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) की धारा 3 और 4 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है.

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कई बीमारियों के स्थायी इलाज का दावा करने वाले पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों पर बाबा रामदेव के खिलाफ अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने में विफल रहने पर अदालत में उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति के निर्देश दिए. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह केवल कारण बताने के लिए दिया गया नोटिस है और इसमें कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है.

पतंजलि आयुर्वेद का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ के समक्ष कहा कि उनके मुवक्किल को क्यों बुलाया जा रहा है. इसका कोई कारण नहीं बताया जा रहा है. हालांकि फरवरी में आखिरी अदालती सुनवाई के बाद से कुछ भी नहीं बदला है. रोहतगी ने कहा कि शीर्ष अदालत रामदेव को समन करने में निष्पक्ष नहीं है, भले ही उनके पास पतंजलि में कोई पद नहीं है.

पीठ ने वकील से कहा, 'आप नोटिस का जवाब नहीं दे रहे थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी. आप हमारे आदेशों से कैसे प्रभावित हो सकते हैं?

न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा कि आदेश दर्ज किया गया है क्योंकि आखिरी मौके पर सामग्री थी और आदेश पारित होने के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस थी और आप जवाब नहीं दे रहे थे. पीठ ने कहा, 'अदालत के आदेश के एक सप्ताह बाद आपत्ति जताते हुए एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया.'

रोहतगी ने कहा कि यह कई महीने पहले की बात है. पीठ ने कहा, 'हां यह महीनों पहले की बात है. रोहतगी ने कहा कि आखिरी आदेश नवंबर 2023 में नहीं फरवरी में था. न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि यह केवल कारण बताने के लिए नोटिस है और इसमें कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है और हमें इसे अगली तारीख पर लेने दें. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एलोपैथी दवा को बदनाम करने के लिए बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

27 फरवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न बीमारियों के इलाज के संबंध में पतंजलि के 'भ्रामक और झूठे' विज्ञापनों के खिलाफ निष्क्रियता के लिए केंद्र की खिंचाई की थी और पतंजलि को फिलहाल बीमारियों को ठीक करने का दावा करने वाले उत्पादों के विज्ञापन प्रकाशित करने से रोक दिया था. अदालत ने तब कंपनी और उसके एमडी आचार्य बालकृष्ण को कारण बताओ अवमानना नोटिस जारी करते हुए कहा था कि पूरे देश को धोखा दिया जा रहा है.

नवंबर 2023 में शीर्ष अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद को अपने उत्पादों द्वारा कई बीमारियों के इलाज के बारे में विज्ञापनों में 'झूठे' और 'भ्रामक' दावे करने के खिलाफ चेतावनी दी थी. सुनवाई के अंत में रोहतगी ने जोर देकर कहा कि इसका कोई कारण होना चाहिए. जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि हमने आदेश में इसका संकेत दिया है, जब इसे अपलोड किया जाए तो इसे पढ़ें और इसे दोहराने नहीं जा रहे हैं.

सुनवाई के अंत में रोहतगी ने जोर देकर कहा कि इसका कोई कारण होना चाहिए. जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि हमने आदेश में इसका संकेत दिया है, जब इसे अपलोड किया जाए तो इसे पढ़ें और इसे दोहराने नहीं जा रहे हैं. रोहतगी ने कहा कि उन्होंने आदेश सुना है. न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने उत्तर दिया कि आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और अगले मामले को सुनवाई के लिए बुलाया. रोहतगी ने जोर देकर कहा कि यह उचित नहीं है और आधिपत्य कुछ लेख का जिक्र कर रहा है जो सामने आया है, 'तो कृपया इसे इस क्रम में रखें कि आपने कुछ देखा है.'

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Last Updated : Mar 21, 2024, 11:21 AM IST
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