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एमपी के बाद दूसरे राज्यों में होगा प्रोजेक्ट चीता का विस्तार, हाउसफुल हुआ कूनो, एक्सपर्ट से जानिये पूरा प्लान

'प्रोजेक्ट चीता' को भारत सरकार दूसरे राज्यों में बढ़ाने का मन बना रही है, इसलिए कई राज्यों के संरक्षित क्षेत्रों का अध्ययन हो रहा है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 10, 2024, 5:33 PM IST

देहरादून: भारत में करीब 8 दशकों बाद चीता की वापसी हुई है. ये शिकारी वन्यजीव की वो प्रजाति है, जो भारत में विलुप्त हो चुकी थी, लेकिन साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर चीतों के संरक्षण का फैसला लिया गया और विशेषज्ञों के अध्ययन के साथ-साथ दूसरे देशों से चीतों को भारत लाने की शुरुआत हुई. ऐसे में अब प्रोजेक्ट चीता की सफलता के लिए राजस्थान और दूसरे कई राज्यों में चीतों के आशियानें स्थापित करने की तैयारी चल रही है.

प्रोजेक्ट चीता की मौजूदा स्थिति: प्रोजेक्ट चीता की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन यानी 17 सितंबर से की गई. इसके तहत 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीते लाए गए. जिन्हें मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया. इसके बाद फरवरी 2023 में साउथ अफ्रीका से 12 चीते दूसरी खेप में लाए गए. इस तरह कूनो नेशनल पार्क में कुल 20 चीते लाए जा चुके हैं. हालांकि भारत ले जाने के बाद इन 20 चीतों में 8 की मौत हो गई. पिछले 2 साल के दौरान कूनो में 17 शावकों ने जन्म लिया, जिसमें से 5 शावक सर्वाइव नहीं कर पाए और उनकी मौत हो गई. इस तरह 12 शावक ही कूनो में मौजूद हैं. चीतों के कई कारणों से मरने की वजह से इन्हें बाड़ों में रखा गया है, ताकि चिकित्सकों की देखरेख में इनको संरक्षित किया जा सके.

एमपी के बाद दूसरे राज्यों होगा प्रोजेक्ट चीता का विस्तार (video-ETV Bharat)

गांधी सागर सेंचुरी में चीतों को लाने की तैयारी:'प्रोजेक्ट चीता' की शुरुआत कूनो नेशनल पार्क से की गई थी. अब दूसरी जगहों पर भी विस्तार किया जा रहा है. कूनो के बाद अब मध्यप्रदेश के ही गांधी सागर सेंचुरी में चीतों को लाने की तैयारी है, जिसके लिए विशेषज्ञों के अध्ययन के बाद करीब 80 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में फेंसिंग की गई है. अध्ययन के दौरान राजस्थान की सीमा से सटे गांधी सागर सेंचुरी को चीतों के लिए बेहतर माना गया है.

राजस्थान और दूसरे राज्यों में बनेगा चीतों का आशियाना: भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर कमर कुरैशी ने बताया कि मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान और फिर बाकी कुछ राज्यों में भी प्रोजेक्ट चीता को बढ़ाने की तैयारी है. हालांकि कूनो और गांधी सागर सेंचुरी में ही इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह लाने में करीब 15 साल साल लग जाएंगे. उन्होंने कहा कि दूसरे कुछ राज्यों के संरक्षित क्षेत्रों में भी चीतों को लाने का प्रयास है, जिसके लिए फिलहाल बाकी जगह का अध्ययन किया जा रहा है.

प्रोजेक्ट चीता की सफलता के लिए कम से कम 50 चीतों की जरूरत: भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर कमर कुरैशी ने बताया कि प्रोजेक्ट चीता को सफल बनाने के लिए कम से कम 50 चीतों को ट्रांसलोकेट करना होगा, इसीलिए मध्य प्रदेश, राजस्थान के अलावा दूसरे राज्यों में भी चीतों के लिए मुफीद जगहों को तलाशा जा रहा है. फिलहाल कूनो नेशनल पार्क से 20 चीतों के साथ इसकी शुरुआत की गई है, जबकि इसके बाद बाकी जगह पर भी धीरे-धीरे इस संख्या को दूसरे देशों से लाकर बढ़ाया जाएगा. उन्होंने कहा कि अभी इस प्रोजेक्ट को 17 सितंबर 2024 के दिन 2 साल पूरे हुए हैं और इन दो सालों में प्रोजेक्ट चीता कई बार लड़खड़ा चुका है.

चीतों की संख्या के लिहाज से हाउसफुल हुआ कूनो: कूनो नेशनल पार्क में इस समय 24 चीते मौजूद हैं. इसमें 12 बड़े चीते और 12 शावक मौजूद हैं. कूनो नेशनल पार्क में 3200 वर्ग किलोमीटर का जंगल मौजूद है, जबकि वैज्ञानिक मानते हैं कि हर चीते को करीब 50 किलोमीटर का क्षेत्र विचरण के लिए जरूरी होता है. ऐसे में कूनो नेशनल पार्क के लिए केयरिंग कैपेसिटी का पैमाना 20 से 21 चीतों का रखा गया है, जबकि कूनो में अब 24 चीते हो चुके हैं. संख्या के लिहाज से आने वाले समय में चीतों की इतनी ही संख्या कूनो में रह सकती है. ऐसे में गांधी सागर सेंचुरी को चीतों के लिए तैयार किया जा रहा है. हालांकि गांधी सागर सेंचुरी में विदेश से ही 3 से 5 चीते लाने पर विचार चल रहा है. इस संबंध में नामीबिया, साउथ अफ्रीका और कीनिया से भी भारत सरकार बातचीत कर रही है.

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प्रोजेक्ट चीता की मौजूदा स्थिति: प्रोजेक्ट चीता की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन यानी 17 सितंबर से की गई. इसके तहत 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीते लाए गए. जिन्हें मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया. इसके बाद फरवरी 2023 में साउथ अफ्रीका से 12 चीते दूसरी खेप में लाए गए. इस तरह कूनो नेशनल पार्क में कुल 20 चीते लाए जा चुके हैं. हालांकि भारत ले जाने के बाद इन 20 चीतों में 8 की मौत हो गई. पिछले 2 साल के दौरान कूनो में 17 शावकों ने जन्म लिया, जिसमें से 5 शावक सर्वाइव नहीं कर पाए और उनकी मौत हो गई. इस तरह 12 शावक ही कूनो में मौजूद हैं. चीतों के कई कारणों से मरने की वजह से इन्हें बाड़ों में रखा गया है, ताकि चिकित्सकों की देखरेख में इनको संरक्षित किया जा सके.

एमपी के बाद दूसरे राज्यों होगा प्रोजेक्ट चीता का विस्तार (video-ETV Bharat)

गांधी सागर सेंचुरी में चीतों को लाने की तैयारी:'प्रोजेक्ट चीता' की शुरुआत कूनो नेशनल पार्क से की गई थी. अब दूसरी जगहों पर भी विस्तार किया जा रहा है. कूनो के बाद अब मध्यप्रदेश के ही गांधी सागर सेंचुरी में चीतों को लाने की तैयारी है, जिसके लिए विशेषज्ञों के अध्ययन के बाद करीब 80 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में फेंसिंग की गई है. अध्ययन के दौरान राजस्थान की सीमा से सटे गांधी सागर सेंचुरी को चीतों के लिए बेहतर माना गया है.

राजस्थान और दूसरे राज्यों में बनेगा चीतों का आशियाना: भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर कमर कुरैशी ने बताया कि मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान और फिर बाकी कुछ राज्यों में भी प्रोजेक्ट चीता को बढ़ाने की तैयारी है. हालांकि कूनो और गांधी सागर सेंचुरी में ही इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह लाने में करीब 15 साल साल लग जाएंगे. उन्होंने कहा कि दूसरे कुछ राज्यों के संरक्षित क्षेत्रों में भी चीतों को लाने का प्रयास है, जिसके लिए फिलहाल बाकी जगह का अध्ययन किया जा रहा है.

प्रोजेक्ट चीता की सफलता के लिए कम से कम 50 चीतों की जरूरत: भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर कमर कुरैशी ने बताया कि प्रोजेक्ट चीता को सफल बनाने के लिए कम से कम 50 चीतों को ट्रांसलोकेट करना होगा, इसीलिए मध्य प्रदेश, राजस्थान के अलावा दूसरे राज्यों में भी चीतों के लिए मुफीद जगहों को तलाशा जा रहा है. फिलहाल कूनो नेशनल पार्क से 20 चीतों के साथ इसकी शुरुआत की गई है, जबकि इसके बाद बाकी जगह पर भी धीरे-धीरे इस संख्या को दूसरे देशों से लाकर बढ़ाया जाएगा. उन्होंने कहा कि अभी इस प्रोजेक्ट को 17 सितंबर 2024 के दिन 2 साल पूरे हुए हैं और इन दो सालों में प्रोजेक्ट चीता कई बार लड़खड़ा चुका है.

चीतों की संख्या के लिहाज से हाउसफुल हुआ कूनो: कूनो नेशनल पार्क में इस समय 24 चीते मौजूद हैं. इसमें 12 बड़े चीते और 12 शावक मौजूद हैं. कूनो नेशनल पार्क में 3200 वर्ग किलोमीटर का जंगल मौजूद है, जबकि वैज्ञानिक मानते हैं कि हर चीते को करीब 50 किलोमीटर का क्षेत्र विचरण के लिए जरूरी होता है. ऐसे में कूनो नेशनल पार्क के लिए केयरिंग कैपेसिटी का पैमाना 20 से 21 चीतों का रखा गया है, जबकि कूनो में अब 24 चीते हो चुके हैं. संख्या के लिहाज से आने वाले समय में चीतों की इतनी ही संख्या कूनो में रह सकती है. ऐसे में गांधी सागर सेंचुरी को चीतों के लिए तैयार किया जा रहा है. हालांकि गांधी सागर सेंचुरी में विदेश से ही 3 से 5 चीते लाने पर विचार चल रहा है. इस संबंध में नामीबिया, साउथ अफ्रीका और कीनिया से भी भारत सरकार बातचीत कर रही है.

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