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सेममुखेम का 'जादुई' पत्थर! चमत्कार या विज्ञान? रहस्य से उठेगा पर्दा, क्लिक कर पढ़ें - Magic stone at Sem Mukhem

mysterious Stone at Sem Mukhem In Uttarakhand टिहरी जिले में सेममुखेम नागराजा मंदिर स्थित है. माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्‍ण ने यहां नागराजा के रूप में दर्शन दिए थे. यहीं पर एक आश्चर्यजनक विशाल पत्थर भी है जिसे लोग आस्था के रूप में पूजते भी हैं.

huge Stone at Sem Mukhem In Uttarakhand
उत्तराखंड के सेममुखेम में 'जादुई' पत्थर (PHOTO-ETV Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 26, 2024, 7:30 PM IST

Updated : Aug 26, 2024, 8:13 PM IST

सेममुखेम का 'जादुई' पत्थर (VIDEO-ETV Bharat)

टिहरी (उत्तराखंड): टिहरी जिले के प्रतापनगर के अंतर्गत सेममुखेम की ऊंची पहाड़ियों के बीच भगवान श्रीकृष्ण नागराज के स्वरूप में विराजमान हैं. मंदिर से आगे चलकर डुगडुगी धार में एक आश्चर्यजनक पत्थर है, जो शरीर का बल लगाने से नहीं हिलता है, लेकिन कनिष्ठा (सबसे छोटी) उंगली के स्पर्श से ही पत्थर हिलने लगता है. कई लोग इसे आस्था से जोड़ते हैं. जबकि विज्ञान इसे दूसरे रूप में देखते हैं.

टिहरी जिले में स्थित सेममुखेम नाम से जाने जाना वाला मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है. मान्यता है कि द्वापर युग में कालिंदी नदी में जब बाल स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण गेंद लेने उतरे तो उन्होंने कालिया नाग को इस नदी से सेममुखेम जाने को कहा. तब काल नाग ने भगवान श्रीकृष्ण से सेममुखेम आकर दर्शन देने की इच्छा जाहिर की. कहते हैं इस वचन को पूरा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका छोड़कर उत्तराखंड के रमोला गढ़ी में आकर स्थापित हो गए. जो आज सेममुखेम नागराजा मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण के अध्याय नंबर 6 के केदारखंड में उल्लेखित है.

भक्त करते हैं पत्थर की पूजा: यही कारण है कि सेममुखेम मंदिर में देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. इसी मंदिर से एक किलोमीटर की दूरी पर डुगडुगी धार स्थान है, जहां पर एक आश्चर्यजनक पत्थर भी मौजूद है. इस पत्थर की खासियत यह है कि इस पत्थर पर पूरी ताकत लगाओ तो हिलता नहीं है. लेकिन हाथ की छोटी उंगली से हल्के से स्पर्श से पत्थर हिलने लगता है. जो भी श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा पाठ करने आता है, वह इस दुर्लभ पत्थर को देखने जरूर पहुंचता है.

mysterious Stone at Sem Mukhem In Uttarakhand
भूवैज्ञानिक बीड़ी जोशी ने बताया पत्थर के हिलने का साइंटिफिक रीजन (PHOTO-ETV Bharat Graphics)

ऐसे पहुंचे मंदिर व पत्थर तक: इस पत्थर तक पहुंचने के लिए टिहरी जिला मुख्यालय से लंबगांव होते तलब्ला सेम के मैदान तक जाया जाता है. उसके बाद खड़ी चढ़ाई पर पैदल चलकर मंदिर तक पहुंचते हैं. उसके बाद मंदिर से डुगडुगी धार तक पैदल पहुंचकर इस पत्थर के दर्शन कर सकते हैं.

mysterious Stone at Sem Mukhem In Uttarakhand
भूवैज्ञानिक बीड़ी जोशी ने बताया पत्थर के हिलने का साइंटिफिक रीजन (PHOTO-ETV Bharat Graphics)

ये है साइंटिफिक रीजन: जाने माने भूवैज्ञानिक बीड़ी जोशी कहते हैं ये बिलकुल संभव है. ये सब ग्रेवेटी पर निर्भर करता है. फिजिक्स के एक वैज्ञानिक ने कहा था कि मुझे आप पृथ्वी से बाहर खड़ा कर दीजिए और मेरे हाथ में एक रॉड दीजिए. मैं पृथ्वी के गोले को हिला सकता हूं. वो इसलिए हो पा रहा है, क्योंकि बैलेंस एंगल और ग्रेवेटी उस पर काम कर रही है. वो पत्थर एक ही दिशा से हिलता होगा, एक उंगली से चारों दिशा से नहीं. ये कोई बड़ी बात नहीं है. अगर कोई इसको चमत्कार या अपनी आस्था से जोड़ता है तो वो भी सही है. इसमें कोई विवाद नहीं होना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः Sem Mukhem Temple: सेम मुखेम मंदिर में दूर होता है कालसर्प दोष, उंगली से हिल जाती है विशाल शिला

सेममुखेम का 'जादुई' पत्थर (VIDEO-ETV Bharat)

टिहरी (उत्तराखंड): टिहरी जिले के प्रतापनगर के अंतर्गत सेममुखेम की ऊंची पहाड़ियों के बीच भगवान श्रीकृष्ण नागराज के स्वरूप में विराजमान हैं. मंदिर से आगे चलकर डुगडुगी धार में एक आश्चर्यजनक पत्थर है, जो शरीर का बल लगाने से नहीं हिलता है, लेकिन कनिष्ठा (सबसे छोटी) उंगली के स्पर्श से ही पत्थर हिलने लगता है. कई लोग इसे आस्था से जोड़ते हैं. जबकि विज्ञान इसे दूसरे रूप में देखते हैं.

टिहरी जिले में स्थित सेममुखेम नाम से जाने जाना वाला मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है. मान्यता है कि द्वापर युग में कालिंदी नदी में जब बाल स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण गेंद लेने उतरे तो उन्होंने कालिया नाग को इस नदी से सेममुखेम जाने को कहा. तब काल नाग ने भगवान श्रीकृष्ण से सेममुखेम आकर दर्शन देने की इच्छा जाहिर की. कहते हैं इस वचन को पूरा करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका छोड़कर उत्तराखंड के रमोला गढ़ी में आकर स्थापित हो गए. जो आज सेममुखेम नागराजा मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण के अध्याय नंबर 6 के केदारखंड में उल्लेखित है.

भक्त करते हैं पत्थर की पूजा: यही कारण है कि सेममुखेम मंदिर में देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. इसी मंदिर से एक किलोमीटर की दूरी पर डुगडुगी धार स्थान है, जहां पर एक आश्चर्यजनक पत्थर भी मौजूद है. इस पत्थर की खासियत यह है कि इस पत्थर पर पूरी ताकत लगाओ तो हिलता नहीं है. लेकिन हाथ की छोटी उंगली से हल्के से स्पर्श से पत्थर हिलने लगता है. जो भी श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा पाठ करने आता है, वह इस दुर्लभ पत्थर को देखने जरूर पहुंचता है.

mysterious Stone at Sem Mukhem In Uttarakhand
भूवैज्ञानिक बीड़ी जोशी ने बताया पत्थर के हिलने का साइंटिफिक रीजन (PHOTO-ETV Bharat Graphics)

ऐसे पहुंचे मंदिर व पत्थर तक: इस पत्थर तक पहुंचने के लिए टिहरी जिला मुख्यालय से लंबगांव होते तलब्ला सेम के मैदान तक जाया जाता है. उसके बाद खड़ी चढ़ाई पर पैदल चलकर मंदिर तक पहुंचते हैं. उसके बाद मंदिर से डुगडुगी धार तक पैदल पहुंचकर इस पत्थर के दर्शन कर सकते हैं.

mysterious Stone at Sem Mukhem In Uttarakhand
भूवैज्ञानिक बीड़ी जोशी ने बताया पत्थर के हिलने का साइंटिफिक रीजन (PHOTO-ETV Bharat Graphics)

ये है साइंटिफिक रीजन: जाने माने भूवैज्ञानिक बीड़ी जोशी कहते हैं ये बिलकुल संभव है. ये सब ग्रेवेटी पर निर्भर करता है. फिजिक्स के एक वैज्ञानिक ने कहा था कि मुझे आप पृथ्वी से बाहर खड़ा कर दीजिए और मेरे हाथ में एक रॉड दीजिए. मैं पृथ्वी के गोले को हिला सकता हूं. वो इसलिए हो पा रहा है, क्योंकि बैलेंस एंगल और ग्रेवेटी उस पर काम कर रही है. वो पत्थर एक ही दिशा से हिलता होगा, एक उंगली से चारों दिशा से नहीं. ये कोई बड़ी बात नहीं है. अगर कोई इसको चमत्कार या अपनी आस्था से जोड़ता है तो वो भी सही है. इसमें कोई विवाद नहीं होना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः Sem Mukhem Temple: सेम मुखेम मंदिर में दूर होता है कालसर्प दोष, उंगली से हिल जाती है विशाल शिला

Last Updated : Aug 26, 2024, 8:13 PM IST
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