देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड विधानसभा में आज समान नागरिक कानून विधेयक पेश कर दिया गया है. विपक्ष के हंगामे के बीच सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बिल पेश किया. यूनिफॉर्म सिविल कोड 2024 लागू होने के बाद उत्तराखंड में लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगलों को वेब पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगलों को वेब पोर्टल में पंजीकरण के बाद रसीद मिलेगी, उसके बाद ही वो घर या अन्य जगह रह सकते हैं. रजिस्ट्रार को रजिस्ट्रेशन की रसीद और पंजीकरण कराने वाले युगलों की सूचना उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी.
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी विधेयक पेश कर दिया है. वहीं यूसीसी में लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युवाओं के लिए रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता की शर्त रखी गई है. लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगलों को वेब पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगलों को वेब पोर्टल में पंजीकरण के बाद रसीद मिलेगी. लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगलों को रजिस्ट्रेशन के बाद रजिस्ट्रार द्वारा पंजीकरण की रसीद दी जाएगी.
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उसके बाद ही वो घर या पीजी में साथ रह सकते हैं. समान नागरिक कानून के मुताबिक लिव इन रिलेशनशिप में दोनों व्यस्क महिला और पुरुष ही रह सकते हैं. यूसीसी के अनुसार दोनों युगलों को लिव इन रिलेशनशिप में रहने से पहले विवाहित व किसी अन्य के साथ इस रिलेशनशिप और प्रोहिबिटेड डिग्री ऑफ रिलेशनशिप में नहीं होने चाहिए. वहीं रजिस्ट्रार को रजिस्ट्रेशन की रसीद और पंजीकरण कराने वाले युगलों की सूचना उनके माता-पिता या अभिभावक को देनी होगी.
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वहीं लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगलों की कोई संतान पैदा होती है तो उसे जायज बच्चा माना जाएगा और बच्चे पर दोनों का समान अधिकार होगा. वहीं इस रिलेशनशिप में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को संबंध विच्छेद का रजिस्ट्रेशन कराना भी आवश्यक होगा. वहीं पंजीकरण नहीं कराने पर युगलों को छह महीने का कारावास और 25 हजार का अर्थदंड या दोनों हो सकता है.
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए ये जरूरी-
- राज्य में जो भी कपल लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं, चाहे वो उत्तराखंड के निवासी हों या नहीं, उनको अपने अधिकार क्षेत्र के रजिस्ट्रार को सेक्शन 381 के क्लॉज (1) के तहत लिव-इन रिलेशनशिप का विवरण प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा.
- राज्य के क्षेत्र के बाहर अगर उत्तराखंड का कोई भी निवासी लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है तो वो 381 की उपधारा (1) के तहत लिव-इन रिलेशनशिप का विवरण उस रजिस्ट्रार को प्रस्तुत कर सकता है जिसके अधिकार क्षेत्र का निवासी है.
- लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुआ कोई भी बच्चा दंपति का वैध बच्चा मान्य होगा.
लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण के लिए नोटिस- अगर लिव-इन रिलेशनशिप का कोई भी साथी ऐसे रिश्ते का विवरण प्रस्तुत करने में विफल रहा है तो रजिस्ट्रार, या तो स्वयं या या शिकायत मिलने पर, इस संबंध में ऐसे भागीदारों को नोटिस जारी करेगा. नोटिस मिलने की तारीख से 30 दिनों के अंदर निर्धारित तरीके से रजिस्ट्रार के समक्ष एक बयान प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी.
लिव-इन रिलेशनशिप ऐसी स्थिति में पंजीकृत नहीं किया जाएगा-
- जहां कम से कम एक व्यक्ति विवाहित है या पहले से ही लिव-इन रिलेशनशिप में है.
- जहां कम से कम एक व्यक्ति नाबालिग है.
- जहां किसी एक साथी की सहमति बलपूर्वक, जबरदस्ती, अनुचित प्रभाव, गलत बयानी या धोखाधड़ी से प्राप्त की गई हो.
अगर महिला लिव-इन पार्टनर को पुरुष छोड़ दे? यदि किसी महिला को उसके लिव-इन पार्टनर छोड़ देता है, तो वो अपने लिव-इन पार्टनर से भरण-पोषण के दावे की हकदार होगी. इसके लिए महिला को उस न्यायालय में अपना पक्ष प्रस्तुत करना होगा जिसके अधिकार क्षेत्र में उन्होंने अंतिम बार साथ में निवास किया है. ऐसे मामलों में इस संहिता के भाग-1 के अध्याय-5 में निहित प्रावधान यथोचित परिवर्तनों के साथ लागू होंगे.
लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की प्रक्रिया-
- लिव-इन रिलेशनशिप में शामिल होने का इरादा रखने वाले व्यक्ति को संबंधित रजिस्ट्रार के सामने अपने लिव-इन रिलेशनशिप का एक विवरण प्रस्तुत करना होगा.
- प्रस्तुत किए गए लिव-इन रिलेशनशिप के विवरण की सामग्री की जांच रजिस्ट्रार करेगा.
- उप-धारा (2) के तहत जांच करने में, रजिस्ट्रार निर्धारित तरीके से सत्यापन के लिए भागीदार व्यक्तियों या किसी अन्य व्यक्ति को बुला सकता है और अगर जरूरी हो तो भागीदारों से ज्यादा जानकारी या सबूत प्रदान करने को कह सकता है.
- इस जांच के बाद रजिस्ट्रार उप-धारा (1) के तहत लिव-इन रिलेशनशिप रजिस्ट्रेशन की प्राप्ति के तीस दिन के अंदर लिव-इन रिलेशनशिप को पंजीकृत करने के लिए निर्धारित रजिस्टर में उनका रिकॉर्ड दर्ज कर भागीदार व्यक्तियों को एक पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी कर सकता है या रजिस्ट्रेशन करने से इंकार कर देगा जिसको लेकर रजिस्ट्रार भागीदार व्यक्तियों को इनकार के कारणों को लिखित रूप में सूचित करेगा.
- लिव-इन रिलेशनशिप के संबंध में पंजीकरण केवल रिकॉर्ड के प्रयोजनों के लिए होगा.
रजिस्ट्रार का सशक्तिकरण, और रजिस्टरों का रखरखाव-
- राज्य सरकार, नियुक्त रजिस्ट्रार को रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करने के लिए सशक्त कर सकती है.
- रजिस्ट्रार लिव-इन रिश्तों के बयानों और लिव-इन रिश्तों की समाप्ति के बयानों और ऐसे अन्य रजिस्टरों के लिए रजिस्टर बनाएगा और ऐसे तरीके से जैसा निर्धारित किया जा सकता है.
जब खत्म करना हो लिव-इन रिलेशनशिप-
- अगर लिव-इन रिलेशनशिप कपल अपने रिश्ते को समाप्त करना चाहे तो लिव-इन रिलेशनशिप के दोनों साथी, या उनमें से कोई भी, इसे समाप्त कर सकता है. इसके साथ ही निर्धारित प्रारूप और निर्धारित तरीके से रजिस्ट्रार को रिश्ता समाप्ति का विवरण प्रस्तुत कर सकता है.
- अगर कपल में से केवल एक ही लिव-इन रिलेशनशिप को समाप्त करता है तो ऐसे बयान की एक प्रति दूसरे साथी को प्रदान करनी होगी. इसके लिए धारा 384 के तहत रजिस्ट्रार दूसरे साथी को ऐसे बयान के बारे में सूचित करेगा.
रजिस्ट्रार का कार्य-
- धारा 381 की उप-धारा (1) के तहत रजिस्ट्रार को दिया लिव-इन रिलेशनशिप का कोई भी बयान रजिस्ट्रार द्वारा रिकॉर्ड के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को भेजा जाएगा. यदि कपल में से कोई भी इक्कीस वर्ष की आयु से कम है तो ऐसे में संबंधित को माता-पिता या अभिभावकों को भी रजिस्ट्रार द्वारा सूचित किया जाएगा.
- अगर रजिस्ट्रार इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि उनको दी गई बयान की सामग्री गलत या संदिग्ध है, तो वह उचित कार्रवाई के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को सूचित करेंगे.
- लिव-इन रिलेशनशिप में अगर एक साथी धारा 384 के तहत रिलेशन समाप्त करना चाहता है तो रजिस्ट्रार दूसरे साथी को ऐसे बयान के बारे में सूचित करेगा, और यदि दोनों भागीदारों में से कोई भी इक्कीस वर्ष से कम का है तो रजिस्ट्रार द्वारा संबंधित के माता-पिता या अभिभावकों को भी सूचना देनी होगी.
ये रहेगा अपराध और सजा का प्रावधान- जो कोई भी धारा 381 की उप-धारा (1) के तहत ऐसे रिश्ते का विवरण प्रस्तुत किए बिना ऐसे रिश्ते में प्रवेश करने की तारीख से एक महीने से अधिक समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है, उसे न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दोषी ठहराए जाने पर दंडित किया जाएगा. दोषी को तीन महीने तक की कैद या दस हजार रुपये का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है.
कोई भी व्यक्ति जो धारा 381 की उपधारा (1) के तहत प्रस्तुत लिव-इन रिलेशनशिप के बयान में कोई ऐसा दावा करता है जो गलत है या कोई बात या तत्थ छुपाता है जो रजिस्ट्रार के पंजीकरण के निर्णय को प्रभावित कर सकते हैं, ऐसे व्यक्ति को तीन महीने तक की अवधि के लिए कारावास या पच्चीस हजार रुपये का जुर्माना या दोनों. वहीं, लिव-इन रिलेशनशिप का कोई भी भागीदार जो धारा 386 के तहत नोटिस मिलने के बाद भी अपने बयान प्रस्तुत करने में विफल रहता है, उसे न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दोषसिद्धि पर छह महीने तक के लिए कारावास से दंडित किया जा सकता है या एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों.