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काहे का डिजिटल इंडिया! इस गांव में नहीं है मोबाइल टावर, फोन आने से आधा घंटा पहले ही पेड़ पर चढ़ जाते हैं लोग

Gaya Network Issue: डिजिटल इंडिया के जमाने में भी एक ऐसा गांव है, जहां मोबाइल टावर नहीं है. लोग फोन से बात करने के लिए पेड़ पर चढ़ जाते हैं ताकि नेटवर्क मिलने पर रिश्तेदार से बातचीच हो सके. पढ़ें पूरी खबर.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 24, 2024, 8:05 PM IST

Updated : Feb 24, 2024, 8:20 PM IST

गया में मोबाइल नेटवर्क की समस्या

गयाः बिहार के गया में लोग रिश्तेदार से फोन पर बात करने के लिए पेड़ पर चढ़ जाते हैं. दरअसल, इस गांव में मोबाइल टावर नहीं है. आप सोंच रहे होंगे कि डिजिटल इंडिया के जमाने में मोबाइल नेटवर्क नहीं है? जी हां, यही सच है. यहां के लोग मोबाइल को नेटवर्क से जोड़ने के लिए पेड़ों का सहारा लेते हैं. जिसके पास फोन नहीं है वे दूर-दूर तक एसटीडी बूथ जाते हैं.

गया में मोबाइल नेटवर्क की समस्या: गया के इमामगंज, बाराचट्टी, फतेहपुर, डुमरिया सहित कई इलाके हैं जहां मोबाइल टावर नहीं है. इमामगंज प्रखंड के खड़ाऊ, लूटीटांड़ जैसे इलाके हैं जहां मोबाइल का नेटवर्क नहीं रहता है. मोबाइल घर का शोभा बढ़ा रहा है. लोग मोबाइल नेटवर्क के लिए पहाड़, उंचे चट्टान या पेड़ों का सहारा लेते हैं. तब जाकर नेटवर्क मिलता है. इसके बावजूद ठीक से बातचीत नहीं हो पाती है.

'देश दुनिया से अनजान': स्थानीय लोग बताते हैं कि गांव में नेटवर्क नहीं रहने से लोग देश दुनिया से अनजान रहते हैं. किसी से बात करनी होती है तो ऊंचे पहाड़ों और पेड़ों पर चढ़ना पड़ता है. पेड़ पर चढ़ने के बाद ही किसी से संपर्क हो पाता है. लोगों ने बताया कि नेटवर्क नहीं होने से मोबाइल एक खाली डब्बा के समान लगता है. काम में काफी परेशानी होती है. इससे पहले भी साल 2022 में ईटीवी भारत ने गया के इलाके में नेटवर्क की समस्या के बारे में लिखा था लेकिन लोगों को परेशानी से छुटकारा नहीं मिला.

"5G का जमाना है लेकिन हम लोग काफी पीछे हैं. इसका कारण दूर संचार की व्यवस्था का नहीं होना है. काम छोड़कर मोबाइल का नेटवर्क पकड़वाते हैं. दुनिया से कटे रहते हैं. हमारा विकास मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के कारण असंभव है. फोन आने से आधा घंटा पहले ही पेड़ पर जढ़ जाते हैं. हमलोग खड़ाऊं गांव के हैं. बगल में लूटीटांड़ में मोबाइल का टावर लगाने की बात हो रही है." - उपेंद्र कुमार सिंह, स्थानीय

स्थानीय अर्जुन भोक्ता बताते हैं कि वे मोबाइल से बात करने के लिए पेड़ों पर चढ़ते हैं. ऊंचे-ऊंचे चट्टानों पर चढ़ना पड़ता है तब जाकर बात होती है. 'जान जोखिम में डालना पड़ता है तब जाकर देश दुनिया में क्या चल रहा है इसके बारे में जानकारी मिलती है. नेटवर्क नहीं रहने के कारण मोबाइल की घंटियां नहीं बजती है.'

पेड़ पर ही बांस का मचान बनायाः पुरुष के साथ-साथ महिला भी पेड़ पर ही चढ़कर बात करती हैं. पेड़ पर ही बांस का मचान बनाया गया है ताकि गांव के लोग ऊपर आसानी से बैठकर बात कर सके. स्थानीय रानी कुमारी बताती है उसे जब बात करनी होती है तो पेड़ पर चढ़ जाती है. 'जान को भी खतरा रहता है लेकिन यह मजबूरी है. मोबाइल नेटवर्क नहीं आने के कारण लोग काफी परेशान रहते हैं.'

एक STD पर लगती है भीड़ः स्थानीय लोग बताते हैं कि गांव से दूर एक एसटीडी बूथ है, जहां लोगों की भीड़ लगती है. काफी देर इंतजार करने के बाद उनका नंबर आता है. इसके बाद रिश्तेदार और प्रदेश में रहने वाले परिवार के सदस्य से बातचीत होती है. लोगों ने बताया कि काफी समय से मोबाइल टावर लगाने की बात हो रही है लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की गई है.

चुनाव को लेकर जीएम ने की बैठकः बता दें कि 17 फरवरी को गया डीएम डॉक्टर त्यागराजन एसएम ने बैठक की थी. लोकसभा चुनाव में सभी मतदान केंद्रों का संचार व्यवस्था हो. इसके लिए टावर लाने की व्यवस्था की जाएगी. चुनाव आयोग के गाइडलाइन के अनुसार जोन को चिह्नित किया गया है. ऐसी जगह संचार सेवा उपलब्ध कराने के लिए बीएसएनएल, एयरटेल, रिलायंस, जियो सर्विसेज, आइडिया, वोडाफोन सहित अन्य कंपनियों के पदाधिकारी के साथ बैठक की गई है.

टावर लगाने का हो रहा काम: विभागीय जानकारी के अनुसार एयरटेल नेटवर्क द्वारा आठ टावर लगाया जाएगा. इसके अलावा बीएसएनएल के द्वारा भी टावर लगाने का कार्य करवाया जा रहा है. इसमें मुख्य रूप से इमामगंज, फतेहपुर, डुमरिया, बाराचट्टी के स्थान शामिल है. लोगों का कहना है कि अगर टावर लग जाता है तो काफी सुविधा होगी.

यह भी पढ़ेंः कैमूर में ऐसे गांव जहां आज भी नहीं बजती मोबाइल की घंटी, पेड़ों पर चढ़कर करते हैं बात

गया में मोबाइल नेटवर्क की समस्या

गयाः बिहार के गया में लोग रिश्तेदार से फोन पर बात करने के लिए पेड़ पर चढ़ जाते हैं. दरअसल, इस गांव में मोबाइल टावर नहीं है. आप सोंच रहे होंगे कि डिजिटल इंडिया के जमाने में मोबाइल नेटवर्क नहीं है? जी हां, यही सच है. यहां के लोग मोबाइल को नेटवर्क से जोड़ने के लिए पेड़ों का सहारा लेते हैं. जिसके पास फोन नहीं है वे दूर-दूर तक एसटीडी बूथ जाते हैं.

गया में मोबाइल नेटवर्क की समस्या: गया के इमामगंज, बाराचट्टी, फतेहपुर, डुमरिया सहित कई इलाके हैं जहां मोबाइल टावर नहीं है. इमामगंज प्रखंड के खड़ाऊ, लूटीटांड़ जैसे इलाके हैं जहां मोबाइल का नेटवर्क नहीं रहता है. मोबाइल घर का शोभा बढ़ा रहा है. लोग मोबाइल नेटवर्क के लिए पहाड़, उंचे चट्टान या पेड़ों का सहारा लेते हैं. तब जाकर नेटवर्क मिलता है. इसके बावजूद ठीक से बातचीत नहीं हो पाती है.

'देश दुनिया से अनजान': स्थानीय लोग बताते हैं कि गांव में नेटवर्क नहीं रहने से लोग देश दुनिया से अनजान रहते हैं. किसी से बात करनी होती है तो ऊंचे पहाड़ों और पेड़ों पर चढ़ना पड़ता है. पेड़ पर चढ़ने के बाद ही किसी से संपर्क हो पाता है. लोगों ने बताया कि नेटवर्क नहीं होने से मोबाइल एक खाली डब्बा के समान लगता है. काम में काफी परेशानी होती है. इससे पहले भी साल 2022 में ईटीवी भारत ने गया के इलाके में नेटवर्क की समस्या के बारे में लिखा था लेकिन लोगों को परेशानी से छुटकारा नहीं मिला.

"5G का जमाना है लेकिन हम लोग काफी पीछे हैं. इसका कारण दूर संचार की व्यवस्था का नहीं होना है. काम छोड़कर मोबाइल का नेटवर्क पकड़वाते हैं. दुनिया से कटे रहते हैं. हमारा विकास मोबाइल नेटवर्क नहीं होने के कारण असंभव है. फोन आने से आधा घंटा पहले ही पेड़ पर जढ़ जाते हैं. हमलोग खड़ाऊं गांव के हैं. बगल में लूटीटांड़ में मोबाइल का टावर लगाने की बात हो रही है." - उपेंद्र कुमार सिंह, स्थानीय

स्थानीय अर्जुन भोक्ता बताते हैं कि वे मोबाइल से बात करने के लिए पेड़ों पर चढ़ते हैं. ऊंचे-ऊंचे चट्टानों पर चढ़ना पड़ता है तब जाकर बात होती है. 'जान जोखिम में डालना पड़ता है तब जाकर देश दुनिया में क्या चल रहा है इसके बारे में जानकारी मिलती है. नेटवर्क नहीं रहने के कारण मोबाइल की घंटियां नहीं बजती है.'

पेड़ पर ही बांस का मचान बनायाः पुरुष के साथ-साथ महिला भी पेड़ पर ही चढ़कर बात करती हैं. पेड़ पर ही बांस का मचान बनाया गया है ताकि गांव के लोग ऊपर आसानी से बैठकर बात कर सके. स्थानीय रानी कुमारी बताती है उसे जब बात करनी होती है तो पेड़ पर चढ़ जाती है. 'जान को भी खतरा रहता है लेकिन यह मजबूरी है. मोबाइल नेटवर्क नहीं आने के कारण लोग काफी परेशान रहते हैं.'

एक STD पर लगती है भीड़ः स्थानीय लोग बताते हैं कि गांव से दूर एक एसटीडी बूथ है, जहां लोगों की भीड़ लगती है. काफी देर इंतजार करने के बाद उनका नंबर आता है. इसके बाद रिश्तेदार और प्रदेश में रहने वाले परिवार के सदस्य से बातचीत होती है. लोगों ने बताया कि काफी समय से मोबाइल टावर लगाने की बात हो रही है लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की गई है.

चुनाव को लेकर जीएम ने की बैठकः बता दें कि 17 फरवरी को गया डीएम डॉक्टर त्यागराजन एसएम ने बैठक की थी. लोकसभा चुनाव में सभी मतदान केंद्रों का संचार व्यवस्था हो. इसके लिए टावर लाने की व्यवस्था की जाएगी. चुनाव आयोग के गाइडलाइन के अनुसार जोन को चिह्नित किया गया है. ऐसी जगह संचार सेवा उपलब्ध कराने के लिए बीएसएनएल, एयरटेल, रिलायंस, जियो सर्विसेज, आइडिया, वोडाफोन सहित अन्य कंपनियों के पदाधिकारी के साथ बैठक की गई है.

टावर लगाने का हो रहा काम: विभागीय जानकारी के अनुसार एयरटेल नेटवर्क द्वारा आठ टावर लगाया जाएगा. इसके अलावा बीएसएनएल के द्वारा भी टावर लगाने का कार्य करवाया जा रहा है. इसमें मुख्य रूप से इमामगंज, फतेहपुर, डुमरिया, बाराचट्टी के स्थान शामिल है. लोगों का कहना है कि अगर टावर लग जाता है तो काफी सुविधा होगी.

यह भी पढ़ेंः कैमूर में ऐसे गांव जहां आज भी नहीं बजती मोबाइल की घंटी, पेड़ों पर चढ़कर करते हैं बात

Last Updated : Feb 24, 2024, 8:20 PM IST
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