बांका : महाराष्ट्र के बदलापुर में 4 साल की मासूम से यौन शोषण, बिहार के आरा में 12 साल की बच्ची से रेप, बांका में डेढ़ साल की बच्ची से हैवानियत, इस तरह की खबरें जैसे आम हो गई हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर दिन 351 बच्चे हिंसा के शिकार होते हैं, जिनमें 130 बच्चे यौन शोषण के शिकार होते हैं. भारत में बच्चों के खिलाफ लगातार अपराधों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. 6 साल में आंकड़ा लगभग दोगुना (96%) बढ़ गया है. बच्चों से दुष्कर्म और हमले के मामले वर्ष 2016 में 19,765 थे जो 2022 में बढ़कर 38,911 हो गए.
बच्चों को शिक्षित करना बहुत जरूरी : मतलब देश के हर कोने से बच्चों पर अत्याचार की खबर आम हो चली है. ऐसे में जरूरी है कि हम अपने बच्चों को सुरक्षित रखें. सवाल उठता है कि समाज के दरिंदों को कैसे पहचानें. अपने बच्चों को उनसे कैसे दूर रखें. इसलिए मासूम बच्चों को शिक्षित करना बहुत जरूरी है.
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खुशबू आनंद सिखाती हैं गुड टच बैड टच : ऐसे में बांका की शिक्षिका खुशबू आनंद का अंदाज लोगों को खूब भा रहा है. कठौन मध्य विद्यालय में शिक्षिका जिस तरह से बच्चों को 'गुड टच और बैड टच' के बारे में सिखा रही हैं, वह वाकई काबिले तारीफ है. बच्चे भी शिक्षिका के इस रूप से काफी खुश नजर आते हैं. ऐसे में सभी माता-पिता को इस वीडियो को देखना चाहिए. अपने बच्चों को दिखाना चाहिए और क्या सही है क्या गलत इसके बारे में बताना चाहिए.
'कोई भी हो तुरंत इसका विरोध कीजिए' : दरअसल, शिक्षिका छात्र-छात्राओं के बीच प्रैक्टिकल कराकर सिखा रही है कि किसे गुड टच कहते हैं और किसे बैड टच कहते हैं. खुशबू सिखाती हैं कि चाहे कोई भी क्यों ना हो, अगर आपको गलत तरीके से हाथ लगाता है तो तुरंत इसका विरोध कीजिए. यही नहीं इसकी जानकारी अपने माता-पिता और शिक्षक को दीजिए.
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दुष्कर्म की घटना ने खुशबू को झकझोरा : शिक्षिका खुशबू का यह वीडियो जब पूरे देश वायरल हुआ तो लोगों ने काफी प्रशंसा की. अध्यापिका खुशबू आनंद कहती हैं कि, मैं भी बच्ची थी, जब मेरी उम्र भी छोटी थी तो मुझे भी नहीं मालूम था कि 'गुड टच और बैड टच' क्या होता है?. मुझे भी इस सब सिचुएशन को झेलना पड़ा था. जब मुझे अहसास हुआ कि आज बच्चों के साथ बहुत गलत हो रहा है, तो ऐसा करने का हमने निर्णय लिया.
''बच्चों के साथ प्यार से और उनके ह्दय को छूते हुए कोई बात उन्हें बताई जाय या फिर कोई विषय पढ़ाया जाय तो बच्चे उस चीज को आसानी से सीख लेते है.'' - खुशबू आनंद, अध्यापिका
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क्या होता है गुड टच ? : इधर, स्कूल में पढ़ने वाली छात्राएं भी शिक्षिका खुशबू आनंद की बातों पर अमल करती नजर आती हैं. वो कहती हैं कि जब कोई गलत तरीके से हमें छूता है यानी जब कोई हमारे पेट, हाथ पीठ, कमर या छाती को छूता है तो वह बैड टच होता है.
''गुड टच का मतलब जब कोई हमारे अंगों को अच्छे से छूता है, यानी जब कोई हमारे गाल, नाक या कोई सर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देता है और इन अंगों को अच्छे से छूता है तो उसे गुड टच कहते हैं.''- छात्रा
शिक्षिका खुशबू आनंद ने ईटीवी भारत से अपनी बार रखी. उन्होंने पूरे मसले पर खुलकर जवाब दिया. साथ ही कहा कि किस प्रकार वह स्कूली बच्चों के लिए मां के समान हैं.
सवाल - आपके दिमाग में यह वीडियो बनाने का आइडिया कैसे आया?
खुशबू आनंद - मैं भी एक लड़की हूं, एक महिला हूं. यह एक बहुत ही नाजुक मसला है. सोशल मीडिया और अखबार के थ्रू पता चलता था कि आए दिन ऐसी घटनाएं हो रही हैं. मेरा ही पड़ोसी प्रखंड चानन है. वहां तीसरी क्लास की बच्ची के साथ ऐसी ही एक दर्दनाक घटना घटित हुई और बहुत ही बेदर्दी से मार दिया गया.
जब मैं उस घटना को अखबार के जरिए जाना और उसके बारे में जब मैंने पता किया था तो बहुत रोई थी. बहुत ही हार्टिली हर्ट हुई थी. मुझे तो पहले से ही बैड टच के बारे में पता था. जब मैं नौकरी में आई तो 2 साल बच्चों से फ्रेंडली होने में लगा. बैड टच और गूड टच के बारे में बच्चों को बताती थी. लेकिन, सोशल मीडिया में नहीं डालती थी. मैं जरूरत महसूस करती थी.
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जब मैं ऐसे खतरनाक न्यूज देखती थी और बेदर्दी से उन्हें मार दिया गया था तो, मैं अपने छोटे बच्चों को सिखाया और उसे रिकॉर्ड किया और उसे सोशल मीडिया पर डाला ताकि, अन्य पेरेंट्स हैं उनको यह मदद मिल सके. दूसरे शिक्षकों को भी मदद मिले और अपने बच्चों को वह जागरूक करें. इस तरह से यदि हमारे वीडियो को देखने के बाद यदि किसी की जान बच जाती है तो, यह मिशन सफल हो जाएगा. यही सब सोच कर मैं सोशल मीडिया इस वीडियो को डाला था.
सवाल- क्या आपने सोचा था कि आपका ये वीडियो इतना वायरल हो जाएगा?
खुशबू आनंद - मैंने बिल्कुल नहीं सोचा था कि बहुत लोग इसे पसंद करेंगे. ये वीडियो इतना वायरल हो जाएगा. मैंने यह सोचा था कि मेरे जितने व्यूवर्स हैं वह देख लेंगे और मुझे यह लगा था कि लोग यह समझ सकेंगे. सब लोग इससे पीड़ित हैं और सब लोग जागरुक हों यह मेरा उद्देश्य था. सभी लोग इससे प्रभावित तो हैं. कहां, कौन दरिंदा मिल जाए, घर में, परिवार में, पड़ोस में, जो भी है. जब मैं सोशल मीडिया पर डाला तो लोगों को पसंद आया और उन लोगों ने वायरल किया. लोगों ने बहुत पसंद किया.
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मेरे क्षेत्र में बहुत लोग आए और पैरेंट्स ने मुझे बताया कि मैडम आपने बहुत ही अच्छी जानकारी दी है. कहा आप इतनी फ्रेंडली कैसे हो गई? आपने बहुत ही आसानी से बता दिया. हम लोग फ्रेंडली नहीं हो पाते हैं. कई पेरेंट्स मेरे पास आकर मुझे इसकी बधाई थी. वह कहते हैं कि और भी कई चीजे हैं इसके बारे में जागरूक कीजिए.
मैं कहती हूं कि मैं तो टीचर हूं. आप लोग भी अपने बच्चों को ट्रेंड कीजिए. कभी-कभी आपके बच्चे यदि कह दे कि यह बैड टच है तो उन्हें डांटना नहीं है, उन्हें यह समझाना है कि किसके बारे में बैड टच और गुड टच होता है. ऐसे ही गलत लोगों से दूर रहना. माता-पिता ऐसी नजरों से नहीं देखते हैं लेकिन, वह सीखेंगे कैसे और उन्हें कॉन्फिडेंस कैसे आएगा कि वह गलत और सही चीजों में अंतर कर पाएं.
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सवाल- पेरेंट्स को बच्चों के साथ फ्रेंटली होना होगा?
खुशबू आनंद - कई लोग हमसे कह रहे थे कि हम लोग बच्चों से फ्रेंडली नहीं हो पाते हैं. आप कैसे कर लेती हैं. लेकिन मैं कहती हूं कि आप यदि बच्चे को बेहतरीन तरीके से समझाएंगे तो वह सभी बात बातों को समझेंगे. मेरी 3 साल की बेटी है और वह मेरी बेटी सारी बातों को बहुत अच्छे से समझ पाती है और अपने आप को सेपरेट रखती है.
स्कूल में मेरे इस प्रयास को लेकर सभी शिक्षक बहुत ही तारीफ करते हैं. यह हम लोग कल्पना बना लेते हैं कि मेरे बच्चे समझ नहीं पाएंगे या यह हम लोग नहीं कर पाएंगे. हम यदि कोशिश करेंगे तो सफल हो जाएंगे. नए-नए स्टोरी के साथ उन्हें समझना पड़ता है.
सवाल - आप बच्चों के साथ डांस करती है, यह आइडिया आपको कैसे आया? आप बच्चों की फेवरेट कैसे बन गई?
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खुशबू आनंद - यह बात मैं कैसे बता दूं. लेकिन मेरा नेचर गॉड गिफ्टेड है. मैं बच्चों के साथ बहुत फ्रेंडली रहती हूं. आपको कोई भी कितनी भी ट्रेनिंग मिल जाए लेकिन,आपका स्वभाव जैसा है वह चेंज नहीं हो पता है. मैंने कोई ट्रेनिंग नहीं किया था. मेरे बचपन से बच्चों के साथ बहुत ही दोस्ती रहती है. मैं बहुत घुल मिल जाती हूं. मुझे बच्चे पेरेंट्स की तरह मानते हैं.
मेरे विद्यालय में मेरे बच्चे 'मां' कहकर पुकारते हैं. वह कहते हैं कि आप मेरी मां की तरह लगती हैं. आप बहुत ज्यादा प्यार करती है. कई लेटर भी मुझे वह लिख कर देते हैं और मां शब्द को बार-बार इंगित करते हैं. मैं बच्चों के साथ बहुत फ्रेंडली रहती हूं और मेरे बच्चे सारी बातों को मानते है. मैं क्लास एक दो की बात नहीं कर रही हूं, 8 तक के बच्चे जितनी भी बात मैं समझाती हूं वह परफेक्टली समझते हैं.
यह प्रोन्नत मध्य विद्यालय कोठान में है. यह कटोरिया में है. मेरी पढ़ाई लिखाई सब बांका में हुई है. मेरे पापा का नाम राजेंद्र प्रसाद शाह है और मेरे हस्बैंड का नाम मनीष कुमार आनंद है और मेरे हस्बैंड भी शिक्षक हैं.
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