श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के 25वें स्थापना दिवस पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चुनौती दी कि वे नियंत्रण रेखा (एलओसी) के दोनों ओर से कश्मीर के 20 प्रतिनिधियों वाली एक समिति बनाएं, जो साल में दो बार बैठक करके महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करे. श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर पार्क में बोलते हुए महबूबा ने कश्मीर में सरकार की नीतियों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए.
उन्होंने कहा कि जनमत संग्रह में अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाले कश्मीर के लोगों को कैद करके और उनका दमन करके क्या हासिल हुआ? आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद वहीद उर रहमान पारा को भी दो लाख वोट मिले. सरकार का मानना है कि उसने पीडीपी को खत्म कर दिया है, लेकिन आज के स्थापना दिवस पर लोगों की भीड़ ने इसके विपरीत साबित कर दिया- पीडीपी खत्म नहीं हुई है, इसे याद रखें.
उन्होंने जम्मू में सुरक्षा मुद्दों से निपटने के सरकार के तरीके की भी आलोचना की और विदेशी आतंकवादियों की मौजूदगी का जिक्र किया. पीडीपी प्रमुख मुफ्ती ने कहा, मैं सरकार से कहना चाहती हूं कि विदेशी आतंकवादी जम्मू में घुसपैठ करते हैं, हमले करते हैं और फिर भाग जाते हैं. आप इस समस्या को लेकर क्या कर रहे हैं? जम्मू के लोग बाहर जाने से भी डर रहे हैं.
महबूबा ने भारत सरकार से जम्मू-कश्मीर से मध्य एशिया तक सड़कें खोलकर क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने का आग्रह किया और बातचीत के महत्व पर जोर दिया. क्षेत्र के इतिहास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 1947 से पहले जम्मू, कश्मीर और लद्दाख स्वतंत्र राज्य थे और यहां हिंदू, मुस्लिम और बौद्ध शांतिपूर्वक रहते थे. आज लद्दाख के लोग संकट में हैं, जम्मू के निवासी भी परेशान हैं और जम्मू का एक समय संपन्न आर्थिक केंद्र अब पतन की ओर बढ़ रहा है. कश्मीर की स्थिति शब्दों में बयान ही नहीं की जा सकती है.
कश्मीरी भाषा के संरक्षण की अपील
महबूबा मुफ्ती ने कश्मीरी भाषा के संरक्षण की वकालत करते हुए अपना भाषण समाप्त किया. उन्होंने कहा कि हालांकि यहां सभी नेता उर्दू में बोलते हैं, मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप अपने बच्चों को घर पर कश्मीरी सिखाएं; अन्यथा हमारी भाषा खत्म हो जाएगी.
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