एर्नाकुलम: केरल के एर्नाकुलम जिले में कुट्टमपुझा के घने जंगल में लापता हुई तीन महिलाएं आखिरकार सुरक्षित मिल ही गईं. तीनों महिला लापता गाय को खोजने के लिए जंगल में गई हुई थीं. पुलिस, अग्निशमन दल और स्थानीय लोगों ने 16 घंटे की गहन संयुक्त खोज के बाद उन्हें सुरक्षित ढूंढ लिया. खबर के मुताबिक, माया जयन, पारुकुट्टी और दारली कुट्टमपुझा के घने जंगल में लापता हो गई थी. वे तीनों 16 घंटे से अधिक समय तक जंगल में ही फंसी रही.
खबर के मुताबिक, गुरुवार को तीनों महिलाएं एक लापता गाय की तलाश में जंगल में चली गईं. वहां उनका सामना जंगली हाथियों के झुंड से हो गया, जिसके बाद वे भटक गईं. महिलाओं को जंगल में लगभग छह किलोमीटर दूर अरक्कमुथी में पाया गया. यह घना जंगल हाथियों के लिए जाना जाता है. वन अधिकारियों ने पुष्टि की कि तीनों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.
खोज शुरू हुई
मुसीबत बुधवार को शुरू हुई जब माया की गाय लापता हो गई. अगली सुबह, माया उसे खोजने के लिए वह अकेले निकल पड़ी, लेकिन खाली हाथ लौटी. उसी दिन दोपहर करीब 3:00 बजे, वह अन्य दो महिलाओं के साथ मुनिपारा के पास सागौन के बागानों के रास्ते से पारुकुट्टी और दारली के साथ जंगल में फिर से दाखिल हुई. इस बीच, गाय अपने आप घर लौट आई थी. लौटते समय माया ने अपने पति से संपर्क किया और बताया कि उन्होंने जंगली हाथियों का झुंड देखा है. हालांकि, उसके बाद, उनसे फोन पर संपर्क नहीं हो सका. वे तीनों हाथियों के डर से भागकर घने जंगल में लापता हो गईं.
चुनौतीपूर्ण बचाव अभियान
जब महिलाओं के लापता होने की सूचना मिली तो स्थानीय निवासियों ने वन अधिकारियों को सूचित किया. जिसके बाद वन विभाग के अधिकारियों, अग्निशमन कर्मियों और स्थानीय स्वयंसेवकों सहित 50 लोगों की एक टीम के साथ तुरंत एक बचाव अभियान शुरू किया गया. चार समूहों में विभाजित खोज दल महिलाओं को खोजने के लिए निकल पड़ा. हालांकि, हाथियों के खतरे और अंधेरे में कम दिखाई देने के कारण, दो समूहों को वापस लौटना पड़ा. चुनौतियों के बावजूद, दो समूह पूरी रात जंगल में रहे और खोज में सहायता के लिए एक ड्रोन तैनात किया गया. टीम ने महिलाओं के मोबाइल फोन की लोकेशन भी ट्रैक की. सुबह तक, बचाव दल ने लापता महिलाओं को सफलतापूर्वक ढूंढ़ लिया. तीनों महिलाएं अरक्कमुथी में एक चट्टान पर मिलीं.
महिलाओं ने आभार जताया
घने जंगल में तीनों महिलाएं माया, पारुकुट्टी और डार्ली रात भर चट्टान पर छिपी रहीं. घना जंगल और रात के अंधेरे में असुरक्षा की भावना ने उन्हें काफी डरा दिया था. वहीं, खोजी दल रात भर तीनों महिलाओं की तलाश में जुटी रही. इस दौरान जंगल से परिचित स्थानीय गाइड आधिकारिक टीमों की सहायता कर रहे थे. बचाव दल ने ध्यान आकर्षित करने के लिए पटाखे फोड़े और शोर मचाया. हालांकि, डर की वजह से महिलाएं शुरू में छिपी रहीं. उन्होंने बताया कि उन्हें चिंता थी कि खोज दल शिकारियों या हमलावरों का समूह हो सकता है, जो उनकी जान के लिए खतरा पैदा कर सकता है.
जब तीनों महिलाओं को सुरक्षित जंगल से बाहर लाया गया तो, वे भूख और प्यास के कारण काफी कमजोर दिखाई दे रही थीं. हालांकि, उनकी हालत स्थिर थी.उन्होंने खोजी दल के लोगों को सुरक्षित जंगल से बाहर लाने के लिए उनका आभार जताया. पारुकुट्टी नाम की महिला ने बताया कि, कैसे उन्होंने चट्टान पर सोने की कोशिश करते हुए रात भर हाथियों की आवाज सुनी थी. जब दिन का उजाला हुआ, तो वे नीचे उतरने लगीं और तभी उनका सामना बचाव दल से हुआ. खोजी दल ने तीनों महिलाओं को खाने के लिए फल और पीने के लिए पानी दिए. हाालंकि, वे जल्द से जल्द घर वापस लौटना चाहती थी.
सुखद पुनर्मिलन
गांव के लोग लापता महिलाओं की सुरक्षा की खबर का बेसब्री से इंतजार करते नजर आए था. जैसे ही खोजी दल महिलाओं को वापस लेकर आए, कुट्टमपुझा में स्थानीय लोग इकट्ठा हो गए और उनकी सुरक्षित वापसी पर राहत और खुशी व्यक्त की. आखिरकार 16 घंटे से ज्यादा समय तक लापता रहने के बाद महिलाएं आखिरकार अपने परिवारों से मिल गईं.
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