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MP में विंध्य से खुला था BSP का खाता, इस क्षेत्र से मिला था पहला सांसद, 7 सीटों पर समझिए गणित - mp bsp political equation

मध्य प्रदेश के चुनावी मैदान में दो पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही टक्कर देखने मिलती है, लेकिन तीसरी पार्टी बीएसपी इन दोनों का गणित बिगाड़ने का काम जरूर करती है. अगर एमपी में बसपा के सियासी जमीन की बात करें तो यहीं से बहुजन समाज पार्टी को पहला सांसद रीवा से मिला था. पढ़िए एमपी में बसपा का गणित...

MP BSP POLITICAL EQUATION
MP में विंध्य से खुला था BSP का खाता, इस क्षेत्र से मिला था पहला सांसद, 7 सीटों पर समझिए गणित
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 26, 2024, 5:22 PM IST

Updated : Mar 26, 2024, 7:07 PM IST

भोपाल। लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के अलावा मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी भी जोर लगा रही है. बीएसपी ने मध्य प्रदेश की 7 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. बीएसपी ने प्रदेश की सभी 29 सीटों उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है. बीजेपी ने प्रदेश में आखिरी बार 2009 में रीवा लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन बाद से बीएसपी भले ही हर सीट पर हारती आई हो, लेकिन कई सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस का गणित जरूर बिगाड़ती रही है. बीएसपी का सबसे ज्यादा असर विंध्य और ग्वालियर चंबल इलाके की कई सीटों पर रहा है.

जिन सीटों पर उम्मीदवार घोषित

मध्य प्रदेश की 7 लोकसभा सीटों पर बीएसपी अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है. इसमें सबसे बड़ा नाम पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी का है. पार्टी ने उन्हें सतना लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा खजुराहो से कमलेश पटेल, सीधी से पूजन राम साकेत, मंडला से इंदर सिंह उईके, छिंदवाड़ा से उमाकांत बंदेवार, मंदसौर से कन्हैया लाल मालवीय और बैतूल से अशोक भलावी का नाम शामिल है.

खजुराहो लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के लिए छोड़ी है. यही वजह है कि इस बार बीएसपी ने खजुराहो सीट से अपना उम्मीदवार चुनाव में उतारा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा इस सीट से मैदान में नहीं थी, जबकि सपा उम्मीदवार 40 हजार वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी. जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 3 लाख 18 हजार वोट मिले थे. यही वजह है कि बीएसपी ने इस बार अपना उम्मीदवार चुनाव में उतारा है.

MP BSP POLITICAL EQUATION
एमपी बीएसपी ऑफिस

सतना लोकसभा सीट से इस बार बीएसपी ने नारायण त्रिपाठी ने मैदान में उतारा है. त्रिपाठी चार बार के विधायक हैं. 2019 के चुनाव में बसपा ने इस सीट से अच्छे लाल कुशवाहा को मैदान से उतारा था और 1 लाख से ज्यादा वोट मिले थे. पार्टी को नारायण त्रिपाठी से खासी उम्मीद हैं. सीधी लोकसभा सीट पर बीएसपी तीसरे नंबर की पार्टी रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी उम्मीदवार ने 26 हजार वो हासिल किए थे. 2014 में बीएसपी उम्मीदवार ने 39 हजार और 2009 में 53 हजार वोट मिले थे.

वहीं छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है, हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत का अंतर सिर्फ 37 हजार 536 वोटों का रहा था. इस चुनाव में बीएसपी ने 14 हजार 275 वोट काटे थे, इस बार बीएसपी ने फिर उम्मीदवार उतारा है.

जहां सबसे ज्यादा जीती, वहां से उम्मीदवार उतारना बाकी

बीएसपी की मध्य प्रदेश में सबसे मजबूत सियासी जमीन रीवा लोकसभा सीट को माना जाता है. इस लोकसभा सीट पर बीएसपी तीन बार चुनाव जीत चुकी है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने जहां दो बार के सांसद जर्नादन मिश्रा को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक नीलम मिश्रा को टिकट दिया है. 2019 के चुनाव में बीएसपी उम्मीदवार इस सीट पर 91 हजार वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहा था.

प्रदेश में घटता-बढ़ता रहा बसपा का जनाधार

1996 में आखिरी बार एमपी में दो सीट जीत पाई थी बीएसपी.

मध्य प्रदेश के चुनावी इतिहास को देखें तो बहुजन समाज पार्टी का वोट परसेंटेज घटता-बढ़ता रहा है. 1991 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में बीएसपी को 3.54 फीसदी वोट मिले थे और बीएसपी ने प्रदेश की एक सीट पर जीत दर्ज की थी. 1991 के चुनाव में मध्य प्रदेश की रीवा संसदीय क्षेत्र से जीतकर संसद पहुंचने वाले भीम सिंह पटेल पहले देश के पहले बीएसपी सांसद थे.

1996 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने मध्यप्रदेश लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. 1996 में बीएसपी का वोट परसेंटेज बढ़कर 8.18 फीसदी पहुंच गया था. हालांकि इसके दो साल बाद ही हुए लोकसभा चुनाव में बीएसपी को अपनी यह दोनों सीटें गंवानी पड़ी थी.

यहां पढ़ें...
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2009 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने आखिरी बार प्रदेश से लोकसभा सीट जीतने में कामयाबी हासिल की. इस चुनाव में रीवा से देवराज सिंह पटेल बीएसपी के टिकट पर जीतने में कामयाब रहे. 2009 में बीएसपी को वोट शेयर 5.85 फीसदी था.

2009 के बाद से प्रदेश में बीएसपी का वोट शेयर लगातार गिरता रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में बीएसपी को 3.80 फीसदी वोट, जबकि 2019 में 2.38 फीसदी वोट मिले थे.

भोपाल। लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के अलावा मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी भी जोर लगा रही है. बीएसपी ने मध्य प्रदेश की 7 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. बीएसपी ने प्रदेश की सभी 29 सीटों उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है. बीजेपी ने प्रदेश में आखिरी बार 2009 में रीवा लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन बाद से बीएसपी भले ही हर सीट पर हारती आई हो, लेकिन कई सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस का गणित जरूर बिगाड़ती रही है. बीएसपी का सबसे ज्यादा असर विंध्य और ग्वालियर चंबल इलाके की कई सीटों पर रहा है.

जिन सीटों पर उम्मीदवार घोषित

मध्य प्रदेश की 7 लोकसभा सीटों पर बीएसपी अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है. इसमें सबसे बड़ा नाम पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी का है. पार्टी ने उन्हें सतना लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा खजुराहो से कमलेश पटेल, सीधी से पूजन राम साकेत, मंडला से इंदर सिंह उईके, छिंदवाड़ा से उमाकांत बंदेवार, मंदसौर से कन्हैया लाल मालवीय और बैतूल से अशोक भलावी का नाम शामिल है.

खजुराहो लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के लिए छोड़ी है. यही वजह है कि इस बार बीएसपी ने खजुराहो सीट से अपना उम्मीदवार चुनाव में उतारा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा इस सीट से मैदान में नहीं थी, जबकि सपा उम्मीदवार 40 हजार वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी. जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 3 लाख 18 हजार वोट मिले थे. यही वजह है कि बीएसपी ने इस बार अपना उम्मीदवार चुनाव में उतारा है.

MP BSP POLITICAL EQUATION
एमपी बीएसपी ऑफिस

सतना लोकसभा सीट से इस बार बीएसपी ने नारायण त्रिपाठी ने मैदान में उतारा है. त्रिपाठी चार बार के विधायक हैं. 2019 के चुनाव में बसपा ने इस सीट से अच्छे लाल कुशवाहा को मैदान से उतारा था और 1 लाख से ज्यादा वोट मिले थे. पार्टी को नारायण त्रिपाठी से खासी उम्मीद हैं. सीधी लोकसभा सीट पर बीएसपी तीसरे नंबर की पार्टी रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी उम्मीदवार ने 26 हजार वो हासिल किए थे. 2014 में बीएसपी उम्मीदवार ने 39 हजार और 2009 में 53 हजार वोट मिले थे.

वहीं छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है, हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत का अंतर सिर्फ 37 हजार 536 वोटों का रहा था. इस चुनाव में बीएसपी ने 14 हजार 275 वोट काटे थे, इस बार बीएसपी ने फिर उम्मीदवार उतारा है.

जहां सबसे ज्यादा जीती, वहां से उम्मीदवार उतारना बाकी

बीएसपी की मध्य प्रदेश में सबसे मजबूत सियासी जमीन रीवा लोकसभा सीट को माना जाता है. इस लोकसभा सीट पर बीएसपी तीन बार चुनाव जीत चुकी है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने जहां दो बार के सांसद जर्नादन मिश्रा को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक नीलम मिश्रा को टिकट दिया है. 2019 के चुनाव में बीएसपी उम्मीदवार इस सीट पर 91 हजार वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहा था.

प्रदेश में घटता-बढ़ता रहा बसपा का जनाधार

1996 में आखिरी बार एमपी में दो सीट जीत पाई थी बीएसपी.

मध्य प्रदेश के चुनावी इतिहास को देखें तो बहुजन समाज पार्टी का वोट परसेंटेज घटता-बढ़ता रहा है. 1991 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में बीएसपी को 3.54 फीसदी वोट मिले थे और बीएसपी ने प्रदेश की एक सीट पर जीत दर्ज की थी. 1991 के चुनाव में मध्य प्रदेश की रीवा संसदीय क्षेत्र से जीतकर संसद पहुंचने वाले भीम सिंह पटेल पहले देश के पहले बीएसपी सांसद थे.

1996 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने मध्यप्रदेश लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. 1996 में बीएसपी का वोट परसेंटेज बढ़कर 8.18 फीसदी पहुंच गया था. हालांकि इसके दो साल बाद ही हुए लोकसभा चुनाव में बीएसपी को अपनी यह दोनों सीटें गंवानी पड़ी थी.

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2009 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने आखिरी बार प्रदेश से लोकसभा सीट जीतने में कामयाबी हासिल की. इस चुनाव में रीवा से देवराज सिंह पटेल बीएसपी के टिकट पर जीतने में कामयाब रहे. 2009 में बीएसपी को वोट शेयर 5.85 फीसदी था.

2009 के बाद से प्रदेश में बीएसपी का वोट शेयर लगातार गिरता रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में बीएसपी को 3.80 फीसदी वोट, जबकि 2019 में 2.38 फीसदी वोट मिले थे.

Last Updated : Mar 26, 2024, 7:07 PM IST
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