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गूगल सर्च करके नौकरी ढूंढ रहे हैं तो सावधान! देहरादून के युवक से 23 लाख ठगे, 3 इंटरनेशनल साइबर ठग दिल्ली से अरेस्ट - International cyber thug arrested

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 26, 2024, 2:11 PM IST

Uttarakhand STF arrested international cyber thugs उत्तराखंड एसटीएफ ने नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड गिरोह का भंडाफोड़ किया है. साइबर अपराधी गैंग के 3 ठगों को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है. इनके तार चीनी और पाकिस्तानी साइबर ठगों से जुड़े हुए हैं. ये लोग नौकरी के लिए गूगल पर सर्च करने वाले लोगों को जाल में फंसा लेते थे. देहरादून के एक युवक को भी इन लोगों ने अपने जाल में फंसाकर उससे 23 लाख रुपए से ज्यादा की ठगी कर डाली. Cyber ​​fraud in the name of job, Network of cyber thugs from China and Pakistan

international cyber thugs
देहरादून अपराध समाचार (Photo- Uttarakhand STF)

देहरादून: एसटीएफ की टीम ने साइबर धोखाधड़ी के मास्टर माइंड सहित 03 आरोपियों को दिल्ली से गिरफ्तार किया है. पकड़े गए अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह के सदस्य चीनी और पाकिस्तानी एजेंटों के साथ काम करते हैं. एसटीएफ के अनुसार इन साइबर ठगों के तार दुबई, चाइना और पाकिस्तान से जुड़े हुए थे. विदेशों में बैठे साइबर ठगों की मदद से बाइनेन्स एप, Trust Wallet के माध्यम से USDT क्रिप्टो करेंसी खातों में धनराशि का लेनदेन करते थे. गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने भारत के अलग-अलग राज्यों में कई लोगों को ठगा है. देहरादून निवासी एक पीड़ित के साथ करीब 23 लाख रुपये की साइबर धोखाधड़ी की गई थी.

नौकरी ढूंढना पड़ा बहुत महंगा: दरअसल मोहब्बेवाला, जनपद देहरादून निवासी शख्स ने जून 2024 में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके द्वारा नौकरी के लिए आनलाइन naukri.com सर्च किया गया था. इस पर अज्ञात साइबर ठगों द्वारा उसको व्हाट्सएप नंबर से फोन कर बताया गया कि उन्हें naukri.com से आपका रिज्यूम मिला है. इसके लिये पहले आपको रजिस्टेशन चार्ज 14,800 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा. पीड़ित द्वारा भुगतान कर दिया गया. इसके बाद lintojacob@hrsuntorybfe.com से इन्टरव्यू के लिए SKYIP से फोन आया.

साइबर अपराधियों के चंगुल में फंसा युवक: उनके द्वारा करीब 1 घंटे तक टेक्निकल इंटरव्यू लिया गया. उसके बाद 22 नवंबर 2023 को फाइनल राउंड के लिए इंटरव्यू लेने के बाद सलेक्शन हो जाने की बात कही गई. दस्तावेज वैरिफिकेशन, जॉब सिक्यिोरिटी, फास्ट ट्रैक वीजा और IELTS exam आदि के नाम पर क्विक सोल्यूशन (Quick Solution) अकाउंट में रुपये जमा कराये गये. इसके बाद पीड़ित को बताया गया कि उसके द्वारा IELTS exam के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया. जिस कारण वीजा कैंसिल किया जा रहा है. पीडित का पैसा 03 महीने में वापस करने की बात कही गयी. इसके बाद इसी प्रकार पीड़ित को अन्य व्हाट्सएप नंबर से दोबारा कॉल आयी और coca cola uk as AVP (Operation) में वेकैन्सी होना बताकर फिर से वही रजिस्ट्रेशन, इंटरव्यू आदि दोहराकर पीड़ित से दोबारा अलग-अलग खातों में भुगतान कराकर कुल 22,96,000 रुपये की साइबर ठगी की गई. पीड़ित की शिकायत के आधार अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया.

इस तरह की ईमेल आईडी से करते हैं ठगी: साइबर ठगी के लिये साइबर ठगों द्वारा पीड़ित की ई-मेल आईडी पर जानी-मानी कम्पनियों के नाम से मिलती जुलती ई-मेल आईड jacob@carriercocacola.com, lintojacob@hrsuntorybfe.com, support@jobphent.se जो आजकल support@jobphent.com और contact@recuritmentjob.in से सम्पर्क किया गया.

तीन इंटरनेशनल साइबर ठग गिरफ्तार: इसके बाद साइबर क्राइम पुलिस द्वारा घटना में प्रयोग बैंक खातों, मोबाइल नम्बरों और व्हाट्सएप की जानकारी के लिए सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी, मेटा और गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया. साइबर पुलिस टीम द्वारा तकनीकी और डिजिटल साक्ष्य इकट्ठे कर घटना के मास्टर मांइड और मुख्य आरोपियों को चिन्हित करते हुये आरोपियों की तलाश की गई. आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई स्थानों पर दबिशें दी, लेकिन आरोपी काफी शातिर किस्म के निकले. वो पुलिस को चकमा देने के उद्देश्य से समय-समय पर अपनी लोकेशन बदलते रहते थे. आखिरकार वो उत्तराखंड एसटीएफ के हत्थे चढ़ ही गए. एसटीएफ की टीम ने मास्टरमाइंड सहित 03 आरोपियों अलमास आजम, अनस आजम और सचिन अग्रवाल को मेट्रो स्टेशन जनकपुरी वेस्ट दिल्ली से गिरफ्तार किया. उनके कब्जे से 06 मोबाइल फोन, 42 बैंक पासबुक, चेकबुक डेविट, क्रेडिट कार्ड और 16 सिमकार्ड, पहचान पत्र आधार कार्ड और पैनकार्ड बरामद हुए हैं.

अपराध का तरीका: अपराधी फर्जी आइडी, मोबाइल नंबर, व्हाट्सएप, टेलीग्राम और जानी-मानी कंपनियों से मिलते-जुलते ईमेल पते का उपयोग करके नौकरी चाहने वालों से संपर्क करते हैं. आरोपी नौकरी चाहने वालों का पूरा विश्वास जीतकर उन्हें दस्तावेज सत्यापन, रजिस्ट्रेशन, जॉब सिक्योरिटी, फास्ट-ट्रैक वीजा आदि के नाम पर विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर धोखा देते हैं. इन साइबर अपराधियों द्वारा पीड़ितों से ठगी गई धनराशि को लोगों के बैंक खाता डिटेल का दुरुपयोग करके प्राप्त किया जाता है. आरोपी लोगों के ओरिजनल आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि लेकर फर्जी बैंक खाते (म्यूल अकाउंट) खोलते हैं, जहां यह पैसा जमा किया जाता है. इन खातों के दस्तावेज़ और एसएमएस अलर्ट नंबरों को फिजिकली दुबई भेज दिया जाता है.

चीन और पाकिस्तानी साइबर ठगों से जुड़े हैं तार: इस प्रक्रिया में दुबई का मास्टरमाइंड (पाकिस्तानी एजेंटों) भारतीय सहयोगी को शामिल करता है, जो पूरे बैंक खाते के किट प्राप्त करते हैं. वहीं, चीनी एजेंट व्हाट्सएप और टेलीग्राम के माध्यम से क्रिप्टो भुगतान और वास्तविक समय (real time) में यूपीआई डिटेल के लिए निर्देश देते हैं. गिरोह के अन्य सदस्य बिनांस और ट्रस्ट वॉलेट जैसी क्रिप्टो प्लेटफ़ॉर्म से USDT (जो क्रिप्टो लेन-देन में उपयोग होता है) खरीदते हैं. USDT को बिनांस वॉलेट में ट्रांसफर किया जाता है और जुड़े हुए विदेशी ठग इसे 90 रुपये प्रति USDT के बजाय 104 रुपये प्रति USDT के भाव से भारतीय रुपये भेजते हैं. मुनाफे को आपस में बांटा जाता है. इसमें 7 रुपये सचिन और बाकी 7 रुपये अलमास आजम और अनस आजम दोनों भाइयों को दिया जाता है. दोनों भाइयों को प्रत्येक फर्जी खाते के लिए अतिरिक्त कमीशन भी मिलता है.

एसटीएफ एसएसपी ने ये कहा: एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों द्वारा दुबई, चाइना और पाकिस्तान से कनेक्शन होना स्वीकार किया गया है. जिनके सम्बन्ध में इनके मोबाइल फोन में भी व्हाट्सएप, टेलीग्राम के माध्यम से चैटिंग होनी पायी गई. जिसमें आपस में बैंक खातों की यूपीआई आईडी, खातों की डिटेल्स, क्यूआर कोड, स्कैनर आदि का आदान प्रदान किया गया है. इसके अलावा USDT क्रीप्टोकरेंसी में एक दूसरे से खातों में भारतीय रुपए का ट्रांजेक्शन सम्बन्धी चैट्स पाई गयी हैं.
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देहरादून: एसटीएफ की टीम ने साइबर धोखाधड़ी के मास्टर माइंड सहित 03 आरोपियों को दिल्ली से गिरफ्तार किया है. पकड़े गए अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह के सदस्य चीनी और पाकिस्तानी एजेंटों के साथ काम करते हैं. एसटीएफ के अनुसार इन साइबर ठगों के तार दुबई, चाइना और पाकिस्तान से जुड़े हुए थे. विदेशों में बैठे साइबर ठगों की मदद से बाइनेन्स एप, Trust Wallet के माध्यम से USDT क्रिप्टो करेंसी खातों में धनराशि का लेनदेन करते थे. गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने भारत के अलग-अलग राज्यों में कई लोगों को ठगा है. देहरादून निवासी एक पीड़ित के साथ करीब 23 लाख रुपये की साइबर धोखाधड़ी की गई थी.

नौकरी ढूंढना पड़ा बहुत महंगा: दरअसल मोहब्बेवाला, जनपद देहरादून निवासी शख्स ने जून 2024 में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके द्वारा नौकरी के लिए आनलाइन naukri.com सर्च किया गया था. इस पर अज्ञात साइबर ठगों द्वारा उसको व्हाट्सएप नंबर से फोन कर बताया गया कि उन्हें naukri.com से आपका रिज्यूम मिला है. इसके लिये पहले आपको रजिस्टेशन चार्ज 14,800 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा. पीड़ित द्वारा भुगतान कर दिया गया. इसके बाद lintojacob@hrsuntorybfe.com से इन्टरव्यू के लिए SKYIP से फोन आया.

साइबर अपराधियों के चंगुल में फंसा युवक: उनके द्वारा करीब 1 घंटे तक टेक्निकल इंटरव्यू लिया गया. उसके बाद 22 नवंबर 2023 को फाइनल राउंड के लिए इंटरव्यू लेने के बाद सलेक्शन हो जाने की बात कही गई. दस्तावेज वैरिफिकेशन, जॉब सिक्यिोरिटी, फास्ट ट्रैक वीजा और IELTS exam आदि के नाम पर क्विक सोल्यूशन (Quick Solution) अकाउंट में रुपये जमा कराये गये. इसके बाद पीड़ित को बताया गया कि उसके द्वारा IELTS exam के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया. जिस कारण वीजा कैंसिल किया जा रहा है. पीडित का पैसा 03 महीने में वापस करने की बात कही गयी. इसके बाद इसी प्रकार पीड़ित को अन्य व्हाट्सएप नंबर से दोबारा कॉल आयी और coca cola uk as AVP (Operation) में वेकैन्सी होना बताकर फिर से वही रजिस्ट्रेशन, इंटरव्यू आदि दोहराकर पीड़ित से दोबारा अलग-अलग खातों में भुगतान कराकर कुल 22,96,000 रुपये की साइबर ठगी की गई. पीड़ित की शिकायत के आधार अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया.

इस तरह की ईमेल आईडी से करते हैं ठगी: साइबर ठगी के लिये साइबर ठगों द्वारा पीड़ित की ई-मेल आईडी पर जानी-मानी कम्पनियों के नाम से मिलती जुलती ई-मेल आईड jacob@carriercocacola.com, lintojacob@hrsuntorybfe.com, support@jobphent.se जो आजकल support@jobphent.com और contact@recuritmentjob.in से सम्पर्क किया गया.

तीन इंटरनेशनल साइबर ठग गिरफ्तार: इसके बाद साइबर क्राइम पुलिस द्वारा घटना में प्रयोग बैंक खातों, मोबाइल नम्बरों और व्हाट्सएप की जानकारी के लिए सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी, मेटा और गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया. साइबर पुलिस टीम द्वारा तकनीकी और डिजिटल साक्ष्य इकट्ठे कर घटना के मास्टर मांइड और मुख्य आरोपियों को चिन्हित करते हुये आरोपियों की तलाश की गई. आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई स्थानों पर दबिशें दी, लेकिन आरोपी काफी शातिर किस्म के निकले. वो पुलिस को चकमा देने के उद्देश्य से समय-समय पर अपनी लोकेशन बदलते रहते थे. आखिरकार वो उत्तराखंड एसटीएफ के हत्थे चढ़ ही गए. एसटीएफ की टीम ने मास्टरमाइंड सहित 03 आरोपियों अलमास आजम, अनस आजम और सचिन अग्रवाल को मेट्रो स्टेशन जनकपुरी वेस्ट दिल्ली से गिरफ्तार किया. उनके कब्जे से 06 मोबाइल फोन, 42 बैंक पासबुक, चेकबुक डेविट, क्रेडिट कार्ड और 16 सिमकार्ड, पहचान पत्र आधार कार्ड और पैनकार्ड बरामद हुए हैं.

अपराध का तरीका: अपराधी फर्जी आइडी, मोबाइल नंबर, व्हाट्सएप, टेलीग्राम और जानी-मानी कंपनियों से मिलते-जुलते ईमेल पते का उपयोग करके नौकरी चाहने वालों से संपर्क करते हैं. आरोपी नौकरी चाहने वालों का पूरा विश्वास जीतकर उन्हें दस्तावेज सत्यापन, रजिस्ट्रेशन, जॉब सिक्योरिटी, फास्ट-ट्रैक वीजा आदि के नाम पर विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर धोखा देते हैं. इन साइबर अपराधियों द्वारा पीड़ितों से ठगी गई धनराशि को लोगों के बैंक खाता डिटेल का दुरुपयोग करके प्राप्त किया जाता है. आरोपी लोगों के ओरिजनल आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि लेकर फर्जी बैंक खाते (म्यूल अकाउंट) खोलते हैं, जहां यह पैसा जमा किया जाता है. इन खातों के दस्तावेज़ और एसएमएस अलर्ट नंबरों को फिजिकली दुबई भेज दिया जाता है.

चीन और पाकिस्तानी साइबर ठगों से जुड़े हैं तार: इस प्रक्रिया में दुबई का मास्टरमाइंड (पाकिस्तानी एजेंटों) भारतीय सहयोगी को शामिल करता है, जो पूरे बैंक खाते के किट प्राप्त करते हैं. वहीं, चीनी एजेंट व्हाट्सएप और टेलीग्राम के माध्यम से क्रिप्टो भुगतान और वास्तविक समय (real time) में यूपीआई डिटेल के लिए निर्देश देते हैं. गिरोह के अन्य सदस्य बिनांस और ट्रस्ट वॉलेट जैसी क्रिप्टो प्लेटफ़ॉर्म से USDT (जो क्रिप्टो लेन-देन में उपयोग होता है) खरीदते हैं. USDT को बिनांस वॉलेट में ट्रांसफर किया जाता है और जुड़े हुए विदेशी ठग इसे 90 रुपये प्रति USDT के बजाय 104 रुपये प्रति USDT के भाव से भारतीय रुपये भेजते हैं. मुनाफे को आपस में बांटा जाता है. इसमें 7 रुपये सचिन और बाकी 7 रुपये अलमास आजम और अनस आजम दोनों भाइयों को दिया जाता है. दोनों भाइयों को प्रत्येक फर्जी खाते के लिए अतिरिक्त कमीशन भी मिलता है.

एसटीएफ एसएसपी ने ये कहा: एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों द्वारा दुबई, चाइना और पाकिस्तान से कनेक्शन होना स्वीकार किया गया है. जिनके सम्बन्ध में इनके मोबाइल फोन में भी व्हाट्सएप, टेलीग्राम के माध्यम से चैटिंग होनी पायी गई. जिसमें आपस में बैंक खातों की यूपीआई आईडी, खातों की डिटेल्स, क्यूआर कोड, स्कैनर आदि का आदान प्रदान किया गया है. इसके अलावा USDT क्रीप्टोकरेंसी में एक दूसरे से खातों में भारतीय रुपए का ट्रांजेक्शन सम्बन्धी चैट्स पाई गयी हैं.
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