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NewsClick के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को सुप्रीम राहत, कोर्ट ने दिए रिहाई के आदेश - Supreme Court News - SUPREME COURT NEWS

न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत ने उन्हें रिहा करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत उनकी गिरफ्तारी अमान्य है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (फोटो- ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 15, 2024, 12:49 PM IST

Updated : May 15, 2024, 1:12 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत एक मामले में अमान्य थी.

न्यायमूर्ति बी आर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि 'इस निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि रिमांड आवेदन की एक प्रति, गिरफ्तारी के आधार की लिखित सूचना, 4 अक्टूबर, 2023 के रिमांड आदेश के पारित होने से पहले आरोपी-अपीलकर्ता या उसके वकील को प्रदान नहीं की गई थी. शीर्ष अदालत के समक्ष प्रबीर का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने किया.

पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि इससे अपीलकर्ता की गिरफ्तारी और उसके बाद की रिमांड प्रभावित होगी. पीठ ने कहा कि 'अपीलकर्ता पंकज बंसल मामले में इस अदालत द्वारा दिए गए फैसले को लागू करके हिरासत से रिहाई के निर्देश का हकदार है.' दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में गिरफ्तारी और उसके बाद पुलिस रिमांड के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी.

उन्हें दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 3 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. एफआईआर के अनुसार, समाचार पोर्टल को भारी धनराशि कथित तौर पर 'भारत की संप्रभुता को बाधित करने' और देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए चीन से आई थी.

यह भी आरोप लगाया गया कि पुरकायस्थ ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए एक समूह - पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म (पीएडीएस) के साथ साजिश रची थी.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत एक मामले में अमान्य थी.

न्यायमूर्ति बी आर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि 'इस निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि रिमांड आवेदन की एक प्रति, गिरफ्तारी के आधार की लिखित सूचना, 4 अक्टूबर, 2023 के रिमांड आदेश के पारित होने से पहले आरोपी-अपीलकर्ता या उसके वकील को प्रदान नहीं की गई थी. शीर्ष अदालत के समक्ष प्रबीर का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने किया.

पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि इससे अपीलकर्ता की गिरफ्तारी और उसके बाद की रिमांड प्रभावित होगी. पीठ ने कहा कि 'अपीलकर्ता पंकज बंसल मामले में इस अदालत द्वारा दिए गए फैसले को लागू करके हिरासत से रिहाई के निर्देश का हकदार है.' दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले में गिरफ्तारी और उसके बाद पुलिस रिमांड के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी थी.

उन्हें दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 3 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. एफआईआर के अनुसार, समाचार पोर्टल को भारी धनराशि कथित तौर पर 'भारत की संप्रभुता को बाधित करने' और देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए चीन से आई थी.

यह भी आरोप लगाया गया कि पुरकायस्थ ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए एक समूह - पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म (पीएडीएस) के साथ साजिश रची थी.

Last Updated : May 15, 2024, 1:12 PM IST
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