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NGT ने पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के लिए एमसीडी और डीजेबी पर 50 करोड़ रुपये का लगाया जुर्माना - NGT ON MCD AND DJB

-पर्यावरण नियमों के उल्लंघन पर दिल्ली नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड पर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा

एमसीडी और डीजेबी पर जुर्माना
एमसीडी और डीजेबी पर जुर्माना (File Photo)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 21, 2024, 9:04 PM IST

Updated : Nov 21, 2024, 9:17 PM IST

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने के मामले में दिल्ली नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड पर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड सीवेज से निकलने वाले कचरे को कुशक नाला के जरिये यमुना में जाने से रोकने में नाकाम रही. एनजीटी ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर नाले की कार्य क्षमता की शर्तों को बदला.

एनजीटी ने कहा कि पहले के बार-बार के आदेशों के बावजूद दिल्ली जब बोर्ड यमुना में नालों के जरिये सीवेज का कचरा रोकने में नाकाम रही. इससे यमुना नदी में प्रदूषण काफी बढ़ा. एनजीटी ने कहा कि सीवेज के कई नाले सीधे यमुना में कचरा डालते हैं, जिससे यमुना प्रदूषित होती है. एनजीटी ने कहा कि जल निकासी के लिए बने नालों में बरसात का पानी जाना चाहिए, ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं हो. सीवेज का पानी का भी यमुना में जाने से पहले प्लांट में ट्रीटमेंट होना चाहिए. बरसाती नालों में सीवेज का कचरा जाने से गंभीर जल प्रदूषण हुआ और इसे रोकने में दिल्ली जल बोर्ड पूरी तरह नाकाम हुई.

एनजीटी ने कहा कि दिल्ली नगर निगम ने कुशक नाले के ऊपर चार पार्किंग बनाकर ढक दिया. इससे स्थिति और खराब हो गई. कुशक नाले के ढांचे को ढकने के बाद उसकी सफाई की गुंजाइश खत्म हो गई. एनजीटी ने दिल्ली नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड पर 25-25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाते हुए दो महीने में भुगतान करने का आदेश दिया. जुर्माने की इस रकम का उपयोग केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली में पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई में खर्च करेगा.

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने के मामले में दिल्ली नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड पर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड सीवेज से निकलने वाले कचरे को कुशक नाला के जरिये यमुना में जाने से रोकने में नाकाम रही. एनजीटी ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर नाले की कार्य क्षमता की शर्तों को बदला.

एनजीटी ने कहा कि पहले के बार-बार के आदेशों के बावजूद दिल्ली जब बोर्ड यमुना में नालों के जरिये सीवेज का कचरा रोकने में नाकाम रही. इससे यमुना नदी में प्रदूषण काफी बढ़ा. एनजीटी ने कहा कि सीवेज के कई नाले सीधे यमुना में कचरा डालते हैं, जिससे यमुना प्रदूषित होती है. एनजीटी ने कहा कि जल निकासी के लिए बने नालों में बरसात का पानी जाना चाहिए, ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं हो. सीवेज का पानी का भी यमुना में जाने से पहले प्लांट में ट्रीटमेंट होना चाहिए. बरसाती नालों में सीवेज का कचरा जाने से गंभीर जल प्रदूषण हुआ और इसे रोकने में दिल्ली जल बोर्ड पूरी तरह नाकाम हुई.

एनजीटी ने कहा कि दिल्ली नगर निगम ने कुशक नाले के ऊपर चार पार्किंग बनाकर ढक दिया. इससे स्थिति और खराब हो गई. कुशक नाले के ढांचे को ढकने के बाद उसकी सफाई की गुंजाइश खत्म हो गई. एनजीटी ने दिल्ली नगर निगम और दिल्ली जल बोर्ड पर 25-25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाते हुए दो महीने में भुगतान करने का आदेश दिया. जुर्माने की इस रकम का उपयोग केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली में पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई में खर्च करेगा.

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Last Updated : Nov 21, 2024, 9:17 PM IST
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