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जबलपुर के कई इलाकों का बदलने जा रहा नाम, नामकरण से पहले जान लें पुराने नामों की रोचक कहानी

राइट टाउन से नेपियर टाउन तक 10 से ज्यादा जगहों के बदलेंगे नाम, अंग्रेजों ने दिए थे ये सभी नाम.

JABALPUR AREAS NAME CHANGE
जल्द बदलेंगे जबलपुर के कई इलाकों के नाम (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 12 hours ago

जबलपुर : मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में कई इलाकों के नाम आज भी अंग्रेजों के जमाने के हैं. आजादी के पहले अंग्रेजों ने जो नाम शहर के प्रमुख इलाकों को दिए थे मौजूदा सरकार उन्हों बदलना चाहती है. नगर निगम जबलपुर इन्हें बदलकर भारतीय महापुरुषों के नाम पर करना चाहता है. हालांकि, नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि यदि आधे शहर के मोहल्लों के नाम बदले गए तो लोगों को जरूरी कागजातों में अपने एड्रेस भी बदलवाने पड़ेंगे, जिससे जनता को समस्या का सामना करना पड़ेगा.

Nagar nigam jabalpur name change plan
नगर निगम ने जनता से मांगे सुझाव (Etv Bharat)

गोंडवाना और ब्रिटिशकाल का असर

जबलपुर शहर अलग-अलग समय में अलग-अलग लोगों द्वारा बसाया गया. शुरुआती शहर गोंडवाना काल में बसा इसलिए शहर के ज्यादातर इलाकों के नाम गोंड राजाओं या उनके परिवार के नाम पर हैं. लेकिन जबलपुर का विस्तार अंग्रेजों के आने के बाद हुआ. उन्होंने इस पुराने गांव को शहर की शक्ल दी. अंग्रेजों ने जिन नए इलाकों को विकसित किया उनके नाम भी उन्होंने अपने नाम पर ही रखे इसलिए आज भी जबलपुर में शहर के कई मुख्य हिससों के नाम अंग्रेजों के नाम पर हैं.

Jabalpur right town
राइट टाउन (Etv Bharat)

नेपियर टाउन

शहर का हृदय स्थल नेपियर टाउन का नाम एलन बर्टर नेपियर के नाम पर रखा गया था. एलेन बर्नर नेपियर 1912 में जबलपुर के डिप्टी कमिश्नर रहे. उनके नाम पर इस इलाके को नेपियर टाउन कहा जाने लगा.

राइट टाउन

अंग्रेजों के समय जबलपुर में राजा गोकुलदास का शासन था. राजा गोकुल दास की की एक फैक्ट्री थी, जिसमें आर्थर राइट काम किया करते थे. उन्हीं के नाम पर जबलपुर के राइट टाउन का नाम रखा गया.

इन जगहों के नाम अंग्रेजों के नाम पर रखे

जबलपुर का एक मोहल्ला उपरैनगंज के नाम से जाना जाता है. 1817 में मेजर ओब्रायन ने मराठों से जबलपुर छीन लिया था. उन्हीं के नाम पर ओब्रायन गंज रखा गया था. जो बोलचाल में उपरैन गंज हो गया. डब्लू निम्हाई के नाम पर निवाड़ गंज, लॉर्ड विलियम बेंटिक के नाम पर लॉर्डगंज नाम हुआ. वहीं जबलपुर के पहले कमिश्नर सीए मिलोनी बने, जिनके नाम पर मिलौनीगंज बना. इतना ही नहीं मेजर जनरल मेकाडम के नाम पर मुकादमगंज बना गया. ऐसी ही शहर के प्रसिद्ध रसल चौक का नाम ईएल रसल के नाम पर रखा गया.

सत्ता पक्ष करेगा नामकरण विपक्ष कर रहा विरोध (Etv Bharat)

जनता से मांगे जा रहे हैं सुझाव

जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नु कहते हैं, '' अंग्रेजों के दिए हुए नाम हमें गुलामी की याद दिलाते हैं. इसलिए हम इन इलाकों के नाम बदल रहे हैं और जनता से सुझाव मांग रहे हैं कि वे भारत के महापुरुषों के नाम पर नाम के सुझाव दें. नगर निगम एक-एक करके अंग्रेजों के दिए सभी नाम बदलना चाहती है.''

jabalpur places name history
अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कई नाम (Etv Bharat)

गुलामी का प्रतीक

जबलपुर राइट टाउन इलाके में रहने वाले भाजपा नेता राघवेंद्र यादव कहते हैं, '' भारत में महापुरुषों की कमी नहीं है फिर हम क्यों अंग्रेजों के नाम जारी रखें? इन मोहल्लों के नाम महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद जैसे महापुरुषों के नाम पर रखे जाने चाहिए.''

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नाम बदलने से खड़ी होगी समस्या

नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष अमरीश मिश्रा इसके पक्ष में नजर नहीं आते. वे कहते हैं, '' नाम बदलने की प्रक्रिया से शहर का विकास नहीं होगा बल्कि इससे आम जनता परेशान हो जाएगी. क्योंकि इन इलाकों में बीते डेढ़ सौ सालों से यही नाम चले आ रहे हैं. इसलिए सभी के पते रजिस्ट्री कागजात इन्हीं नाम पर हैं. यदि यह नाम बदलते हैं तो इन इलाकों में रहने वाले लाखों लोगों को आधार कार्ड, बैंक पासपोर्ट जैसे दस्तावेजों में अपने पते बदलवाने पड़ेंगे. इसकी वजह से आम जनता को बहुत परेशानी होगी.''

जबलपुर : मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में कई इलाकों के नाम आज भी अंग्रेजों के जमाने के हैं. आजादी के पहले अंग्रेजों ने जो नाम शहर के प्रमुख इलाकों को दिए थे मौजूदा सरकार उन्हों बदलना चाहती है. नगर निगम जबलपुर इन्हें बदलकर भारतीय महापुरुषों के नाम पर करना चाहता है. हालांकि, नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि यदि आधे शहर के मोहल्लों के नाम बदले गए तो लोगों को जरूरी कागजातों में अपने एड्रेस भी बदलवाने पड़ेंगे, जिससे जनता को समस्या का सामना करना पड़ेगा.

Nagar nigam jabalpur name change plan
नगर निगम ने जनता से मांगे सुझाव (Etv Bharat)

गोंडवाना और ब्रिटिशकाल का असर

जबलपुर शहर अलग-अलग समय में अलग-अलग लोगों द्वारा बसाया गया. शुरुआती शहर गोंडवाना काल में बसा इसलिए शहर के ज्यादातर इलाकों के नाम गोंड राजाओं या उनके परिवार के नाम पर हैं. लेकिन जबलपुर का विस्तार अंग्रेजों के आने के बाद हुआ. उन्होंने इस पुराने गांव को शहर की शक्ल दी. अंग्रेजों ने जिन नए इलाकों को विकसित किया उनके नाम भी उन्होंने अपने नाम पर ही रखे इसलिए आज भी जबलपुर में शहर के कई मुख्य हिससों के नाम अंग्रेजों के नाम पर हैं.

Jabalpur right town
राइट टाउन (Etv Bharat)

नेपियर टाउन

शहर का हृदय स्थल नेपियर टाउन का नाम एलन बर्टर नेपियर के नाम पर रखा गया था. एलेन बर्नर नेपियर 1912 में जबलपुर के डिप्टी कमिश्नर रहे. उनके नाम पर इस इलाके को नेपियर टाउन कहा जाने लगा.

राइट टाउन

अंग्रेजों के समय जबलपुर में राजा गोकुलदास का शासन था. राजा गोकुल दास की की एक फैक्ट्री थी, जिसमें आर्थर राइट काम किया करते थे. उन्हीं के नाम पर जबलपुर के राइट टाउन का नाम रखा गया.

इन जगहों के नाम अंग्रेजों के नाम पर रखे

जबलपुर का एक मोहल्ला उपरैनगंज के नाम से जाना जाता है. 1817 में मेजर ओब्रायन ने मराठों से जबलपुर छीन लिया था. उन्हीं के नाम पर ओब्रायन गंज रखा गया था. जो बोलचाल में उपरैन गंज हो गया. डब्लू निम्हाई के नाम पर निवाड़ गंज, लॉर्ड विलियम बेंटिक के नाम पर लॉर्डगंज नाम हुआ. वहीं जबलपुर के पहले कमिश्नर सीए मिलोनी बने, जिनके नाम पर मिलौनीगंज बना. इतना ही नहीं मेजर जनरल मेकाडम के नाम पर मुकादमगंज बना गया. ऐसी ही शहर के प्रसिद्ध रसल चौक का नाम ईएल रसल के नाम पर रखा गया.

सत्ता पक्ष करेगा नामकरण विपक्ष कर रहा विरोध (Etv Bharat)

जनता से मांगे जा रहे हैं सुझाव

जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नु कहते हैं, '' अंग्रेजों के दिए हुए नाम हमें गुलामी की याद दिलाते हैं. इसलिए हम इन इलाकों के नाम बदल रहे हैं और जनता से सुझाव मांग रहे हैं कि वे भारत के महापुरुषों के नाम पर नाम के सुझाव दें. नगर निगम एक-एक करके अंग्रेजों के दिए सभी नाम बदलना चाहती है.''

jabalpur places name history
अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कई नाम (Etv Bharat)

गुलामी का प्रतीक

जबलपुर राइट टाउन इलाके में रहने वाले भाजपा नेता राघवेंद्र यादव कहते हैं, '' भारत में महापुरुषों की कमी नहीं है फिर हम क्यों अंग्रेजों के नाम जारी रखें? इन मोहल्लों के नाम महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद जैसे महापुरुषों के नाम पर रखे जाने चाहिए.''

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