अमृतसर: सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त ने एक सर्कुलर जारी कर राज्य भर के गुरुद्वारों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि निशान साहिब का रंग बसंती या सुरमई हो. यह कदम सिख संगठनों से मिली शिकायतों के बाद उठाया गया है, जिसमें कहा गया था कि कई गुरुद्वारों में निशान साहिब को ढकने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़े का रंग बसंती के बजाय केसरी होना चाहिए.
इस बीच शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने कहा है कि सिख परंपरा के अनुसार निशान साहिब की पोशाक का रंग बसंती और सुरमई है. कमेटी ने कहा कि पंज सिंह साहबान द्वारा स्पष्ट किया गया कि सिख परंपरा के अनुसार निशान साहिब की पोशाक का रंग बसंती और सुरमई है और अब इसके लिए भगवा कलर का इस्तेमाल नहीं किए जाए.
इससे पहले कुछ लोगों ने इसकी शिकायत की थी. शिकायतकर्ताओं के अनुसार भगवा रंग हिंदू धर्म या सनातन धर्म को दर्शाता है, न कि सिख धर्म को. इसको लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सोमवार को उस फैसले को दोहराया है, जिसमें पंज सिंह साहबान ने स्पष्ट किया था कि सिख परंपरा के अनुसार निशान साहिब की पोशाक का रंग बसंती और सुरमई है.
किस रंग में देखे जाते हैं निशान साहिब
गौरतलब है कि वर्तमान में निशान साहिब को ज्यादातर केसरी (भगवा) रंग में देखा जाता है, जबकि अधिकांश गुरुद्वारों में केसरी रंग का निशान साहिब होता है. वहीं, निहंग समूहों और उनकी छावनी (छावनी) द्वारा प्रबंधित गुरुद्वारों में यह सुरमई रंग का होता है.
जुड़वां निशान साहिब झंडे, जो मीरी-पीरी (एक सिख अवधारणा जिसका अर्थ है धर्म और राजनीति एक साथ चलते हैं) की अवधारणा का प्रतीक हैं और स्वर्ण मंदिर परिसर में अकाल तख्त के पास झंडा बुंगा साहिब गुरुद्वारे में फहराए जाते हैं, उनका रंग भी भगवा है.
बता दें कि सिख समुदाय का एक वर्ग लंबे समय से यह दावा करता रहा है कि मौजूदा रंग खालसा (सिख समुदाय का मुख्य भाग) का मूल रंग नहीं है और इसे मर्यादा में वर्णित रंगों से बदला जाना चाहिए.
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